बड़ी बहू – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

निकिता..! तुम्हारे जेठ सलिल विवाह क्यों नहीं करना चाहते  हैं..?? अच्छी खासी उम्र है फिर भी कुंवारे बैठे हैं!! मेरे परिवार में एक लड़की है तुम कहो तो मैं बात चलाऊं?एक बार तुम अपने सास ससुर से बात करके देखो! सलिल मान जाते हैं तो मुझे बताना, चाची बोली।

सच में..! सलिल भैया देखने में बहुत सुंदर हैं। पढ़ाई लिखाई भी विदेश से करके आए हैं फिर…  विवाह के प्रति इतना उदासीन क्यों रहते हैं??

निकिता ने अपने पति रमन से कई बार पूछा- रमन ने बस इतना ही बताया कि किसी को कुछ पता नहीं है कि वह विवाह क्यों नहीं करना चाहते?? जब भी सलिल भैया को विवाह के लिए बोला जाता वह सीधे मना कर देते, और कहते अभी मेरा लक्ष्य मुझे नहीं मिला है..!! 

सलिल भैया ने अमेरिका से एम. एस. करने के बाद पीएचडी की, इसके बाद कुछ समय तक वहां रहकर जॉब भी किया, लेकिन देश प्रेम उन्हें वापस खींच लाया। यहां आने के बाद उन्हें मन पसंद जाब नहीं मिल पाई। जिस कारण वह हमेशा बुझे- बुझे से रहने लगे।

दो भाइयों में सलिल बड़े और रमन छोटे थे। माता-पिता जब भी सलिल को बोलते  कि अब तुम्हारा विवाह होना चाहिए!! क्योंकि रमन भी विवाह योग्य हो गया है।

सलिल भैया ने साफ मना कर दिया कि मैं विवाह नहीं करूंगा…!! आप रमन का विवाह कर दीजिए।

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माता-पिता ने थकहार कर रमन का विवाह निकिता से कर दिया। अब सलिल भैया को कोई भी विवाह के लिए दबाव नहीं डालता। माता-पिता भी छोटे बेटा बहू से खुश रहते। माता-पिता को कभी-कभी मलाल होता… काश!! सलिल भी विवाह कर लेता तो कितना अच्छा होता..?? आंख मुँदने से पहले अपना हंसता खेलता सम्पूर्ण परिवार देख लेते।

निकिता के दो जुड़ुवा बेटों ने जन्म लिया। घर में खुशहाली बिखरी हुई थी लेकिन, ऐसा लगता था कि सलिल भैया ने दुनिया से वैराग्य ले लिया है। उनके जिंदगी में हंसी-खुशी कुछ भी मायने नहीं रखती थी। अब वह अपने कमरे तक ही सीमित रहते थे। वहीं उनको खाना दे दिया जाता। न ही किसी से बात करते और न ही किसी से मिलते जुलते थे। 

मां ने कई बार समझाने की कोशिश की लेकिन पता नहीं चलता उन्हें क्या गम खाये जा रहा था। मांँ ने कहा अगर तुम्हारी पसंद का यहां जॉब नहीं है तो तुम वापस अमेरिका चले जाओ!! लेकिन सलिल भैया हां, ना कुछ नहीं बोलते। बस अपने आप में खोए रहते।

एक दिन रमन और निकिता स्कूटी से घर का सामान लाने बाजार जा रहे थे कि अचानक उनके सामने ट्रक आ गया वह अपना बैलेंस नहीं बना पाए, उनकी स्कूटी ट्रक से टकरा गई। जहां दोनों की मृत्यु हो गई।

पूरे घर में मातम छाया हुआ था सलिल अपने कमरे से निकलकर सबकुछ ऐसे देख रहा था जैसे नींद से जागकर दुनिया देख रहा हो। दोनों छोटे बच्चे लगातार रोए जा रहे थे उनको संभालने वाला कोई नहीं था। सलिल को इस घटना ने झिंझोड़ कर रख दिया था। उसने दोनों बच्चों को आज पहली बार गोद में उठाया, और अपने सीने से लगा लिया। बच्चों ने गोद पाकर रोना बंद कर दिया।

सलिल ने दोनों बच्चों को चम्मच से दूध पिलाया आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी दुनिया किसी ने हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर दी।

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सलिल के सिवाय माता-पिता और बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं था। सलिल को दुनियादारी का कुछ अता-पता नहीं था…. फिर भी वह सब कुछ कर रहा था। उसके बदले हुए रूप को देखकर माता-पिता को बहुत आश्चर्य हुआ।

सलिल रात- रात भर जागकर बच्चों को बोटल से दूध पिलाना, सुलाना और अपने माता-पिता को संभालना बस यही उसकी दिनचर्या बन गई थी।

भाई और छोटी बहू तो इस दुनिया को छोड़कर चले गए बस!!  रह गया खौफनाक सूनापन।

कहते हैं जब इंसान के ऊपर जिम्मेदारी आती है तब उसे दुनियादारी निभाना अपने आप ही आ जाता है। वहां किसी को सीख, सलाह की जरूरत नहीं पड़ती।

सलिल को घर और बच्चे संभालना बहुत मुश्किल हो रहा था। मां ने एक बार फिर एक उम्मीद के साथ सलिल को विवाह करने के लिए बोला। सलिल ने हालात से समझौता कर लिया और अपनी मौन सहमति दे दी।

सलिल की मौसी ने अपनी एक सहेली की लड़की के लिए विवाह का प्रस्ताव भेजा।  थोड़ी बहुत औपचारिकता के पश्चात सलिल का विवाह रश्मि के साथ हो गया। रश्मि पढ़ी-लिखी समझदार लड़की थी। 

विवाह की पहली रात सलिल ने रश्मि से अपने घर के सभी हालात बता दिए। और कहा मुझे विवाह में कोई रुचि नहीं है। मैंने इन दोनों बच्चों एवं माता-पिता के खातिर विवाह किया है। मैं पति होने के नाते तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा। 

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मैं तुमसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं यदि उचित लगे तो मेरे साथ मेरे घर को संभालने में मेरी मदद करें।

रश्मि ने सहमति में सिर हिला दिया, और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर यह वादा किया कि आपको कभी शिकायत मौका नहीं मिलेगा।

दूसरे दिन रश्मि जल्दी उठकर पूजा पाठ करने के पश्चात बच्चों के दूध का बोतल साफ कर रही थी। मां ने देखा तो बोली- बड़ी बहू तुम्हें इतनी जल्दी उठने की जरूरत नहीं है अभी हम कर सकते हैं!!

सलिल सुबह उठा तो उसकी आंखें कुछ तलाश कर रही थी। मां ने पूछा क्या ढूंढ रहे हो..? इतना सुनते ही वह लजा गया। मां ने मुस्कुराते हुए आवाज लगाई बड़ी बहू सलिल को चाय दे दो।

मां ने रश्मि से पूछा- बड़ी बहू एक बात पूछूं..?? 

तुम्हें सलिल से कोई शिकायत तो नहीं है..? रश्मि लजाते हुए बोली…. नहीं मांँ। वह तो मुझे बहुत प्यार करते हैं, ख्याल भी बहुत रखते हैं। मां दोनों के रिश्ते से आश्वस्त हो गई। 

रश्मि दोनों बच्चों का बहुत अच्छे से  पालन- पोषण कर रही थी। दोनों की पढ़ाई-लिखाई एवं सभी प्रकार की ऊंच नीच की शिक्षा देती रहती थी। 

बच्चे स्कूल से आने के बाद एक-एक बात अपनी मां रश्मि को बताते, रश्मि भी इत्मीनान से उनकी पूरी बातें सुनती। दोनों बच्चे रश्मि को मां और सलिल को पापा कहते थे। 

कुछ कानूनी प्रक्रिया के बाद सलिल और रश्मि ने उन्हें गोद ले लिया था।

स्कूल में भी माता-पिता के नाम की जगह सलिल और रश्मि का ही नाम लिखा था। 

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रश्मि के विवाह के करीब सात साल हो गए थे लेकिन उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी। मां ने कई बार रश्मि से पूछना चाहा पर रश्मि ने बात हंसी में टाल दी। 

बड़ी बहू…!! बीस रुपए देना। सब्जी वाले को देने हैं मेरे पास खुले नहीं है।

बहू ने अपने बैग की तरफ इशारा करते हुए कहा मां उसमें रखें हैं आप निकाल दीजिए। मां पैसा निकाल रही थी तभी उसके हाथ में एक गर्भनिरोधक गोलियों का पैकेट आ गया।

मां ने बड़ी बहु से कुछ नहीं कहा। एक दिन जिस डॉक्टर की देखरेख में वह दवा खाती थी उसके पास जा धमकी, और बोली मेरी बड़ी बहू आपके पास किस चीज का इलाज कराती है।

डॉक्टर बोली- उनके दो बच्चे हैं। उन्हें और कोई बच्चा नहीं चाहिए इसलिए उसकी रोकथाम के लिए मेरे पास आती है। एक बार उन्होंने दो महीने का गर्भपात भी कराया था। 

सासू मां ने कुछ नहीं कहा और कुछ सोचते हुए उठ खड़ी हुई। 

अभी तक, वह सोचती थी कि बड़ी बहू को संतान क्यों नहीं हो रही है…. ? लेकिन, आज उनकी असलियत का पता चल गया। वह अपनी देवरानी के दोनों बच्चों के अलावा तीसरा बच्चा इस दुनिया में लाना ही नहीं चाहती है।

धीरे धीरे दोनों बच्चे बड़े हो गए। बच्चों ने बारहवीं परीक्षा के साथ-साथ नीट का परीक्षा भी क्वालीफाई कर ली । काउंसलिंग में दोनों बच्चों का चयन एम बी बी एस के लिए हो गया। दोनों बच्चों को कभी भी यह पता नहीं चल पाया कि रश्मि और सलिल के अलावा भी उसके कोई और मां-बाप हो सकते हैं।

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बड़ी बहू ने इस घर के साथ-साथ बच्चों और खास कर सलिल को बदल दिया। सलिल अब सामान्य व्यक्ति की तरह सभी के साथ व्यवहार करता। मेरी बड़ी बहू ने उजड़ी हुई बगिया को अपनी मेहनत और त्याग से खूबसूरत उपवन में बदल दिया।

 

– सुनीता मुखर्जी “श्रुति”

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           लेखिका 

हल्दिया, पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल

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