सुनीता बाज़ार से सब्ज़ी लेकर आई और सब को फ्रिज में जमा करके सीरियल देखने के लिए टी वी ऑन करती है । उसी समय उसके फोन की घंटी बज उठी ।
इस समय कौन हो सकता है सोचती हुई फोन उठाने गई क्योंकि उसकी सहेलियों में सबको पता है कि सीरियल देखने के लिए सुनीता किसी के भी फोन को नहीं उठाती है।
पहली घंटी पर फ़ोन नहीं उठाया तो दूसरी बार फिर बज उठा नहीं उठाया तो तीसरी बार भी फोन बजा तो उसने टी वी का साउंड धीमी करके फोन उठाया उधर से ननंद मीना की आवाज़ थी । उसके फोन को रखते ही सुनीता की आँखों से आँसू बहने लगे थे । वह वैसे ही बिना सीरियल देखे रोते जा रही थी कि मनोज ऑफिस से घर पहुँचा । हमेशा हँसते हँसाते रहने वाली सुनीता की आँखों में आँसू देख कर कहा आज कोई आया था या किसी का फोन आया था ।
सुनीता बोलो किसने तुम्हारा दिल दुखाया है ?
मनोज और सुनीता ने घरवालों की मर्ज़ी के बिना शादी किया था। उनकी शादी को हुए पाँच साल हो गए हैं पर आज तक दोनों के घरों से इन्हें माफ़ी नहीं मिली थी ।
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मनोज को इस बात का दुख बहुत था कि उसकी छोटी बहन डॉली की शादी के लिए भी उसे निमंत्रण नहीं मिला था । उसकी शादी भाई के बिना ही हो गई थी । उसे खुशी उस समय हुई जब पता चला कि डॉली उनके ही शहर में रहती है ।
डॉली के घर उससे मिलने गया था तो उस ने बातें तो की थी पर उसकी बातों में उसके पति के ओहदा और पैसों की बू ज़्यादा आ रही थी ।
उसके बाद से मनोज सिर्फ़ राखी के दिन डॉली के पास जाकर आ जाता था । दो साल पहले उसने बेटी के पैदा होने की ख़ुशी में फ़ंक्शन पर बुलाया था तब दोनों गए थे । मनोज को मालूम नहीं क्यों लग रहा था कि कहीं डॉली या आसपडोस के लोगों ने सुनीता को कुछ कहा तो नहीं क्योंकि उनके अभी तक बच्चे नहीं हुए थे बहुत सारे डॉक्टरों के चक्कर लगा लिए थे दवाइयाँ आदि सब कुछ हो गया था पैसा पानी की तरह बहाया पर सबने एक ही बात कही है कि तुम दोनों में कोई कमी नहीं है ।
अब सुनीता को लोग तो बात बात पर ताने देने या बच्चों के ना होने की बात मुँह पर बोलने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते थे । आज भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा सोचते हुए सुनीता का हाथ पकड़कर कहता है कि कल ही हमने एक निर्णय ले लिया है ना फिर क्यों दूसरों की बातों पर ध्यान देती हो । उनका काम ही होता है दूसरों की दुखती रग पर हाथ लगाना ।
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उसने रोते हुए कहा कि ऐसी बात नहीं है मनोज डॉली ने फ़ोन करके कहा कि देखो भाभी कल मेरे बेटे के जन्म की ख़ुशी में बहुत बड़ी पार्टी रखी है । मैं तुम्हें बुलाना नहीं चाहती हूँ क्योंकि पिछली बार मेरी बेटी की पार्टी में तुम आई थी और वह चल बसी थी ।
तुम्हारे आशीर्वाद की ज़रूरत मेरे बेटे को नहीं है तो प्लीज़ हमारे घर नहीं आना ।
मनोज हमें तो मालूम भी नहीं है कि उसे बेटा हुआ है और पिछली बार उसके बुलाने पर हम उसके घर गए थे बिन बुलाए हम क्यों जाएँगे ।
मनोज ने कहा पागल वह सिर्फ़ तुम्हें बताना चाहती है कि उसको बेटा हुआ है और कुछ नहीं । तुमने सुन लिया है ना बस हो गया है । वैसे भी हमने कुछ फ़ैसला किया है कल वहीं चलते हैं ।
मैंने सुनीता को समझाया तो है परंतु मेरा दिल भी दुखी हो गया था । उसे अपनी बहन की हरकत से ग़ुस्सा आया और मैंने उसे फोन लगाया । उसके फोन उठाते ही बिना किसी हाल चाल को पूछे सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा कि देख बहना कभी भी किसी की कमी पर मजाक नहीं उड़ाना चाहिए । हम तुम्हारे बुलाने पर ही तुम्हारे घर आए थे । इस तरह से भाभी को फोन करके उनका अपना करने का हक किसने तुम्हें दिया है ।
माँ पापा ने बचपन से तुम्हें इतना लाड़ प्यार से बिगाड़ दिया गया है कि तुझे तो मालूम नहीं हो रहा है कि तुम किससे और क्या बात कर रही हो ।
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तेरे पति किस तरह से पैसे कमा रहे हैं । मैं भी जानता हूँ । समाज में लोग उनके बारे में कैसी राय रखते हैं यह भी मैं जानता हूँ लेकिन मैंने तो कभी तुमसे कुछ नहीं कहा है। आज तुमने हमारा दिल दुखाया है यह तुमने अच्छा नहीं किया है कहते हुए फोन रख दिया था ।
मैं और सुनीता दूसरे दिन एक अनाथालय पहुँच गए । वहाँ हमारे आने की ख़बर सबको पहले से थी । उन्होंने छोटे छोटे बच्चों को तैयार किया और हमारे पास लाए थे ।
वहाँ जैसे सभी बच्चों को पहले से ही मालूम था कि ऐसे ही कोई आते हैं और उनमें से ही किसी एक को लेकर चले जाते हैं । वे किसी के आने पर उदास नहीं होते थे बल्कि खुश हो जाते थे । आज भी इन्हें देखते ही
सब इनके इर्द-गिर्द बैठ गए । मनोज और सुनीता के पूछने पर शर्माते हुए अपनी तोतली भाषा में बता रहे थे ।
उसी समय सुनीता की नज़र एक बच्ची पर पड़ी जो खिड़की के पास खड़ी थी । सुनीता को उधर देखते हुए देख मेनजर ने कहा कि मेम उस लड़की को पता है कि उसे कोई भी गोद नहीं लेगा इसलिए वह किसी के आने पर भी कोई उम्मीद नहीं रखती है और वहाँ खिड़की के पास जाकर बैठ जाती है ।
सुनीता वहाँ उस बच्ची के पास जाती है तब देखती है कि उस बच्ची को बचपन में ही पोलियो हो जाने से वह चल नहीं पा रही थी।
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सुनीता ने उसे गोद में उठाया और मनोज के पास लाकर कहा कि हम इसे गोद लेंगे । उसने बच्ची से नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम मोली है । मनोज को भी वह पसंद आ गई थी । इसलिए उसे गोद लेने की फॉरमाल्टीस पूरा करके उसे घर ले गए ।
मोली को गोद लेकर साल बीत गए । इस बीच मनोज की बहन डॉली भी दूसरे शहर चली गई थी । मोली ने दसवीं की परीक्षाएँ लिखीं थीं जब उसका परिणाम घोषित हुआ तो मोली स्टेट फ़र्स्ट आई थी ।
अनाथालय के मैनेजमेंट ने मोली का सम्मान करना चाहा तो मनोज और सुनीता उसे अनाथालय लेकर गए । उन्हें पहली पंक्ति बिठाया गया और कार्यक्रम की शुरुआत हुई। अध्यक्ष कुछ लोगों के नाम पुकारकर स्टेज पर बुलाकर बिठा रहे थे तब मनोज ने देखा कि डॉली के पति को भी स्टेज पर बिठाया गया था वे अनाथालय को बहुत बड़ी रकम डोनेट करने वाले थे ।
मनोज ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी बहन डॉली भी बैठी हुई थी । उसे सालों बाद देखा तो मनोज की आँखें भीग गई थी । डॉली ने भी भाई को देखा और उसके पास आकर बैठ गई परंतु बोली कुछ नहीं थी ।
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उसी समय मोली को स्टेज पर बुलाया गया और एनांउंस किया गया था कि यह हमारे ही अनाथालय की बच्ची है । हमें यह कहते हुए हर्ष हो रहा है कि मोली ने स्टेट फ़र्स्ट आकर हमारे अनाथालय का नाम रोशन कर दिया है । मोली स्टेज पर चढ़ती है सबने देखा कि अब वह अच्छे से चल रही थी । सुनीता की कड़ी मेहनत ने उसके पोलियो वाले पैर को बहुत कुछ ठीक कर दिया था अब वह क्लेचस पहन कर चल रही थी जो किसी को दिखाई नहीं दे रही थी ।
मोली अपना ट्रॉफ़ी लेकर नीचे आई थी तो सबने उसकी तारीफ़ की डॉली ने भी उसे बधाई दी थी ।
मनोज की तरफ़ मुड़कर देखते हुए
डॉली ने कहा कि भाई मुझे माफ कर दो मेरी करनी का फल मुझे मिल गया है । मेरा बेटा छह महीने पहले एक बाइक एक्सिडेंट में गुजर गया है तब मेरे पास सब कुछ था आज मेरे पास कुछ नहीं है कहते हुए उसकी आँखें भीग गई । उसने मोली को एक बार फिर गले लगाया और बार बार पीछे मुड़कर देखते हुए वहाँ से चली गई थी।
मनोज ने कहा कि सुनीता मुझे आश्चर्य हो रहा है कि डॉली मोली को बार बार इतना प्यार कर रही है ना ।
सुनीता ने कहा कि जी मैं जब यह छोटी सी थी तब मैंने उसे देखा था । उसके बाएँ हाथ पर एक काला सा दाग था । जब हम अनाथालय में गए थे तब उसे देखा उसके नाक नक्श और दाग उसी जगह दिखाई दिया । मैं समझ गई थी कि यह डॉली की बेटी है ।
मनोज ने अचरज में आकर कहा कि क्या कह रही हो यह मोली मेरी बहन डॉली की बेटी है ।
सुनीता ने कहा जी यह डॉली की बेटी है । वह उसे पहचान भी गई थी इसलिए आँखों में आँसू भरकर यहाँ से चली गई है ।
मनोज को मोली पर और भी ज़्यादा प्यार आ गया था । उसे अच्छा लग रहा था कि वह उसकी बहन की बेटी को ही गोद लेकर पाल रहा है ।
के कामेश्वरी