कल रात टीवी पर समाचार देखा कि पुणे में कोरोना के कहर से बचने के लिए सब बाज़ार वगैरह बंद कर दिए गए हैं, तभी से वो बहुत व्याकुल हैं….हाय हाय लल्ला जी उधर ही तो गए हुए हैं अपने बेटा बहू के पास, कितनी परेशानी हो रही होगी….।
फिर दूसरे ही क्षण उन्होंने मुँह बिचका कर कंधों को झटका दिया तो सारे बाल उनसे भी अधिक तैश में आकर पीछे झूलने लगे….ऊँह, मुझे क्या! सारे जहां की चिंता मैं ही करती रहूँ! उन लोगों को तो हमसे कोई लगाव ही नही है…।
तुरंत आत्मा ने धिक्कारा,” अरी मीना! तू तो बड़ी है, समझदार है! तू तो नादानी मत कर! लल्ला जी का परिवार रूठा है ,कोई बात लग गई होगी!”अरे लग गई तो लग गई! एक वोही ज्यादा होशियार हैं, हमें बातें बुरी नही लगती क्या पर मजाल है कि कभी ….”
यही सब सोचते सोचते एकाएक ख्याल आया,” लल्ला जी और वीना रानी इस बार जिस तरह अफ़रातफ़री में भाग कर गए थे ,तो थोड़ी चिंता हुई थी पर फिर मन में आया …..कुछ चिंता की बात होती तो लल्ला जी भले ही ना बताते पर वो तो अवश्य ही शेयर करती…. अरे आखिर अपने तो अपने ही होते हैं..।
वो खाली समय में यही सब मंथन करती रहती थी कि एक दिन मन में आया ….हो ना हो , उनकी बहू अलका कुछ खुशखबरी दे रही है, शुरू के तीन माह विशेष देखभाल की जरूरत होती है ना ।
“हाय राम ! ये तो बेहद खुशी की बात है पर उन्होंने हमें बताने की कोई जरूरत नही समझी! ठीक है, अब हम इतने गैर हो गए! झगड़ा इनसे(बड़े भैया)था, हम बीच में कहां से टपक गए।”
कई बार मोबाइल उठाया पर ना जाने क्यों ,किसी अज्ञात शक्ति ने जैसे रोक दिया…. कुछ पति देव का भी डर था। वो बराबर कहते थे,” छोटे ने तो हद कर दी है! कुछ समझ में नही आता , वो चाहता क्या है! दो महीने हो गए पर कोई खोजखबर नही है !अब हम भी छोड़ देते हैं।”
पर आज टीवी के समाचार के बाद वो व्याकुल हो गई और फोन लगा बैठी,”अरे छोटी! तुम सब ठीक तो हो ना!बहू को खूब बचा कर रखना! इस समय बहुत सम्भल कर रहना होगा।”
उधर से वो’प्रणाम जीजी’ कह कर चुप सी हो गई, “क्या बात है छोटी! तुम चुप क्यों हो?तुम दादी बनने वाली हो ना!अब अपनों से क्या छिपाना! बता भी दो।”
थोड़ी देर की असहनीय चुप्पी के बाद वो (वीना रानी) बोली,” जीजी! बधाई हो! आप बड़ी दादी बनने जा रही हो। आपका पूरा आशीर्वाद चाहिए।”
#अपने_तो_अपने_होते_हैं
नीरजा कृष्णा
पटना