यह क्या प्रिया , तुम नहाने से पहले रसोई में घुस गई , तुम्हें कितनी बार बताना पड़ेगा औरतों को नहाने से पहले रसोई में नहीं आना चाहिए चंचला जी चिल्लाकर बोली !!
प्रिया जो कि जल्दी जल्दी पति राहुल और देवर अनिश के लिए पराठे बना रही थी , चंचला जी की कड़कती आवाज सुन एक पल के लिए उसके हाथ ठिठुर गए वह धीरे से बोली – मम्मी जी राहुल और अनिश को ऑफिस के लिए देरी हो रही थी इसलिए पहले उनका नाश्ता बनाना जरूरी था !!
चंचला जी फिर बोली – मैंने तुम्हें इस घर के नियम पहले ही समझा दिए हैं कि तुम्हें पहले नहा – धोकर भगवान की पुजा करनी हैं फिर ही रसोई में काम करना है और यह क्या तुमने हाथों में मेंहदी भी नहीं लगाई , मैंने कहा था ना कि तुम्हे कल से माता जी की रोज सुबह पुजा करनी हैं और वह भी सुबह जल्दी उठकर इसलिए मेंहदी लगा देना और लाल साड़ी पहनकर ही माता जी की पुजा करना !!
प्रिया बोली – मम्मी जी कल से ध्यान रखूंगी और रात को रसोई में ही बहुत देर हो चुकी थी इसलिए मेंहदी लगाने का समय नहीं मिला !!
चंचला जी बोली – कल से नहीं आज से ही सारी बातों का ध्यान रखना है , मेरे नाश्ते का वक्त हो गया हैं , मेरे लिए गर्म पराठे बना दो बोलकर चंचला जी बाहर डायनिंग टेबल पर बैठ गई !!
प्रिया ससुर जी , पति राहुल और अनिश को नाश्ता करवा चुकी थी , अब सबकी फरमाईश पर किसी के लिए चाय , किसी के लिए कॉफी तो किसी के लिए दूध बना रही थी !! यह वहीं प्रिया थी जो शादी के पहले खुद अपनी मम्मी दवारा बनी बेड़ टी पीती थी , चाय पीकर कभी अपने हाथ से चाय का कप सिंक में भी नहीं रखती थी और आज देखो ससुराल में कितनी फुर्ती से हाथ चला रही थी !!
सच शादी के बाद लड़कियों की जिंदगी कितनी बदल जाती हैं !!
एक गैस पर अब वह सासू मां के लिए पराठे बनाने बैठ गई !!पराठों की गर्म – गर्म खुशबु से प्रिया का मन भी खाने को ललचा गया , जैस ही प्रिया चंचला जी को डायनिंग टेबल पर पराठे परोसने गई उतने में चंचला जी बोली – प्रिया तुम पहले नहा धोकर पुजा कर लेना फिर नाश्ता करना और हां बाल धोना बिल्कुल मत भुलना !!
बिना बाल धोए माता जी की पुजा करना अच्छा नहीं माना जाता !!
बेचारी प्रिया मन मारकर पहले नहाने चली गई और जैसे ही आकर मंदीर में पुजा करने लगी , चंचला जी फिर बोली यह क्या प्रिया ?? तुम्हारा दिमाग कहां रहता हैं जब मैं तुम्हें ज्ञान देती रहती हुं !!
प्रिया हैरानी से बोली – अब क्या हुआ मम्मी जी ??
मैंने तुम्हें लाल साड़ी पहनने कहा था और तुम हो कि हरी साड़ी पहनकर आ गई हो , जाओ पहले साड़ी बदलकर आओ , हरी साड़ी नहीं चलेगी !! प्रिया जल्दबाजी में यह बात भूल गई थी कि सासू मां ने उसे लाल साड़ी पहनने कहा हैं वह अपने कमरे में गई और फिर से साड़ी बदलकर आ गई और पुजा करने लगी !! पुजा करते हुए लगभग बारह बज चुके थे !! प्रिया जिसे क ब से बहुत भूख लगी थी , पुजा खत्म कर ते ही खाना खाने बैठ गई !!
प्रिया ने रसोई का सारा काम निपटाया ही था कि चंचला जी फिर बोली – प्रिया हाथो मे पुरी चुडियां पहना करो और कुछ दिन अपने ससुरजी के सामने सर ढंककर रहा करो वैसे भी बाद में धीरे धीरे पर्दा हटना ही हैं , माथे पर बिंदी रोज लगाया करो यह सुहाग की निशानी होती हैं !!
तुम्हारे पापाजी जब घर में हो तेज आवाज में मत बोला करो , घर की औरतों को नियम कायदे में रहना चाहिए !! चंचला जी प्रिया को हर समय कुछ ना कुछ हिदायत देती रहती , प्रिया भी उनकी बातों पर हामी भर देती थी !!
एक दिन ड्राइंग रूम में बैठकर घर के सभी आदमी राजनीती संबंधित वार्तालाप कर रहे थे , प्रिया को भी पॉलिटिक्स में काफी अच्छा नोलेज था उसने भी सभी के समक्ष अपनी बात कही वहां भी चंचला जी ने उसे
रसोई में जाने का इशारा किया फिर खुद रसोई में आकर बोली औरतो को इस तरह से आदमियों के बीच नहीं बोलना चाहिए और बहस तो बिल्कुल नहीं करनी चाहिए , वैसे भी आदमी जो बोलते हैं उसे ही औरतों को सही मान लेना चाहिए !! औरतों की समझदारी चुप रहने में दिखती हैं बोलने में नहीं समझी !!
प्रिया को चंचला जी की बातें बहुत बुरी लगी और वह अपने कमरे में चली गई !!
शाम के पांच बजे जब प्रिया सभी के लिए चाय बनाने रसोई में आई तो चंचला जी बोली आज तो बड़ी देर कर दी तुमने उठने में !! घर की औरतों को सभी को समय पर चाय नाश्ता देना चाहिए !!
चंचला जी हरदम बस यहीं सीखाती कि घर की औरतों को ऐसा करना चाहिए , घर की औरतो को वैसा करना चाहिए मगर आदमियों के लिए उनके कोई नियम नहीं थे , वहीं दूसरी ओर प्रिया मायके में स्वतंत्रता से पली – बढ़ी लड़की थी , उसके मायके में औरतो के लिए कोई खास नियम नहीं थे !!
आज सुबह चंचला जी बोली प्रिया हम दोनों मिलकर उड़द दाल के लडडू बना देते हैं !!
प्रिया बोली उड़द दाल के लडडू तो मुझे बहुत पसंद है मम्मी जी !!
चंचला जी बोली – हमारे यहाँ यह लडडू सिर्फ घर के आदमियों के लिए बनते हैं क्योंकि वे लोग दिन – रात मेहनत करते हैं और मैंने कभी औरतों को यह लडडू खाते नहीं देखा , मेरी सास और मेरी मां भी सिर्फ आदमियों के लिए यह लडडू बनाती थी !!
प्रिया बोली- औरते भी तो घर में पूरा दिन काम करती हैं मम्मी जी फिर औरते यह लड्डू क्यों नहीं खाती ??
चंचला जी बोली – ज्यादा जबान मत लड़ाओं बहु , जो परंपराए चली आ रही हैं वे चली आ रही हैं बस मुझे इतना पता हैं !!
चंचला जी की बात सुन प्रिया चुप हो गई !!
आज राहुल शाम को घर आकर प्रिया पर बरस पड़ा और बोला आज तुम मुझे पर्स देना भूल गई थी , जानती हो मुझे कितनी परेशानी हुई तुम्हारी वजह से !!
राहुल प्रिया को जोरदार डांट लगा कर अपने कमरे में चला गया , प्रिया मायूस तो थी ही मगर उससे ज्यादा हैरान थी कि राहुल अपना पर्स खुद भूल गया इसमें मेरी गलती कहां थी , उतने में चंचला जी बोली आदमियों का ध्यान औरतो को ही रखना होता हैं !! आज बिचारा तुम्हारी वजह से कितना परेशान हुआ होगा !!
प्रिया सोच रही थी काश !! यह बात राहुल मुझे कमरे में ले जाकर अकेले में कहते कम से कम मुझे कम बुरा लगता !!
दूसरे दिन रविवार था , घर के तीनों आदमियों की छुट्टी थी !!
प्रिया सुबह से जो काम में लगी थी उसे पता ही ना चला कि कब काम करते करते आज का दिन गुजर गया , दिन भर खडे रहने के कारण रात तक उसके पैरो की पिंडलियों मे तेज दर्द होने लगा था , वह अपने कमरे में जा ही रही थी कि चंचला जी ने सरसों का तेल गर्म करके उसमें लहसून डालकर प्रिया को दिया और बोली – रात में राहुल को इस तेल से पैरो में मालिश कर देना , बिचारे को आज ही छुट्टी मिलती हैं , कल से उसे फिर से ऑफिस जाना है !!
प्रिया ने कमरे में तेल ले जाकर राहुल के पांवों पर मालिश कर दी , राहुल तो चैन से सो चुका था मगर प्रिया सारी रात करवटें बदलती रही , उसे अपने पैरो का दर्द सहन नहीं हो रहा था जिस कारण नींद उसकी आंखों से कोसो दूर थी !! इस घर के लोगों को औरतों पर बिल्कुल दया नहीं आती , आएगी भी कैसे खुद सासु मां ने घर के आदमियों को सिर जो चढ़ा रखा है !! बहुत सोचने के बाद प्रिया ने आज एक फैसला कर लिया था !!
दूसरे दिन सुबह प्रिया को उठने में देरी हो गई थी , चंचला जी बोली – यह क्या प्रिया , हमेशा औरतो को आदमियों से पहले उठना चाहिए , मुझे तुम्हें कितनी बार यह बात बतानी पड़ेगी ??
प्रिया बिना कुछ बोले रसोई में चाय नाश्ता बनाने चली गई , उतने में फिर चंचला जी बोली – प्रिया तुम फिर बिना नहाए पुजा किए बगैर रसोई में घुस गई !!
प्रिया शांति से बोली – मम्मी जी आपने सुबह पुजा कर ली है और आप घर की सबसे बड़ी हैं , मैं अब शाम को पुजा कर लूंगी !! शाम को भी तो हम लोग भरे पेट ही पुजा करते हैं ना !!
चंचला जी के पास इस बात का कोई जवाब ना था !!
थोड़ी देर बाद चंचला जी ने देखा कि प्रिया बगीचे में जाकर चाय पी रही हैं !!
वे बोली – राहुल ऑफिस के लिए निकल रहा होगा , तु यहां आराम से बैठकर चाय पी रही हैं , जाकर देख उसको कुछ चाहिए होगा तो !!
प्रिया बोली – मम्मी जी मैं चाय पीते पीते धूप सेंक रही हुं , इससे विटामिन डी मिलता है , आईए आप भी मेरे साथ बैठकर धूप सेकिए आपको भी शरीर में यहां वहां दर्द रहता हैं !!
चंचला जी भी प्रिया के साथ आकर सुबह की धूप सेंकने बैठ गई !! उन्हें भी सुबह की धूप लेने में आनंद महसूस हो रहा था !!
प्रिया बोली – मम्मी जी हम औरते औरतो के ही बनाए नियमों को सदियों से एक दूसरे पर थोपती आई हैं क्योंकि हमारी दादी और नानी ने हम पर थोपे वहीं हम अपनी बहुओं और बेटियों पर थोपते आए !!
कभी आपने सोचा कि आदमियों के लिए कोई नियम क्यों नहीं हैं ?? कभी आपने सुना कोई आदमी भुखा रहा हो !! आदमियों को औरतो से पहले चाय नाश्ता देना चाहिए लेकिन ऐसा क्यों ?? शरीर तो दोनों का एक जैसा हैं , भूख भी दोनों को एक जैसी लगती हैं !! आदमी बाहर काम करता हैं तो औरते भी तो सातों दिन घर का काम करती हैं फिर आदमी और औरत में इतना भेदभाव क्यों ??
थोड़ी देर में डोरबेल बजी सामने मालिश वाली खड़ी थी , चंचला जी बोली प्रिया इसे क्यों बुलाया है ??
प्रिया बोली क्योंकि मम्मी जी आपको और मुझे भी मालिश की जरूरत हैं !! जिस तरह घर के आदमियों के शरीर को मालिश की जरूरत होती हैं उसी तरह घर की औरतो का शरीर भी थकता हैं उन्हें भी मालिश की जरूरत हैं , पहले आप करवा लिजिए फिर मैं करवा लूंगी !!
चंचला जी को बहुत सालों बाद मालिश करवाके बहुत सुकुन महसूस हो रहा था !!
थोड़ी देर बाद राहुल झल्लाते हुए घर आया और बोला – मम्मी , प्रिया कहां हैं आज वह मुझे कार की चाबी देना भूल गई , बेसमेंट तक जाकर वापस आया हुं !!
चंचला जी गुस्से में बोली – राहुल इतने छोटे छोटे कामों के लिए तु प्रिया को परेशान क्यों करता हैं ?? तु खुद भी अपना काम कर सकता हैं !! वह भी दिन भर थक जाती हैं !!
राहुल सकपका गया और कार की चाबी लेकर चुपचाप नीचे चला गया !!
प्रिया को चंचला जी का बदला अवतार देख आश्चर्य मिश्रीत खुशी हो रही थी !!
प्रिया को खुशी इस बात की थी कि उसने उन चीजों के लिए ना कहना सीख लिया था जिन चीजों से उसे तनाव होने लगा था और सासू मां का साथ पाकर उसे गर्व महसूस हो रहा था !!
दोस्तों औरतो को अपने लिए खुद ही खड़ा होना पड़ता हैं !! औरतो को औरतों के बनाए नियम खुद ही तोड़ने होंगे !! जो नियम तनाव दें उन्हें तोड़ने में ही समझदारी हैं !!
औरते नियम बना सकती हैं तो उसे तोड़ भी सकती हैं क्योंकि वैसे भी औरतों के इन नियमों से पुरुषों को कोई फर्क नहीं पड़ता !!
दोस्तों आपको प्रिया का फैसला कैसा लगा ?? कमेंट में जरूर बताईएगा और ऐसी हे रचनाओं के लिए मुझे फॉलो अवश्य करिएगा !!
आपकी सहेली
स्वाती जैंन