राधा का पति रमेश अक्सर व्हाइट शर्ट और पेंट पहनता था. रमेश अलमीरा से पहनने के लिए शर्ट निकाला तो देखा कि शर्ट हल्का मटमैला है। रमेश ने राधा से पूछा राधा क्या हो गया घर में वाशिंग पाउडर खत्म हो गया है क्या ? राधा ने कहा, “कल ही खत्म हो गया था कल से ही सोच रही थी, बाजार जाकर खरीद कर लाने के लिए लेकिन समय नहीं मिला, आज जाऊंगी शाम को बाजार तो वाशिंग पाउडर खरीद कर लाऊंगी।
तभी राधा की सास ने अपने कमरे से आवाज लगाइ। बहु तुम सारा दिन करती क्या हो जो तुम्हें समय नहीं मिलता है। हमारे जमाने में इतनी सुख-सुविधा थी भी नहीं, दिन भर घर में काम करते रहते थे और फिर ऊपर से सास की भी सुनते रहो, मैं तो तुम्हें कुछ कहती भी नहीं हूं। छोटा सा तो परिवार है हमारा, उस पर भी तुम दिन भर दिखाती हो कि कितना बिजी हूं। तुम आजकल के बहुओं को ना जाने कैसे इतना टाइम हो जाता है जबकि घर का तुम्हारा आधा से ज्यादा काम तो ऑटोमेटिक मशीन कर देती हैं।
राधा के सास अपने जमाने की बखान किए जा रही थी, लेकिन राधा चुपचाप सुन रही थी उसे पता था कि अगर वह पलट कर जवाब देगी तो फालतू में लड़ाई होगा। राधा ने अपनी सास से बस इतना ही कहा कि अब चुप भी हो जाइए, आज जाकर में वाशिंग पाउडर खरीद लाऊंगी। राधा की सास अब चुप हो गई थी।
शाम को राधा बाजार से वाशिंग पाउडर खरीद कर लाई थी और अगले दिन उसने अपने पति के सारे कपड़े वाशिंग मशीन में धोने के लिए डाल दिया। वाशिंग मशीन की शोर सुनकर राधा की सास बोली।
आजकल की बहुओं की तो मौज ही मौज है एक हमारा समय था जब अपनेआप इसे कपड़े धो धोकर हाथ पर घिस जाते थे और हाथ में छाले पड़ जाते थे पूरे परिवार का कपड़ा धोवो वह भी चापाकल चलाकर आजकल के जैसा उस समय नल थोड़ी हुआ करता था अगर आजकल की बहुओं को दो बाल्टी चापाकल से भरने के लिए कह दिया जाए तो उनके पसीने छूट जाए।
थोड़ी देर के बाद राधा छत से कपड़े सुखा कर नीचे आ रही थी। काम करते-करते राधा को बहुत जोर से प्यास भी लगा हुआ था गला सूख रहा था वह सोच रही थी कि नीचे उतर कर सबसे पहले पानी पियूँगी।
राधा सीढ़ियों से उतर ही रही थी तभी राधा की सास ने कहा बहु सिर में तेल लगाए हुए कई दिन हो गए थोड़ा सिर में नारियल तेल लगा दो तो और हां पहले अपने ससुर जी को चाय बना कर दे दो कब से चाय के लिए आवाज दे रहे हैं।
राधा ने कहा ठीक है माँ जी अभी नारियल का तेल लेकर आती हूं राधा अपने कमरे से नारियल के तेल अपने सास को पकड़ाते हुए, चाय बनाने के लिए किचन में चली गई और वह भूल गई कि उसे प्यास लगी थी पानी भी पीना है। चाय बना कर राधा अपने ससुर को दे ही रही थी कि सास ने आवाज दिया बहू आना तो आयोडेक्स भी लेकर आना घुटने में बहुत तेज दर्द हो रहा है अब कोई लगाने वाला तो है नहीं अपने आप ही लगाना पड़ेगा।
वहीं से राधा के ससुर जी ने राधा के सास से कहा, “अरे भाग्यवान बहू भी इंसान है कोई मशीन नहीं सुबह से देखता हूं लगी रहती है और तुम बैठे-बैठे फरमाते रहती हो तूमने एक बार भी पूछा कि बहु ने नाश्ता किया या नहीं सुबह से। बेटी तुम सबसे पहले नाश्ता करो उसके बाद जो काम करना है करना। राधा की सास उधर से ही बोली बहुत अपने बहू पर प्यार उमड़ रहा है मैंने ऐसा क्या कह दिया बहू को, मैंने तो बोला कि मैं खुद ही लगा लूंगी, भगवान ने मुझे मेरे हाथ दिये हैं अभी मैं इतनी भी बूढ़ी नहीं हूं जो मुझे किसी के सहारे की जरूरत है।
राधा थोड़ी देर में आयोडेक्स लेकर आई और अपने सास के घुटनों में मलने लगी और अपनी सास से कहने लगी मम्मी जी आप भी पल में गुस्सा हो जाती हैं आपको तो पता ही है कि पापा जी आप से मजाक करते ही रहते हैं।
दोस्तों एक गृहणी का जीवन ऐसे ही दिन भर चलते रहता है
कब सुबह हो जाता है कब शाम।
ना मिलता है उसे एक पल भी आराम॥