आज सुबह सुबह सामने गुप्ता आंटी के घर पुलिस आई थी उन्होंने अपने बहू बेटे के खिलाफ पुलिस कम्पलेन की थी ।
75 साल की गुप्ता आंटी काफी परेशान रहती थी अपने बहू बेटे से। उनके दो बेटियां और एक बेटा है । पति का दस साल पहले स्वर्गवास हो गया था । सभी बच्चों की शादी हो चुकी है ।बहू बेटा अलग घर में रहते हैं और गुप्ता आंटी अलग घर में रहती हैं अकेले।
बहू बेटे से पटती नहीं है इसलिए आंटी अलग रहती है। पति काफी रूपया पैसा छोड़ गए हैं । बेटे का भी अच्छा खासा बिजनेस चलता है । काफी कुछ पैसा आंटी के हाथ में है , दोनों मकान और दुकान भी आंटी के नाम है ।बहू बेटे को पैसा तो चाहिए लेकिन मां की देखभाल नहीं करनी है । आंटी के बड़ी बेटी के पास तो बहुत पैसा है तो उसको तो जरूरत है नहीं लेकिन छोटी बेटी थोड़ी कमजोर है । छोटी बेटी के बेटे का इंजिनियरिंग में दाखिला कराना था तो आंटी ने तीन लाख रूपए उसको दे दिए थे इससे बहू बेटा बहुत नाराज़ रहते थे कि क्यों बहन को पैसा दिया ।
कुछ समय पहले तक तो आंटी ठीक ठाक थी अकेले घर में रह लेती थी लेकिन अभी दो साल से वो काफी बीमार रहने लगी थी तो अकेले घर में रहना संभव नहीं हो पा रहा था। अभी बेटे को अपने बेटे के लिए बड़ा इलेक्ट्रॉनिक शोरूम खोलना था उसके लिए काफी पैसा चाहिए था तो आंटी को अपने घर ले आए और अच्छी देखभाल कर रहे थे । बेटे बहू को जब पैसा चाहिए होता था तो मां की खूब आवभगत करते थे और जब काम निकल जाता फिर वही पुराना रवैए चालू हो जाता था ।बहला फुसलाकर आंटी से 50 लाख रुपए निकलवा लिए शोरूम खुल गया तो तो उनके व्यवहार में फिर परिवर्तन आ गया ।बहन को तीन लाख रूपए दे दिए थे तो उसके लिए खूब झगड़ा किया और बहन का घर में आना जाना बंद कर दिया । इसलिए गुप्ता आंटी अपने घर पर रहती थी कि कम से कम वहां बेटियां तो आती रहेगी।
अभी छै महीने पहले आंटी की बहुत तबियत खराब हो गई ।दो दिन तक घर में बिना खाए पिए पड़ी रही बुखार में तप रही थी ।बहू बेटे को पता नहीं घर पर उनको देखने कोई नहीं जाता था।बहू अपने घर से खाने का टिफिन भेज देती थी ।तो आंटी खाती नही थी बोलती थी बासी तिवासी खाना भेज देती है और चार पांच रोटी और कभी दाल तो कभी सिर्फ सब्जी पूरे दिन का खाना उसी मैं हो जाता था । आंटी बोलती दिनभर एक ही खाना नहीं खाया जाता । कुछ अलग सा और कुछ बदल कर भी खाने का मन करता है । बच्चा और एक बूढ़ा इंसान एक सा ही होता है ।तो आंटी ने मना कर दिया कि खाना मत भेजना तो कोई देखने भी नहीं जाता था कि आंटी कैसी है ।
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बुखार में पड़ी आंटी का जब बेटियो को पता लगा तो वो छोटी बेटी मां को अपने घर ले गई और उनका इलाज करवाया देखभाल की महीने भर तक । टाईफाइड हो गया था ।जब आंटी थोड़ी ठीक हुई तो उन्होंने तीन लाख रूपए निकलवाएं कुछ बेटी को देने को इतने दिनों रही और इलाज का पैसा जो खर्च हुआ और कुछ अपने पास रखने को ।
इधर बहू बेटे को कुलबुलाहट मचने लगी कि कुछ बेटी के नाम न लिख दे तो बहू बेटे दोनों बहन के घर जाकर मिन्नतें करके मां को अपने घर ले आए कि लोग क्या कहेंगे बेटी के घर पड़ी हो इसतरह अपने घर लाकर रख लिया।
आंटी बेटे के घर आकर दस हजार रूपए दिए कि मुझे ठीक से खाना पीना दो जो मुझे अच्छा लगता है और मेरे लिए एक नौकर रख दो जो मेरा काम करें मेरे कपड़े धोए और कामों में मेरी मदद करें ।बहू बेटे घर में तो कुछ दिन ठीक रहे लेकिन फिर वही पुराना रवैया चालू हो गया । सुबह से दिनभर का खाना पीना बना कर रख जाती बहू और बेटा बहू नाती सब शोरूम चले जाते । आंटी लम्बी बीमारी से उठी थी तो कुछ खाने पीने का मन चलता था तो कोई था ही नहीं घर पर जो बना कर दे नौकर कहा था वो भी न रखा।
सबके घर से जाने के बाद आंटी पैसा लेकर घर से बाहर आती और अड़ोसी पड़ोसी से फल फूल और खाने पीने का सामान जो उनका मन करता मंगवाया करती थी । एक दिन बहू अचानक से घर आ गई उसने देख लिया सामान मंगवाते तो खुब हंगामा बचाया। आंटी बोली मुझे तो अपने घर जाना है लाओ मेरे घर की चाबी मुझे दो । आंटी के घर की चाबी नाती ने छुपा रखी थी कहता कि वो घर मेरे नाम करो तभी चाबी मिलेगी । इसी वजह से घर में बहस हो रही थी और इसी बहसबाजी में नाती ने आंटी को धक्का दे दिया कि हम चाबी नहीं देंगे यही रहना पड़ेगा जैसे हम रखेंगे वैसे ही।
जब नाती ने धक्का दे दिया तो आंटी ने पुलिस बुलवा ली । पुलिस वालों ने बहू बेटे को खूब लताड़ लगाई । आंटी को पुलिस वालों ने उनके घर की चाबी दिलवाई और आंटी को उनके घर पर छोड़ा ।अब वहां पर आंटी ने एक नौकर दिनभर का रखा हुआ है जो उनका सारा काम करती है और ख़ाना पीना भी बना कर देती है ।सभी अड़ोसी पड़ोसी कहते हैं चलों अच्छा हुआ आंटी कम-से-कम बुढ़ापे में अपने मन का खा पी तो रही है । सुकून से बची हुई जिंदगी बिता रही है । इसी वजह से बहूं बेटे के खिलाफ पुलिस बुलाई थी।
कैसा जमाना आ गया है आखिर में सबकुछ बहू बेटे कि ही तो है कहा लेकर जायेगी आंटी लेकिन सब्र नहीं है करना कुछ नहीं चाहते लेकिन चाहिए सबकुछ। एक जन्म देने वाली मां आज किस हाल में पहुंच गई है।आज बच्चों को फिर से संस्कार देने कि जरूरत आ पड़ी है।कम से कम अपने मां बाप का इतना तिरस्कार न करो नर्क में भी जगह न मिलेगी ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश