वह जन्म से बहरी नहीं थी, किंतु असमय बेटे बहू की मृत्यु के पश्चात मानसिक रूप से कमजोर होने के साथ ही सुनने की क्षमता भी चली गई थी! दिनभर घर के बाहर चारपाई डाले बैठी रहती, सड़क पर आने जाने वालों को देखकर मन बहलता रहता! कभी-कभी शैतान बच्चे उसे बहरी अम्मा कहकर चिढ़ाते तो उसे बहुत मजा आता था, क्योंकि वह सुनती तो थी नहीं..
इसलिए उसे कोई भी कुछ भी कह ले उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था! ना सुनने के कारण उसका नाम भी बहरी अम्मा पड़ गया था, हर आने जाने वाले को कुछ ना कुछ कहती रहती थी और जब कोई उसे कुछ कहता तो वह जवाब तो देती नहीं उल्टी सबसे रहती कि मुझसे तो कोई बात ही नहीं करता! कभी हंसती रहती कभी-कभी बैठे-बैठे ही रोने लग जाती!
कुछ समय के बाद उसके इकलौते पोते की भी शादी हो गई और एक चांद सी बहू घर आ गई! अब अम्मा सोचती थी की बहू सारा दिन उसके पास ही बैठे, बेचारी बहू थोड़ी देर अम्मा के पास बैठती और बातें करती, और उनकी पसंद ना पसंद पूछती, किंतु अम्मा बस अपनी ही अपनी रामायण गाती रहती,
फिर बहू बेचारी घर में अंदर आ जाती! बहु अम्मा की हर तरह से सेवा करती थी , अम्मा शाम को पोते के ऑफिस से आने के बाद उससे कहती… तेरी बहू तो मेरी बातों का जवाब ही नहीं देती! और मुंह फुलाकर बैठ जाती, बेचारा पोता क्या करता.. उसे तो पता ही था अम्मा तो किसी की भी बात नहीं सुनती!एक दिन फिर किसी बात पर मुंह फुला लिया, सुबह से शाम हो गई,
किसी को कुछ समझ ना आया! पोते ने पूछा… अम्मा क्या हुआ..? शाम को अम्मा ने अपने पोते से कहा.. बेटा मैंने तेरी बहू से भरवा भिंडी की सब्जी बनाने को कहा था पर उसने गर्दन हिला कर मना कर दिया, यह मेरा अनादर करती है और मैं इसलिए नाराज हूं! पोता सब समझ गया..
उसे पता था अम्मा सुनती नहीं है, इसलिए बहू ने हां में सिर हिलाया होगा और अम्मा को लगा बहू ने उनका अनादर कर दिया! अम्मा रात के खाने में भरवा भिंडी की सब्जी देखकर खुश हो गई! आज अपनी भूख से ज्यादा खाना खाया! तब अम्मा ने बोला… अरे बेटा.. मैं तो ऐसे ही मुंह फुलाई बैठी थी,
मुझे तो भिंडी की सब्जी खाने का मन था, अब तेरी बहू ने भिंडी की सब्जी बनाकर मेरी नाराजगी दूर कर दी! अब मैं कभी भी मुंह नहीं फुलाऊंगी! तब पोते ने कहा… अम्मा तुझे सुनाई नहीं देता इसलिए बहू ने हां मै गर्दन हिला दी थी! भगवान जाने अम्मा ने पोते की क्या बात सुनी.. क्या नहीं.. किंतु आज उसके मन से पोते और बहू के लिए आशीशों की झड़ी लग गई !
हेमलता गुप्ता स्वरचित
Kya bakwas thi yeh