रमेश कुमार की शादी हुए लगभग एक साल हो चुके थे।को एक सरकारी कंपनी में मैनेजर के पद नियुक्त था।शादी से पहले वो एक हट्टा कट्टा नौजवान था।देखने में काफी स्मार्ट और सुंदर था।लेकिन शादी के बाद उसकी चुस्ती फुर्ती और स्मार्टनेस कम होने लगी थी।हालांकि वो एक खाते पीते परिवार का लड़का था।
किसी बात की कमी नही थी। उसे कोई बीमारी भी नही थी।दिन भर ऑफिस का काम करके शाम होते ही वो काफी थका हुआ महसूस करता था।यह देखकर उसके माता पिता काफी चिंतित हुए ।मां ने पूछा बेटा आजकल देख रही हूं तुम काफी कमजोर दिखने लगे हो कोई बात हो तो बताओ ।या नही तो किसी डॉक्टर से दिखा लो।
तुम चिंता मत करो मां मैं बिलकुल ठीक हूं ।थोड़ा काम ज्यादा बढ़ गया है इसलिए थकावट महसूस होती है।रमेश ने ऑफिस जाते हुए जवाब दिया था।उसकी मां उसके जवाब से सन्तुष्ट नहीं हुई थी।
रमेश की पत्नी पूर्णिमा नाम की तरह चांद जैसी सुंदर और आकर्षक थी।बहुत ही मृदुभाषी और कुशल गृहिणी थी। काफी पढ़ी लिखी थी।
रात में रमेश अपने बेड पर लिटा हुआ था।तभी पूर्णिमा घर का काम खत्म कर आई और उससे प्यार करने लगी।आज कितने बार तुम मुझे प्यार करोगे उसने उसके गालों पर एक चुम्मन देते हुए कहा।
सिर्फ एक बार ।मुझे बहुत थकावट महसूस हो रही है और मुझे नींद भी आ रही है।रमेश ने भी उसके गालों पर एक चुम्मन देते हुए कहा।
कोई बहाना बाजी नही चलेगी ।मुझे कमसे कम तीन बार प्यार करना पड़ेगा।पूर्णिमा ने एक मदहोश भरी अंगड़ाई लेते हुए कहा।
लेकिन रमेश ने सिर्फ एक बार अपनी पत्नी को जी भर प्यार किया और थक कर सो गया।कमरे में उसके खर्राटे सुनाई दे रहे थे।लेकिन पूर्णिमा की आंखों में नींद नही थी वो बिस्तर पर करवट बदलती रही थी।
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यही सिलसिला लगातार चलने लगा था।रमेश अपनी पत्नी को संतुष्ट करने की भरपूर कोशिश करता था लेकिन उसकी कामेक्षा और बढ़ती ही जा रही थी।रमेश का स्वस्थ दिन पर दिन गिरने लगा था।
लेकिन पूर्णिमा को उसके स्वस्थ की जैसे कोइ चिंता नहीं थी।अब वो उसे बीयाग्रा मंगाकर खिलाने लगी ताकी वो उसे संतुष्ट कर सके।
लेकिन कोई फायदा नही हुआ।
एक दिन उसके दोस्त ने कहा _ यार रमेश भाभी ने मुझसे मिलने के लिए फोन किया है।इसी तरह उसके मोहल्ले के कई लोगो ने उससे कहा _ रमेश भाभी पर ध्यान दो वो बाहर होटलो में अलग अलग लडको के साथ देखी जा रही है।
रमेश को बहुत शर्मिंदगी हुई।
रात में उसने अपनी पत्नी को डांटते हुए कहा _ तुम किन किन लडको के साथ बाहर होटलों में घूम रही है। तुम्हे इज्जत ,कुल खानदान और मान मर्यादा का ख्याल है या नही ।
अगर तुम मुझे संतुष्ट नहीं करोगे तो मैं करूंगी चाहे तुम जो सोचो मुझे किसी की परवाह नही है।उसकी पत्नी ने निडर होकर कहा।
रमेश आवाक हो गया अपनी पत्नी का जवाब सुनकर ।अपनी हवस की आग बुझाने के लिए ये औरत किसी भी हद तक जा सकती है ।में क्या करूं।
दूसरे दिन उसने अपने एक दोस्त से अपनी समस्या बताई और पूछा ,,_ अब बोलो क्या करूं यार मेरे कुल खानदान की मर्यादा दाव पर लग गई है।
कल तुम अपनी पत्नी को साथ में लेकर आओ उसे एक यौन रोग विशेषज्ञ के पास ले चलेंगे ।शायद तुम्हारी समस्या का समाधान हो जाए।उसके दोस्त में कहा।
काफी जांच पड़ताल कर डॉक्टर ने कहा,_ आपकी पत्नी के सेक्स हार्मोंस के अनियमित उत्सर्जन की वजह से कामेक्षा बढ़ गई है।इसका इलाज संभव है आप चिंता मत करे।फिलहाल आप दोनो का इलाज चलेगा।जैसे ही आपको पत्नी मां बन जाएगी उनको और भी आराम हो जायेगा।
आपने समझदारी से काम लिया जो मेरे पास ले आए वरना लोग ऐसी हालत में औरत को बदचलन कहकर तलाक दे देते है या हत्या कर देते है।
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कुछ ही दिनों में पूर्णिमा सामान्य हो गई और दो साल में मां बन गई ।एक सुंदर बेटा पाकर वो निहाल हो गई।
उसे अपनी पिछले व्यवहार पर बड़ी शर्मिंदगी और अफसोस हो रहा था।वो रमेश को अपने पति के रूप में पाकर बेहद खुश थी जिसने उसकी इस अवस्था को समझा और समाधान निकाला और अपनाया भी।
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लेखक
श्याम कुंवर भारती