बहु जब लड झगड़कर अपने मायके पहुंची तब उसे हुआ आत्मग्लानि का एहसास !! (भाग 3 ) – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

 Moral Stories in Hindi : दरवाजे पर खड़ी आभा सास ससुर की यह सारी बातें सुन लेती है और अपने कमरे में आकर राज से कहती हैं कि हमारा इस बार का नाटक भी मुझे फेल होता नजर आ रहा हैं राज !!
राज बोला क्यूं क्या हुआ आभा ?? इतने सब के बाद तो पापा हमें अलग करने का निर्णय ही ले रहे होंगे ना !!
आभा बोली वह सब तो मुझे नहीं मालूम राज मगर मैं कल मेरे मायके जा रही हुं और अब तुम मुझे तब वापस बुलाना जब हम अलग हो जाए समझे !!
दरहसल आभा और राज अब ओर संयुक्त परिवार में नहीं रहना चाहते थे !!
राज तीन महिनों से घर का खर्च अकेले उठा रहा था , जिस वजह से आभा अपनी जेठानी को बात बात पर टोकती और जेठजी के एक्सीडेंट की बात को दर किनार रख अपनी बादशाहियत चलाती , उससे घर के ज्यादा काम भी नहीं होते थे और वह हमेशा फोन पर अपनी मम्मी से अपने ससुराल की बुराई करती रहती !!
इस बार उसने अपनी जेठानी को इस तरह प्रताडित करने की सोच रखी थी कि वह गुस्से में आकर ऐसा कदम उठाए कि बदनाम जेठानी हो और उसका अलग होने का ख्वाब भी पुरा हो जाए मगर जब सास ससुर की बातें सुनी तो उसे उसके इरादों पर पानी फिरता नजर आया और वह दूसरे दिन अपनी सास से बोली मम्मी जी कल मैंने आप लोगों की सारी बातें सुन ली , मुझे आप लोगों से यह उम्मीद नहीं थी , यह तो वहीं बात हो गई ना उल्टा चोर कोतवाल को डांटे , राधा भाभी सारे झगडे की जड़ थी मगर आपने तो सारा इल्जाम मुझ पर ही लगा दिया , अब मुझे नहीं रहना आप लोगों के साथ , आप अपनी फेवरेट बहु राधा भाभी के साथ ही रहिए बोलकर आभा अपने बेटे को लेकर मायके चली गई ताकि घर के कामों से भी बच जाए मगर दूसरे ही दिन राधा अपने मायके से आ चुकी थी !!
चंदा जी ने जब राधा से पूछा कि वह जल्दी क्यों आ गई तब राधा ने बताया कि उसे सोमेन ने फोन पर बताया कि आभा अपने मायके चली गई हैं और घर के कामों का बोझ आप पर आ गया हैं और मेरी मम्मी की तबीयत भी ठीक हैं अब , वह मुझसे मिलना चाहती थी बस !!
चंदा जी सोचने लगी कि अब तक वे जो राधा के बारे में सोचती थी वह सही ही सोचती थी , राधा अब भी अपनी जिम्मेदारिया बखुबी निभाती हैं !!
आभा ससुराल से झगडा कर मायके आ गई , जहां एक दो दिन तो सबने उसकी खातिरदारी की मगर तीसरे दिन उसने देखा कि उसके पापा उसकी भाभी से बोले बहु , चाय में थोड़ी शक्कर कम हैं , जरा ओर डाल देना !! आभा की भाभी रश्मि गुस्से से बोली पापा आपका तो यह रोज का हैं , कभी चाय में शक्कर कम हैं तो कभी सब्जी में तेल ज्यादा हैं !!
मैं तो तंग आ गई हुं इन रोज रोज की झंझटो से और उपर से आए दिन घर में कोई ना कोई मेहमान आ जाता हैं वह अलग , मुझसे नहीं होती सभी की खातिरदारी, मुझे अलग रहना हैं !!
आभा बोली भाभी इतनी सी बात पर आप इतना ज्यादा गुस्सा क्यों हो रही हैं ??
रश्मि बोली दीदी , आप बीच में मत बोलिए , जाइए और चुपचाप अपना घर देखिए !!
आभा को अपनी भाभी का यह व्यवहार बहुत बुरा लगा और वह उदास होकर अपने कमरे में चली आई !!
आभा अपनी मां सुशीला जी से बोली मां भाभी इतनी सी बात पर चिढ़ गई और अलग रहने की बात कर रही हैं , मुझे भाभी का यह व्यवहार देखकर बहुत आश्चर्य हुआ !!
सुशीला जी बोली बेटा , इसमें आश्चर्य की क्या बात हैं ?? आजकल सभी लड़कियां संयुक्त परिवार से अलग ही तो रहना चाहती हैं , अब तु अपने आप को ही देख लें , तीन महिने से तुझे तेरे पति का घर में पैसे देना इतना खटक गया हैं कि तु ससुराल से अलग होने के नाम पर यहां मायके आकर ही बैठ गई !! अब यह देखकर घर में तेरी भाभी पर भी तो तेरा गलत प्रभाव पड़ाऔर उसे भी अलग रहने की सूझी !! मैं तो तुझे फोन पर भी समझाती थी कि ससुराल वालों की बातें यहां मायके में मत किया कर , मैंने तो तुझे कभी गलत सलाह भी नहीं दी मगर आज तेरी इस करतूत पर एक मां भी बदनाम होगी और सभी सोचते होंगे की इसकी मां ने ही इसको गलत पटटी पढ़ाई होगी और यहीं फर्क होता हैं बेटा जब हम अपनी भाभी को अपने माता पिता के साथ दुर्व्यवहार करते देखते हैं तो हमें बहुत दुःख होता हैं मगर वही व्यवहार जब हम अपने सास ससुर के साथ करते हैं तो हम अपने आप को सही समझ रहे होते हैं !!
यह सब सुनकर आभा को एकदम से एहसास हुआ कि मां बिल्कुल सही कह रही हैं !!
दूसरे दिन आभा अपने ससुराल पहुंच गई !!
जब राज ने आभा को अचानक आया देख पूछा कि तुम तो वापस नहीं आनेवाली थी !!
आभा बोली राज , कभी कभी हमारी आंखों पर स्वार्थ की पटटी पड जाती हैं जिसे कोई ना कोई उतारता जरूर हैं , बस कुछ यही हुआ मेरे साथ , खैर जो हुआ अच्छा हुआ , मेरी अक्ल ठीकाने आई कहकर आभा ने अपने सास ससुर , जेठ जेठानी सभी से माफी मांगी और वापस सभी प्यार से रहने लगे !!
एक रोज सुशीला जी और भाभी रश्मि का फोन आने पर आभा अपने मायके पहुंची तब बातों बातों में सुशीला जी ने आभा को बताया कि उन्होने और रश्मि ने मिलकर उस दिन सारा नाटक किया था ताकि तुझे तेरी गलती का एहसास करवाया जा सके !!
आभा बोली थैंक यू मां और भाभी !!
आज उसी कारण मेरा संयुक्त परिवार आबाद हैं !!
दोस्तों , हर बेटी यही चाहती हैं कि उसकी भाभी उसके माता पिता को हमेशा खुश रखें और हमेशा उनके साथ रहें मगर जब वही बेटी किसी घर की बहु बन जाती हैं तो वह अपने सास ससुर जेठ जेठानी से अलग क्यूं होना चाहती हैं !!
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धन्यवाद !!

स्वाति जैन

 

 

2 thoughts on “बहु जब लड झगड़कर अपने मायके पहुंची तब उसे हुआ आत्मग्लानि का एहसास !! (भाग 3 ) – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi”

  1. Aap ki kahaniyao me dam hai .Lagta hai aapki sari kahaniya sach per aadhar it hai. Padhkar man bhar aata hai. Kash sabko aap ki kahanio se sabak mile aur parivaro me pyar Bane. Ek dusre ki izzat karte hue moj masti ki jindgi jive.

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  2. Aise sirf kahaniyo main hi ho sakta hai… Hahaha… Story is good , positive ending…but a lot of far from reality…

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