आज मेरी शादी है, बारात आने का समय हो चला है, सारे रिश्तेदार आ चुके हैं , मम्मी पापा, भाई सब बहुत ज्यादा व्यस्त हैं, मैं भी आने वाली खुशियों के इंतजार में बहुत खुश भी हूं, और डरी हुई भी, नया घर, नए लोग, नया परिवेश पता नहीं सब कैसा होगा।
अचानक जोर जोर से बैंड बजने की आवाज आई, बारात आ गई का शोर होने लगा, दीदी जल्दी से आई, मुझे देखा, बोली सब ठीक है बस द्वारचार के बाद, तुझे वरमाला के लिए ले चलूंगी।
दीदी मेरी बड़ी बहन, उसके बाद मैं फिर मेरा भाई, मम्मी पापा, बस यही हमारा संसार है।
दीदी की शादी हमारे ही शहर में हुई है, इसलिये
हम लोगों को हर बात के लिए दीदी से पूछने की आदत हो गई है। जीजाजी का बढ़िया बिजनेस है, दीदी के दो बच्चे हैं, एक बेटा एक बेटी।
पापा की तबियत ठीक न रहने से घर के हर फैसले में दीदी जीजाजी शमिल रहते ही हैं।
शान्ति से मेरी शादी संपन्न हो गईं, और मैं ससुराल पहुंच गई, बहुत प्यार से सासू मां ने मेरा स्वागत किया, मेरी आरती की, हल्दी के छापे लगवाए, महिलाओं ने मंगल गीत गाए, विनय भी बहुत अच्छे व्यवहार के थे, ये सब देखकर बहुत खुश थी मैं।
दो साल जेसे पंख लगाकर बीत गए, हम दोनो भी भी जैसे सपनों कि दुनिया में खोए थे,
अचानक एक दिन, पड़ोस की आंटीयां, जो किट्टी पार्टी के लिए घर आई थीं, सासू मां से बोली, अब खुश खबरी कब सुना रही हैं भाभी, दो साल तो हो गए , बहू को आये,मैं शरमा के अंदर आ गई, बाहर इसी विषय पर हंसी मज़ाक चलते रहे।
दूसरे दिन रात को हम सभी खाने की टेबल पर थे, सासू मां ने बच्चे की तरफ़, हमारा ध्यान आकृष्ट किया, लोग भी बोलने लगे हैं, अब तुम दोनो को इस विषय में सोचना चाहिए, कहकर वो खाना खाकर उठ गईं, हम दोनो ने भी सोचा,
हां, हमें परिवार बढ़ाने का सोचना चाहिए।
काफी लंबा समय निकला , पर मेरे मां बनने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही, डर लगने लगा, घबराहट होने लगी, हमने डॉक्टर से मिलने का
सोचा, अपाईंटमेंट लिया, सारे टैस्ट और चेकअप के बाद डॉक्टर ने कहा, कुछ परेशानियां हैं, ट्रीटमेंट चलेगा, हमारे पास कोई रास्ता तो था नहीं, जैसा डॉक्टर कहते गए, हम करते रहे,
मैं थकने लगी, ढेरो सुइयां, दवाइयां चेकअप,
पर नतीजा जीरो, मैं अवसाद की स्थिति में जानें लगी, मंदिर में जाकर रोती, भगवान आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो, एक बेटा या बेटी मेरी गोद में डाल दो न पर भगवान भी शायद विमुख से हो गए थे मुझसे, तरसा रहे थे मुझे एक औलाद के लिए।
मुझे इतनी तकलीफ में देखकर विनय, सासू मां से बोले, मम्मी निशा बहुत तकलीफों से गुजर रही है, मैं उसे इतने कष्ट में नहीं देख सकता, हम एक बच्चा गोद ले लेते हैं, यह सुनते ही सासू मां और ससुर जी, आग बबूला हो गए, बोले, तुम हमारी इकलौती संतान हो, हम पराई औलाद को इस घर में नहीं आने देंगे बस, ये हमारा पहला और आखिरी फैसला है बस।
मैं फूट फूट के रो पड़ीं, विनय, मुझे कुछ दिनों के लिए मम्मी पापा के घर छोड़ गए , दीदी को जैसे ही पता चला, मेरे आने का, तुरंत वो मुझसे मिलने आई, मुझे देखकर शॉक्ड हो गई, क्या हालत कर रखी है तुमने क्या हुआ बेटा, मेरा रुका बांध जैसे टूट पड़ा, मैं दीदी के सीने से लगकर फूट फूट कर रो पड़ी, दीदी ने मुझे चुप कराया पानी पिलाया, जीजाजी भी मुझे दिलासा देते रहे,
कुछ दिनो बाद विनय आए, दीदी ने हम दोनो को खाने पर बुलाया, फिर से बातों का वही टॉपिक चला, विनय ने बताया, निशा को आईवीएफ के तरीके से भी सफलता नही मिल रही, माता पिता बच्चा गोद लेने को तैयार नहीं, समझ नहीं आ रहा क्या करूं, लोग, मम्मी को हमें अलग करने की सलाह देने लगे हैं, पर मैं निशा के बिना जीने का सोच भी नहीं सकता, विनय बच्चों की तरह फूट फूट के रो पड़े, मैंने देखा, दीदी के चेहरे पर एक अलौकिक तेज़ था, बोली तुम दोनो माता पिता बनोगे और जरुर बनोगे, विश्वास करो मुझ पर।
दूसरे दिन दीदी ,जीजाजी मैं और विनय हॉस्पिटल में डॉक्टर के सामने बैठे थे, दीदी ने डॉक्टर से कहा, मैं इनके बच्चे को अपने गर्भ में धारण करुंगी, मैं और विनय पत्थर के बुत की तरह बैठे रह गए, होश आया तो दीदी के पैरों पर गिर पड़े, डॉक्टर की आंखो में भी आंसू थे,
प्रकिया शुरु हुई, आईवीएफ सफल हुआ, एक के बदले हमें दो बच्चों की सौगात दीदी ने हमें दी,
मां ने मुझे जन्म दिया, पर मेरी दीदी, जो अब मेरी दीदी मां है, उन्होंने पुनर्जन्म दिया,
आज मेरी बेटी की शादी है, मैं अतीत से निकलकर वर्तमान में आ गई, देखा मेरी मां, मेरी दीदी मां मेरी बेटी को लेकर मंडप में जा रही है और मुझे बुला रही है।
प्रीती सक्सेना मौलिक
इंदौर