वो
आखिरी शख्स
था
मेरी जिंदगी में
जिसने मुझे
पहचाना
जब
मैंने
उसकी बीमारी में
जी जान से सेवा की
लाख
बुलाने पर भी
घर न गई
ये
कहके
कि जब तक
सांसें हैं
संग रहने दो
सब कुछ
दोबारा मिल जाएगा
पर
बाप का साया सर से उठा तो
तो
फिर ना मिलेगा
जिसे
सुन
उसने
मुझे
कलेजे से
लगाते हुए
कहा
सच
पराई होकर भी
कभी बेटियां
पराई नहीं होती
तुम्हारे
प्रेम ने इतना तो अहसास
करा दिया।
कहते हुए
मेरी बांहों में