बदलाव – रीटा मक्कड़

एक तो लॉक-डाउन के साथ कर्फ्यू

ऊपर से घर पर भी दिन रात हर घड़ी हर पल का कर्फ्यू

सच ही तो है पति लोग तो कर्फ्यू की वजह से घर पर हैं लेकिन हम औरतों के लिए तो घर पर ही कर्फ्यू लगा हुआ है जिसमे कोई ढील नही। दिन रात सबकी फरमाइशों को पूरी करते और काम वाली बाई के हिस्से के काम करते करते जैसे कमर तो टूट ही गयी है।

पतिदेव खाना खाने के बाद आराम से बेड पर लेटे हेडफोन लगाए फोन में शायद अपने कोई मनपसंद संगीत सुनने में मस्त थे।सुनीता भी इतनी थक गई थी कि किचन समेटने के बाद थोड़ा रिलैक्स होने के लिए आ कर कुर्सी पर ही पीठ लगा कर बैठ गयी।आंखें बंद करते ही दिमाग को ख्यालों ने आ घेरा।

उसे अच्छे से याद था वो दिन जब उसने  बेटी के कहने पर अपना फेस बुक एकाउंट बनाया था। बेटी तो सब कुछ समझा कर अपने ससुराल चली गयी। सुनीता को जब भी कोई दिक्कत होती तो बेटी को फोन या मैसेज करके पूछ लेती। धीरे धीरे सुनीता को सब कुछ समझ आ गया अब वो खाली समय मे फेसबुक के बहुत से अच्छे अच्छे समूह में अपनी सखियों के साथ समय बिताने लगी।

लेकिन राजीव को शायद ये चीज कभी गवारा नही हुई वो जब भी मौका मिलता उसे कुछ न कुछ सुना देते। कई बार तो ऐसी ऐसी बात कह के उसको जलील करते कि सुनीता को लगता कि फोन को ही उठा कर बाहर फेंक दुं।सारे फसाद की जड़ ही यही है। ना रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। वो तो बोल के चले जाते लेकिन सुनीता बाद में बहुत देर तक आंखों में आंसू लिए बैठी रहती कि इनको कैसे समझाऊं कि मैं कुछ भी गलत नही कर रही हूं।


धीरे धीरे सुनीता ने राजीव को अपने विश्वास में लेकर उन्हें अपने ही फोन से फेसबुक से अच्छी अच्छीपोस्ट दिखानी शुरू की। कभी कभी रिश्तेदारों के फोटो और कभी बढिया सी रेसिपीज। कभी धार्मिक पोस्ट या फिर उनकी मनपसंद जगह के फोटो।

फिर एक दिन यू ट्यूब से उन्हें उनके मनपसंद गाने भी सुनाने शुरू कर दिए कि देखो आप जो गाना कहोगे वो ही सुनने को मिल जाएगा।

उनके दिमाग मे शायद इंटरनेट और फेसबुक के बारे में उनके किसी यार दोस्त ने बहुत गलत बातें भर रखी थी। उनको निकालना सुनीता के लिए बहुत ही मुश्किल और तकलीफदेह हो गया था। ऊपर से कभी किसी रिश्तेदार या दोस्त से मिलना होता तो उनकी बातें आग में घी का काम करती,”भाभी जी आप तो आजकल फेसबुक पर हमेशां छाई रहती हैं। या फिर” आप तो हमेशां ऑनलाइन रहती हैं।”

या फिर “भाभी जी आपके फोटो तो देखने वाले होते हैं लगता है बहुत शौनक है आपको फोटो  खिंचवाने और  फेस बुक पर डालने का।”

राजीव किसी के सामने तो कुछ नही कहते बस उसे घूर कर देखते लेकिन घर आकर उसे सुनाने में कोई कसर नही छोड़ते।सुनीता भी घर आकर ऐसे लोगों को अपनी फ्रेंड लिस्ट से हटा देती चाहे वो उसके नजदीकी रिश्तेदार ही होते ताकि वो दोबारा न तो उसकी कोई पोस्ट देख पाएं और ना ही कुछ सुना पाएं।

फिर एक दिन सुनीता ने मौका देखकर राजीव का भी फेसबुक पर एकाउंट बना दिया। धीरे धीरे पहले सभी रिश्तेदारों और पहचान वालों को जोड़ा फिर ढूंढ ढूंढ कर उनके सभी नए पुराने दोस्तों को भी जोड़ दिया। उनकी ढूंढ कर अच्छी सी फोटो भी लगा दी।फोटो पर जब सबके कमेंट आते तो उनको दिखाती तो उनको खुशी तो बहुत होती लेकिन दिमाग मे जो बातें जड़ो तक घुसी हुई थी उनको निकालना बहुत ही मुश्किल काम था।


सुनीता कई बार वत्सप्प और फेसबुक की पोस्ट उनको दिखाती और उनको बोलती कि इसको शेयर करो अपने दोस्तों के साथ।या फिर सब को रिप्लाई करो तो आगे से रूखा से जवाब मिलता,’ये वेहले काम मुझ से नही होते न ही मुझे पसंद हैं। तुम जो करना है करो मैंने नही करने”

फिर धीरे धीरे उनमें इतना बदलाव आ गया कि जब उनके जन्मदिन या किसी त्योहार पर सबकी बधाईयां देने के संदेश आते तो वो सुनीता को बोलते  कि  ये लो फोन सबको रिप्लाई कर दो।

आज एक महीना हो गया लॉक-डाउन और कर्फ्यू को।

पहले दिन जब बहुत बोर हो रहे थे तो सुनीता ने फेसबुक खोल कर फोन उनके हाथ मे  थमा दिया कि देखो इसमें आपको सभी देश विदेश की खबरें लाइव मिलेंगी।जब बोर होंगे तो मनपसंद संगीत भी सुन लेना।उसने उनके फोन में गाना एप्प डाउनलोड तो की ही साथ ही बहुत से न्यूज़ चैनल को भी जोड़ दिया। साथ ही उसने उनके फोन पर हैड फोन भी लगा दिए।

आज हालत ये है कि राजीव सुबह उठते चाय नाश्ता सब कुछ हाथ मे फोन और कान पर हेडफोन लगा कर करते हैं।जो रात को उसके हाथ मे फोन देख कर इतना बोलते थे अब खुद देर रात तक फोन में ही घुसे रहते हैं।सुनीता को अब खुद को भी उनसे ही ताजा खबरें सुननी पड़ती हैं।कल तो सुनीता ने रात को चुपके से उनकी खाना खाते हुए फोन देखने की वीडियो भी  बना कर बेटी को भेज दी।

अब कोई ये ना कहे कि लॉक-डाउन बहुत बुरा है क्योंकि सुनीता के पति में तो लॉक-डाउन की वजह से ही ये आश्चर्यजनक बदलाव आया है।

स्वरचित एवम मौलिक

रीटा मक्कड़

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