मेरी यह कहानी एक सच्ची कहानी पर आधारित है। बस नाम और जगह बदल दी है। इस कहानी की सूत्रधार मैं ही हूं क्यू की जो हुआ मेरे सामने ही हुआ तो मैं अब कहानी पे आती हूं।
मै सपना शर्मा जो पेशे से एक वकील भी हूं और नोएडा में रहती हूं। अभी कुछ पहले की बात है हमारे ही पड़ोस में एक औरत रहती थी कविता जो घरों में मेड का काम करती थी। किसी बीमारी में उसकी मौत हो गई। मेरे यह भी वो आती रहती थी।
स्वभाव से अच्छी थी। सब उससे बात कर लिया करते थे। वो दो बेटियो को अपने पीछे छोड़ गई बड़ी बेटी 3 साल की जिसका नाम मीठी है और दूसरी बेटी अभी 8 महीने की थी जिसका नाम खुशी है। दोनो ही बच्ची बड़ी प्यारी थी।
कविता ने लव मैरिज की थी तो कोई ससुराल और मायके वाला आता जाता नही था। पैसों की हमेशा दिक्कत बनी रहती थी। पति का भी कोई इतना बड़ा काम नहीं था देहाड़ी का काम था कभी मिला कभी नहीं भी मिला उसकी मौत की खबर पूरी कॉलोनी में फैल गई। और साथ में ये भी उसका पति अपनी छोटी को बेटी गोद देना चाहता है। क्योंकि बच्ची छोटी थी कोई केयर करने वाला नहीं था ।आदमी कमाए या बच्चियों को पाले ये भी एक समस्या थी। जैसे तैसे कॉलोनी वालो ने मिल के कविता का अंतिम संस्कार किया।
बात मुझ तक आई की बच्ची कोन ले अब क्या करना चाहिए? कविता का मुझे दिल से दुख था बच्चियों की सूरत देख के कलेजा फटने को होता। मेरे भी एक लड़का और एक लड़की थे। मुझे याद आया मेरी एक खास दोस्त है जिनके कोई बेबी नहीं है और वो अक्सर मेरे सामने बच्चे के लिए रोती है। मुझे लगा एक बार उनसे पता कर लूं क्या वो बेबी को लेना चाहती है।
दोनो का भला हो जायेगा उनको बच्चा और बच्ची को मां मिल जायेगी मैने बता दू मेरी बेस्ट फ्रेंड मोनालिसा मेरे शहर की नामचीन हस्तियों में आती है तो लगा बच्ची सुख में रहेगी। ये सब सोच के मैने जल्दी सुबह 9.30 उनको फोन मिलाया दूसरी तरफ से एक अलसाई सी आवाज आई इस टाइम क्यों फोन किया मै अभी सो रही थी।
मैने हां मुझे मालूम हैं लेकिन बात जरूरी थी इसलिए फोन किया। उनका जवाब सब ठीक तो हैं। मैने बोला हां सब ठीक है बात ये है बोल के मैने उनको सारी बात बता दी। आपने मुझे बच्चा गोद लेने को बोला था लड़की है अगर आप इंट्रेस्टिंड हो तो बताओ मैं बात करूं।
पहले वो चुप रही फिर बोली ऐसे कैसे एक दम बता दूं थोड़ा टाइम दे बताती हूं। वैसे बच्चा लेना तो है ही तो मैं लुंगी फिर मै थोड़ी देर में तुझे फोन करती हूं। मैने भी ठीक है बोल के फोन रख दिया। थोड़ी देर बाद कॉल आया और मोनालिसा ने बच्ची गोद लेने के लिए हां बोल दिया।
मै बहुत खुश हुई और साथ में जो भी हमारे मोहल्ले के लोग थे वो भी खुश हुए की चलो सपना मैडम दिलवा रही है तो अच्छा ही घर होगा। दो दिन के बाद का टाइम था गोद लेने मेरी दोस्त के बार बार फोन mag आ रहे थे। कैसी है बच्ची फोटो सेंड कर कितनी बड़ी है। मुझे थैंक्यू बोलते बोलते थक नहीं रही थी।
कहानी मे ट्विस्ट आ गया उन लड़कियों का बाप पता नहीं क्यों उन दोनो बच्चियों को रात के अंधेरे में बिना बता घर से ले कर चला गया। सुबह ये बात जब मुझ तक आई तो मैं बहुत दुखी हो गई। जाते हुए वो किसी पड़ोसी को दिखा तो बोल गया खुद कमा के पालुगा लड़की मेरी बीवी निशानी है।
उस औरत ने भी ये बात अब बताई जब वो चला गया। सब परेशान थे।बच्चियों की वजह से की आदमी है कैसे रखेगा सब का चेहरा उतरा हुआ था सब के मुंह पर बस एक ही दुआ थी की उस आदमी की बुद्धि पलट जाए और वो वापस आ जाए।
मुझे ये चिंता थी की अपनी फ्रेंड को कैसे बताऊं उसके तो सारे सपने बिखर जायेंगे हिम्मत जवाब दे रही थी क्या बोलूं कैसे बोलूं। तभी मेरी दोस्त का फोन आ गया चहकती हुई बोली कब आऊ अपनी बेटी को लेने। मैने परेशान हो कर धीरे से अपनी बात बोल दी को वो आदमी अपनी बेटियो को लेकर भाग गया।
मेरी दोस्त ने बिना कुछ बोले फोन काट दिया। मै उनका दर्द समझ सकती थी लेकिन क्या कर सकती थी। बस हम भगवान से दुआ कर रहे थे की वो किसी भी तरह वापस आ जाए बच्ची ले के। भगवान के सामने मैने बोला की भगवान अगर मैंने अपनी पूरी जिंदगी में एक भी अच्छा काम किया हो तो इस आदमी की बुद्धि पलट जाए और वो वापस आ जाए।
जब इतने सारे लोगो की दुआ थी तो वो वापस कैसे नही आता। वो खुद मुझे ढूंढता हुआ मेरे घर आया और बोला दीदी लो लड़की ,आप गोद लेने को बोल रही थी। मै उसको देख के हैरान हो गई और मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा क्योंकि मैं भी एक मां तो अपनी दोस्त दर्द समझ सकती थी। मैने तुरंत उनको फोन लगाया और बता दिया की वो बच्ची लेकर वापस आ गया और बच्ची देने को तैयार हैं।
मैने महसूस किया की उनकी आवाज कांप रही है जैसे वो रही थी। मैने बोला हैलो हैलो क्या हुआ ? आप सुन पा रही हो। वो बोली हां मै सुन रही हूं। मुझे विश्वास नहीं हो रहा। और बोली मै बहुत परेशान थी। की मेरी किस्मत कितनी खराब है जो बार बार चीज मेरे पास आती है और छीन जाती है। वो रो रही थी। और मै उनको दिलासा दे रही थी की सब ठीक हो जाएगा।
अगले दिन सुबह हमे कागजी कार्यवाही के लिए कोर्ट में मिलना था उससे पहले वो पूरी रात पता नहीं क्या बोलती रही भोले बाबा का प्रसाद है, ये लड़की मेरी बिटिया है, की स्कूल जायेगी ,की घूमने जायेगी,रानी बना के रखूंगी, कुल मिला के 100 msg थे उनके और सुबह से ही उनके फोन आ रहे थे। कोर्ट कब आ रहे हो। मैने बोला बस 15 से 20 मिनट में पहुंच रहे है।
हम लोग यहां से लड़की ले कर निकल गए वहा मेरी सहेली की मां और मेरी सहेली आ गई।मेरी सहेली की मां सत्तर साल की है और एक नामी गिरामी कॉन्वेंट स्कूल से रिटायर्ड है। और मेरी दोस्त भी बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी है। ब्रिटिश एयरवेज में थी अपने बिजनेस से पहले मेरी दोस्त की मां ने लड़की को देखा लड़की बहुत प्यारी थी। मेरी दोस्त की मां के चेहरे पे कोई खुशी नही थी। वो लड़की को ऐसे देख रही थी जैसे वो बच्ची न हो के सब्जी तरकारी हो।
खेर मैने अपनी फ्रेंड से कहा में कागज बनाने को बोलती हूं आप लोग बैठो। वो बोली ठीक है। मैने कोई 10 कदम आगे ही चली थी की मेरी दोस्त ने मुझे पीछे से आवाज लगाई सपना जरा सुन। मै वापस आ गई मैने बोला हां बोलो।
वो बोली मेरी मां लड़की लेने को मना कर रही है की उसके बाप (बच्ची का बाप) जाटव मतलब sc कोटे से तूने तो पंडित कहा था। मैने कहा मुझे भी ये ही मालूम था और मै बात करती हूं उसकी मां बीच में बोली नहीं अब कोई बात नही करनी हम नहीं लेंगे लड़की नीच जात की है। और हम जा रहे है बोलती हुई दोनो मां बेटी चली गई।
मुझे तो काटो खून नहीं था मैं उनको जाते हुए देख रही थी। की एक औरत की सोच जिसकी उम्र 70 साल है जो बच्चो को पढ़ती है। टीचर है इतनी छोटी और गिरी हुई हो सकती है। मैने बात को संभाला और उस आदमी को बता दिया। बुहुत बुरा लगा मेरी आंखो में आंसू थे। मैने हाथ जोड़ के माफी मांगी। की मुझे नहीं मालूम था इतने बड़े लोगो दिल और सोच इतनी छोटी भी हो सकती है।
हम लोग घर आ गए सबसे पहले तो मैने इस मोनालिसा को सुना फोन पे msg कर के और हमेशा के लिए दोस्ती खत्म कर ली।अब समस्या था बच्ची का क्या करना है मै बहुत टेंशन में थी मेरी बहुत बेज़ती हुई थी। मै खुद से ही नजर नहीं मिला पा रही थी। ये सब बाते मेरी मेड निशा सुन रही थी। मुझसे बोली दीदी वो बच्ची मुझे दिलवा दो। मेरे चार बेटे है। बेटी नहीं है। मैने मना भी किया की निशा रहने दे कैसे पालेगी तू लेकिन वो मेरे हाथ पैर जोड़ने लगी दीदी मैं अपनी जान से ज्यादा अच्छा रखूंगी।
मै कहा उस बच्ची के बाप से पूछले वो बोली मुझे तो डर लगता है। आप ही बात करो। मैने उस आदमी से बात की तो वो तैयार हो गया और अपनी बच्ची मेरे आश्वासन पर वोउस आदमी ने बच्ची निशा को सौप दी और उसका नाम निशा ने मुझसे ही रखवाया शिवन्या निशा बहुत खुश थी अपनी बच्ची को पा कर। और मैं सोच रही थी एक गरीब का दिल इतना बड़ा की बच्ची को इतने प्यार से अपना लिया और एक वो बड़े लोग जो जात के नाम पे बिना मां की बच्ची को ठुकरा के चले गए। अब आप ही बताओ निशा बड़े दिल वाली है न ।। मैं दिल से उसके इस कदम की सरहना करूंगी और उसको बधाई दुगी।
(सपना शर्मा काव्या)