बड़ी बहू – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

किरण को आज नींद नहीं आ रही थी ,उसे बार — बार ये ख्याल आ रहा था कि कही कल सुबह उठने में देर न हो जाए …   मुकेश जी ने करवट बदलते हुए कहा ,अरे  तुम सो क्यों नहीं रही ? क्या बात है  , कुछ बताओगी ?

अरे कुछ भी नहीं , कल  दीपू की  परीक्षा का टेंशन है , बस  … आप सो जाइए।

और तुम ? मैं सुबह जगा दूंगा , अब सो जाओ ।

दीपक सबसे छोटा देवर था , जिसका कल बारहवीं का साइंस का पेपर था। किरण खूब मेहनत की थी । वो मुकेश जी से दस साल छोटा था। किरण माँ जैसा स्नेह करती थी। 

किचन की सफ़ाई करते हुए  पापा जी ने चाय के लिए आवाज़ लगाई , उधर पतिदेव को दीपू को एग्जाम सेंटर भेजना था , अम्मा  पैरों की तकलीफ़ के कारण ज्यादा भागदौड़ नहीं कर पातीं हैं ।

अम्मा ने ससुर जी को डांट लगाई , बहुत शोर मचाते हैं आप ? किरण अकेली कितना करेगी ,बिचारी कभी कुछ बोलती नहीं , लेकिन मैं जानती हूं।

आप देखे  न , कल तुलसी में जल अर्पण करती हुई बेहोश हो गई। रघुवीर जी ने बच्चों सी हरकत करते हुए अपने होठों पर चुप रहने के लिए इशारे से दिखाकर हंस पड़े।

  सुमित्रा जी भी खिलखिलाकर हँस पड़ी ।

दीपक ने सभी के पैर छुए , भाभी के हाथों दही चीनी खाकर विदा हुआ ।

 किरण अपने कमरे में झांकी तो रूही पलंग पर बैठी मुस्करा रही थी ।

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किरण की शादी के पांच साल हुए थे , उसने अपनी ससुराल में सभी का मन जीत लिया था।

 उससे छोटी देवरानी का पहला बच्चा होनेवाला था, इसलिए सासु मां ने मायके बनारस भेज दिया था।

 किरण को पिछले साल पता चला था, उसके पेट में पथरी थी । बात आपरेशन की थी ,किंतु उसी बीच ननद की शादी थी , तो उसने टाल दिया । गर्मी की छुट्टियों में करवाना चाहती थी ,किंतु घर में किसी के न होने के कारण नहीं हो पाया।

आज अम्मा ने किरण को बुलाकर कहा , बेटा तुम्हारी तबियत ठीक नहीं रहती ,सबका ख्याल रखती हो, लेकिन अपने बारे में भी सोचो , क्या हुआ अम्मा ? मैं समझी नहीं ।

तुमने मुझे कभी शिकायत का मौका नहीं दिया, अब दीपू की परीक्षा के बाद सबसे पहले तुम अपना ऑपरेशन करवाना , समझी मेरी बच्ची , लेकिन अम्मा आपलोगों का ख्याल कौन रखेगा ? 

तू वो सब मुझपर छोड़ दे , बस डॉ ० से मिलकर तारीख ले लेना । अम्मा ने रागिनी को सारी बात बताई , वो भाभी को देखने एक महीने के लिए मायके आ गई ।

 आज किरण का ऑपरेशन था । सारे टेस्ट नॉर्मल थे , किंतु अपना ध्यान नहीं रखने के कारण खून की कमी थी , सभी परेशान थे।

 किरण का मंझला देवर उससे थोड़ा खींचा खींचा रहता था, क्योंकि उसे लगता था कि अम्मा ,बाबूजी भाभी के सामने उसकी पत्नी कोमल को प्यार नहीं करते हैं ।

 उसने ऑफिस से आते ही अस्पताल पहुंचकर सारी जानकारी ली , जब उसे कल के ऑपरेशन टलने की बात पता चली , तो चुपचाप बाहर आ गया।

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उसने डॉ ० से मिलकर अपना सारा टेस्ट कराया और अपनी भाभी को बल्ड देकर ऑपरेशन करवाया ।

किरण तीन दिनों में सकुशल घर आ गई ।

रूही को रागिनी ने अच्छे से संभाला था, किंतु माँ को देखकर गोद में जाने मचल उठी, रागिनी उसे लेकर दूसरे कमरे में चली गई।

अम्मा ने अपनी बड़ी बहू की नज़र उतरकर गृह प्रवेश करवाया । उन्होंने उसके माथे को चूमते हुए कहा , मेरे सारे पुण्य का तू परिणाम है , जुग —जुग जियो, तभी मुकेश ने चुटकी ली अम्मा और मैं क्या हूँ ।

मेरा लाडला है ,तू कहते हुए अम्मा हँस पड़ी।

पापा ने पीछे से आवाज़ लगाई अजी सुनती हो कोमल की मम्मी का फोन था , मुंह मीठा करवाओ  बेटा हुआ है , किरण ने खुश होकर कहा ,अम्मा जी रूही का भाई आ गया , सभी  खुश होकर उसे देखने लगे, पिताजी ने कहा, बड़ी बहू तुम्हारे जैसी बहू सबको मिले।

सिम्मी नाथ

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