अल्पना कुछ दिनों से अपने पति विजय की बेरुखी को नोटिस कर रही थी। वह काफी दिनों से उसकी तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा था और ना ही बच्चों की तरफ ध्यान दे रहा था।
सारा समय हीरो की तरह तैयार होकर अपने सैलून में पड़ा रहता था। एक तरफ अल्पना का ब्यूटी पार्लर था और दूसरी तरफ सैलून था। दोनों के बीच में दीवार थी। जबकि अल्पना की, अजय से शादी हुई थी तब वह अपने सैलून को अपने नौकरों के भरोसे छोड़ देता था। इधर कुछ समय से वह सैलून में बहुत समय बिताने लगा था।
मंगलवार के दिन दोनों की छुट्टी रहती थी। उस दिन भी छुट्टी होने के कारण अल्पना ने अजय से बाजार चलने को कहा। अजय ने साफ इनकार कर दिया। अल्पना दोपहर में दोनों बच्चों को सुलाकर कुछ देर के लिए बाजार चली गई और अजय से बच्चों का ध्यान रखना को कहा।
अल्पना को मार्केट में ज्यादा समय नहीं लगा और वह जल्दी ही वापस आ गई। वापस आकर उसने देखा कि सैलून का ताला खुला हुआ है और दरवाजा हल्का सा बंद है। वह थोड़ा साइड में छुप कर देखने लगी क्योंकि उसे अंदर से किसी औरत की आवाज आ रही थी।
उसने देखा कि थोड़ी देर बाद एक सुंदर सी लड़की बाहर आई और पीछे-पीछे अजय भी बाहर आया। अजय धीरे से उसे लड़की के पास आया और अचानक उसे अपनी बाहों में ले लिया। लड़की ने खुद को छुड़ा लिया और बोली ” क्या कर रहे हो कोई देख लेगा। ”
अल्पना को अजय के ऊपर बहुत गुस्सा आया। उसे उसकी बेरुखी का कारण भी समझ में आ रहा था। लड़की के जाने के बाद अजय ने सैलून का ताला लगाया और अंदर जाकर बच्चों के साथ लेट गया।
तब अल्पना अंदर आई। और अजय ऐसे बात करने लगा जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
तब अल्पना ने गुस्से में पूछा -” अजय सोने का नाटक मत करो, कौन थी वह लड़की, तुम उसके साथ अंदर क्यों थे? ”
अजय ने सफेद झूठ बोला-” कौन सी लड़की, आज तो तुम्हारा ब्यूटी पार्लर बंद है ना। फिर कोई लड़की क्यों आएगी? ”
अल्पना -” वही तो मैं पूछ रही हूं कि ब्यूटी पार्लर बंद है तो वह तुम्हारे साथ सैलून में क्या कर रही थी? ”
अजय ने हंसकर कहा -” अच्छा वो, वह तो शर्मिला है अपने भाई के लिए शेविंग क्रीम लेने आई थी। ”
अल्पना -” क्यों क्या उसके भाई को शेविंग क्रीम खरीदनी नहीं आती, या फिर बाजार बंद हो चुके हैं, तुम्हारे पास क्यों लेने आई थी? ”
अजय-” अब तुम बेकार में शक कर रही हो। ”
अल्पना ने आगे कुछ नहीं कहा लेकिन उसने अजय पर नजर रखना शुरू कर दिया।
उसने देखा कि गली में से आते जाते भी वह अजय को मुस्कुराती हुई देखती जाती थी। एक बार वह बाजार की तरफ निकली। अल्पना ने देखा कि 5 मिनट बाद अजय भी अपनी बाइक लेकर निकल गया। तब अल्पना ने स्कूटी पर उसका पीछा किया और उसने देखा कि दोनों एक कैफे में बैठकर कॉफी पी रहे थे।
अब अल्पना को अजय की धोखेबाजी का सबूत मिल चुका था, लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अजय को क्या कह कर समझाए।
तब उसने एक दिन शर्मिला को बुलाकर बात की। अल्पना -” देखो शर्मिला, तुम मेरे पति के साथ चक्कर चला कर मेरा घर खराब कर रही हो। बेहतर यही होगा कि तुम मेरे पति से दूर रहो। हमारे बड़े होते हुए बच्चे हैं। इन बातों का बहुत गलत असर होगा। ”
शर्मिला-” मुझे समझाने की बजाय अपने पति को समझाओ। वह मुझ में बहुत इंटरेस्ट लेता है। मैं उसे अच्छी लगती हूं और वह मुझे अच्छा लगता है हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। ”
अल्पना-” यह प्यार नहीं है केवल आकर्षण है। ”
शर्मिला चुपचाप चली गई और उसने पूरी बात अजय को बताई। अजय अल्पना से लड़ने लगा और रात को चुपचाप उठकर शर्मिला के साथ भाग गया।
सुबह अजय की चिट्ठी पाकर अल्पना को पता लगा। वह बहुत ही हैरान थी कि दो बच्चों का बाप होते हुए भी अजय ऐसा कर सकता है। अल्पना को यह बाद में पता लगा कि उसकी और अपनी मेहनत की कमाई 10 लख रुपए भी साथ लेकर गया है। अड़ोसी पड़ोसी रिश्तेदार और बच्चे भी पापा के बारे में पूछते रहते थे। उसने सबसे यही कहा कि कुछ दिनों के लिए वह किसी काम से दूसरे शहर गए हैं।
लेकिन असलियत कब तक छुपती। 1 महीने बाद लोग दबे मुंह बात करने लगे। दरअसल अजय को शर्मिला के साथ किसी दूर के रिश्तेदार ने एक होटल में एक साथ देख लिया था। उसके बाद बात फैलने देर नहीं लगी।
लेकिन एक दिन अचानक रात को दरवाजे पर घंटी बजी तो अल्पना ने दरवाजा खोला। सामने अजय खड़ा था। अल्पना ने दरवाजा खोल दिया लेकिन उससे एक भी सवाल नहीं पूछा।
रात बीत जाने पर उसने सुबह अजय की तरफ प्रश्न वाचक दृष्टि से देखा। अजय ने नजरे झुकाते हुए कहा -” अल्पना, मुझे लगा था कि शर्मिला मुझसे सच्चा प्यार करती है, लेकिन मेरे पैसे खत्म होते ही वह रातों-रात न जाने कहां गायब हो गई। मुझे माफ कर दो और मुझे मेरे बच्चों के साथ रहने दो। ”
अल्पना -” मुझे सिर्फ एक बात का सच-सच जवाब दो। ”
अजय ने कहा,- पूछो!
अल्पना-” अगर मैं किसी आदमी के साथ भाग जाती मेरे वापस आने पर क्या तुम मुझे घर में रखते और मुझे माफ करते? ”
अजय ने कहा-” नहीं”
अल्पना के कुछ कहने से पहले ही दोनों बच्चे नींद में से उठकर आ गए और पापा को देखकर फूल की तरह खिल गए। दोनों बच्चे पापा से चिपक कर बैठ गए।
तब अल्पना ने दोनों बच्चों को टूथब्रश करने के लिए कहा और अजय से बोली-” इन दोनों बच्चों की वजह से मैं अपना फैसला बदल रही हूं, तुम बच्चों के साथ रह सकते हो। मैं बड़े दिल वाली नहीं हूं, मैं सिर्फ बच्चों के कारण तुम्हें माफ कर रही हूं, लेकिन मेरी नजरों में तुम गिर चुके हो और तुम मेरे प्यार तो क्या नफरत के काबिल भी नहीं हो। ”
अजय चुप था क्योंकि वह कुछ भी बोलने के लिए लायक नहीं था। मन ही मन वह सोच रहा था कि अगर तुमने ऐसा किया होता तो मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करता। अल्पना तुम सचमुच बड़े दिल वाली हो।
स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली