गायत्री देवी अपने घर की स्थिति से इतनी दुखी हो गईं और घबरा कर प्रेरणा से बोलीं ——–बड़ी बहू मेरी बात ध्यान से सुनो——- तुम अपने बेटे यश को लेकर अपने मायके चली जाओ अपन तो बहुत कर्जे में आ गए हैं! प्रेरणा अपनी सास से बोली—– मैं– ऐसा नहीं कर सकती अरे मां कैसी बातें कर रही हैं! मेरा बेटा यश आपका पोता है! और जब आपने अच्छे में हम सबका साथ दिया तो मैं आपको ऐसे कैसे छोड़ सकती हूं पूरा परिवार मेरा अपना है।
प्रेरणा को याद आता है और वह अपने ख्यालों में खो जाती है, जब वह बड़ी बहू बनकर इस घर में आई थी और घर में कोई कमी नहीं थी इतने नौकर चाकर थे, बड़ा सा बंगला था, बड़ा बिजनेस था, मेरा पति अनुराग और छोटा देवर आदित्य और पापा विनायक मां गायत्री देवी सबने मिलकर कितनी खुशियां मनाई थीं, और मेरा खूब स्वागत किया था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे” मैं रानी बन गई” सब लोग मुझे बहुत चाहते थे
एक साल बाद मेरा बेटा हुआ यश तो परिवार में और ज्यादा खुशियां बढ़ गईं पापा मम्मी तो हाथों हाथ रखते थे प्रेरणा को याद आता है उसने फाइन आर्ट का डिप्लोमा किया था और एक प्राइवेट कंपनी में डिजाइनर थी और वह पहले नौकरी करती थी लेकिन शादी के बाद सास ससुर को पसंद नहीं था इसलिए उन्होंने बोला घर में कोई कमी नहीं है बेटा नौकरी करने की जरूरत नहीं है और मैंने भी अपनी खुशी से नौकरी छोड़ दी।
लेकिन अचानक से हमारे परिवार की कंपनी के ऊपर एकदम परेशानी आ गई कंपनी को बहुत बड़ा घाटा हो गया और लॉस पर लॉस होने लगा——- पापा ने और मेरे पति और छोटे देवरा ने इधर-उधर से कर्जा लेकर अपनी कंपनी को बचाना चाहा लेकिन कंपनी फिर भी डूवती चली गयी अब क्या होगा? पूरा परिवार सोच में पड़ गया? और फिर तो कर्जदार आकर रोज ही दरवाजे पर दस्तक देना शुरू कर देते !
जोर-जोर से बोलते हमारा पैसा वापस करो! ब्याज इतना बढ़ गया कि जीना मुश्किल हो गया कहां से इतना पैसा दें? मकान भी गिरवी रख दिया और रिश्तेदार दूर भागने लगे पहले तो कुछ लोगों ने सहायता भी की फिर जिससे भी सहायता मागते वही कहता अगर तुम्हारी हमने सहायता की तो हम भी गड्ढे में गिर जाएंगे!
यह सुनकर मेरे ससुर को एकदम सदमा लगा और एक दिन हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई, ससुर जी भी छोड़कर इस दुनिया से चले गए। “प्रेरणा ने सोचा मैं हिम्मत नहीं हारूंगी”——– और उसने नौकरी के लिए अप्लाई किया वह एक अच्छी कंपनी में डिजाइनर रह चुकी थी इसलिए उसके डिजाइन बहुत प्रसिद्ध थे उसने कुछ घर बैठे डिजाइन बनाए और एक कंपनी में जॉब भी कर लिया।
प्रेरणा का पति अनुराग और छोटा देवर आदित्य भी बैठे नहीं रहे छोटी-छोटी कहीं नौकरी कर लिए, लेकिन घर का माहौल इतना खराब हो गया की रोज ही कर्जदार दरवाजा खट खटाने लगे सुबह उठते से ही डर लगा रहता था पता नहीं कौन पैसे मांगने आ जाए? अब क्या करें? गायत्रीदेवी भी घबरा गईं थीं उन्हें लगा मेरे पति तो इस स्थिति का सदमा सहन नहीं कर पाये दुनिया से ही चले गए!
पर मुझे अपने बच्चों को बहुत हिम्मत दिलानी है। मन ही मन मां रोतीं लेकिन बच्चों के सामने दिखाती नहीं थीं,——– बड़ी बहू प्रेरणा अपनी मां की स्थिति समझ रही थी पर गायत्री देवी को भी अपनी बड़ी बहू पर बहुत गर्व था और विश्वास था प्रेरणा ने तुरंत एक नौकरी भी ढूंढ ली थी वह होशियार, पढ़ी लिखी थी, डिजाइनर थी, उसको अच्छी नौकरी मिली और घर बैठे रात-रात भर डिजाइन बनाकर कंपनियों को बेचना शुरू किया देखते देखते कर्ज उतरना शुरू हो गया।
प्रेरणा के डिजाइन कंपनी को इतने पसंद आए और उससे कंपनियों को फायदा होने लगा और कंपनी वालों ने उसका प्रमोशन कर दिया और तनख्वाह बहुत बड़ा दी इधर प्रेरणा रात-रात को मेहनत करती डिजाइन बनाती उसकी सास भी होशियार थी वह भी प्रेरणा के साथ डिजाइन में मदद करती थीं और देखते-देखते डिजाइनों में भी मुनाफा होने लगा और डिजाइन के इतने पैसे मिलने लगे कि दोबारा उसने अपना बिजनेस खड़ा करवा दिया दोनों भाई खुशी से झूम उठे प्रेरणा से बोले तुम इतनी बुरी स्थिति में भी हिम्मत नहीं हारीं और हम सब पूरे परिवार को हिम्मत दी गायत्री देवी “अपनी बड़ी बहू को कहने लगीं यह तो साक्षात लक्ष्मी है सारा कारोबार वापस मिल गया”———!
लेकिन जो रिश्तेदार इतनी परेशानी में दूर भाग गए थे उन्होंने देखा कि इनकी कंपनी तो फिर से खड़ी हो गई, फिर से यह मालामाल हो गए और फिर उनके नौकर चाकर लग गए इनका गिरवी रखा घर भी वापस आ गया, यह देख कर फिर से उन्होंने आना जाना शुरू किया! लेकिन गायत्री देवी इस स्थिति को समझ चुकी थीं जो भी मिलने आता था उनसे बोलतीं अरे भाई——- हमसे मिलोगे तो तुम भी गड्ढे में गिरोगे——-हमारी परेशानी देखकर यही बोलते थे ना आप सब? शर्म से सब का सिर झुक जाता। सारे रिश्तेदारों को अपनी गलती महसूस हुई सब ने मिलकर माफी मांगी।
गायत्री देवी की बड़ी बहू प्रेरणा बहुत समझदार थी बोली मां सबको माफ कर दीजिए अपनी स्थिति खराब थी इसलिए उन लोगों ने ऐसा किया जो उन्होने किया वह उनके साथ अपन तो अच्छा फंक्शन करेंगे और देवर की शादी भी अच्छी जगह करेंगे देखते देखते आदित्य की शादी भी एक अच्छे बड़े परिवार की लड़की सान्वी से कर दी, प्रेरणा ने छोटी बहू सान्वी को भी अपनी छोटी बहन की तरह माना और उससे अच्छा व्यवहार कर घर के सारे नियम कायदे सिखाऐ। सान्वी बहुत बड़े घर में पली, बड़ी थी इसलिए उसे कोई काम में इंटरेस्ट नहीं था, और ऊंचे ऊंचे सपने देखती थी पर बड़ी बहू ने कभी उसको परेशान नहीं होने दिया, और उसके सपनों को साकार करने की भी कोशिश की यह देखकर सान्वी भी साहृदय हो गई, और अपनी जेठानी को बड़ी बहन की तरह चाहने लगी प्यार से सब अपने हो जाते हैं।
आज पूरा परिवार और रिश्तेदार सभी बड़ी बहू प्रेरणा की खूब तारीफ करते हैं की इतनी बुरी स्थिति में उसने हिम्मत नहीं हारी और घर की परेशानियों को कभी किसी के सामने उजागर नहीं किया अपने मायके में कभी नहीं बताया और” उसने अपने घर को स्वर्ग बना दिया तभी कहते हैं बड़ी बहू बड़े भाग्य”।
तो दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी इस कहानी से यही प्रेरणा मिलती है कोई भी कैसी भी परेशानियां आए लेकिन उनसे घबराना नहीं चाहिए जैसे प्रेरणा नहीं घबराई और उसने डटकर अपने परेशानियों से निकलने का रास्ता ढूंढा और पूरे परिवार की हिम्मत बनकर अपनी योग्यता को काम में लाई “ऐसे ही सभी लड़कियां किसी न किसी की बड़ी बहू होती हैं और अपने घर की परेशानी अपने तक रखें और रास्ता ढूंढे तो घर स्वर्ग बन जाता है”।
मेरी कहानी पढ़ कर प्रतिक्रिया अवश्य दें और लाइक शेयर करें।
सुनीता माथुर
स्वरचित, मौलिक रचना
पुणे महाराष्ट्र
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