बढ़बोली ननद – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 आज रमोला जी की सबसे छोटी बेटी कुंती का विवाह था। कुंती बहनों में सबसे छोटी पांचवें नंबर की बहन थी। उसके दो बड़े भाई थे। वे दोनों भी विवाहित थे। 

 कुंती का विवाह सुखपूर्वक संपन्न हुआ। कुंती के पिता का कुछ समय पहले ही देहांत हुआ था और उसकी माँ रमोला अक्सर बीमार रहती थी। 

 1 दिन कुंती अपने मायके आई, और आकर सबको अपनी प्रेग्नेंट होने की खबर सुनाई। उसकी दोनों भाभियाँ और बाकी सब लोग बहुत खुश थे। कुछ समय बाद कुंती ने एक पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम उन्होंने अभय रखा। 

 कुंती मायके में आकर अक्सर अपने ससुराल की शिकायतें करती रहती थी और उसकी मां उसे समझाती रहती थीं कि यह बहुत छोटी-छोटी बातें हैं तुम इन पर ध्यान मत दिया करो। तुम्हारी सास अगर कुछ कहती भी है तो कोई बात नहीं,वह बड़ी हैं। कुंती की मां उसके स्वभाव को अच्छी तरह जानती थी। कुंती का स्वभाव बहुत तेज था और वह घमंडी और बड़बोली थी।

हर समय उसे अपनी तारीफ सुनना पसंद था और वह अपना गुणगान भी बहुत करती थी। उसकी सास को और उसकी मां को यह सब अच्छा नहीं लगता था। वह अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझती थी। 

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 एक बार वह अपने बच्चे के साथ मायके में आई हुई थी तभी अचानक ससुराल से फोन आया कि उसका पति अचानक बीमार हो गया है तो उसे वापस जाना पड़ा। वह घर पहुंची तो उसे पता लगा कि उसके पति का हार्ट फेल  हो गया है और वह अस्पताल ले जाने से पहले ही गुजर चुका है।

उसका रो-रो कर बुरा हाल हो गया। उसके मायके वाले भी बेहद परेशान थे। अब कुंती का क्या होगा। उसने ससुराल में अपनी जेठानी और सास को भी नाराज कर रखा था। आखिरकार यही फैसला हुआ की कुंती अपने बच्चे को लेकर मायके चली जाए। हालांकि उसकी सास अपने पोते को अपने पास रखना चाहती थी, लेकिन कुंती अपने बच्चे के बिना नहीं रहना चाहती थी। 

 धीरे-धीरे समय बितता रहा और अभय बड़ा होने लगा। कुंती के मायके वालों ने उसे दोबारा शादी करने को कहा, लेकिन कुंती ने साफ मना कर दिया। 

 उसे मायके में रहता हुआ देखकर, बड़े भाई भाभी अलग हो गए। अब एक भाई भाभी और कुंती की मां, कुंती के साथ रहते थे। 

 अब भी कुंती का घमंड और बड़बोला पन गया नहीं था। वह अक्सर अपनी भाभी रितिका को किसी न किसी बात पर ताने मारती रहती थी। कभी कहती थी कि आपने सब्जी बिल्कुल बेकार बनाई है।

मैं तो इतना अच्छा खाना बनाती हूं कि मानो फाइव स्टार होटल का खाना हो। आपको आता ही क्या है। अपने बीए पास की है, तब भी आपको इंग्लिश बोलनी नहीं आती। मैं  11वीं पास हूं, तब भी अगर मैं कोशिश करूं तो इंग्लिश सीख सकती हूं। मैं सिलाई भी बहुत बढ़िया करती हूं। मेरी सास मेरे खाना बनाने के तरीके से बहुत खुश थी। 

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 इस तरह में हर बात में अपनी भाभी की कमियां निकलती रहती थी। जब उसकी भाभी अपनी सास से शिकायत करती थी तो कुंती की मां अपनी बहू से कहती थी कि-” कोई बात नहीं उसकी बात का बुरा मत मानो,वह विधवा हो गई है इसीलिए वह डिप्रेशन में चली गई है, उसके सारे सुख उससे छिन गए हैं। ” 

 बेचारी भाभी चुप होकर रह जाती। 

 एक दिन बड़े होते हुए अभय ने अपनी मामी से कहा कि मामी आप राजमा चावल बना दो। और दोपहर में राजमा खाकर उसने अपनी मामी से कहा कि आपने बिल्कुल बेकार राजमा बनाए हैं। तब उसकी मामी ने उससे कहा कि बेटा अभय-” आज आपने नाश्ते में कुछ ज्यादा ही ब्रेड पकोड़े खा लिए थे, पेट भरा हुआ होने के कारण आपको भूख नहीं है और राजमा आपको अच्छे नहीं लग रहे। ” 

 तभी बीच में कुंती बोल पड़ी, ” अभय सही तो कह रहा है भाभी, बिल्कुल बेकार सब्जी बनाई है आपने,।, ” 

 इस तरह में बच्चे के सामने भी अपनी भाभी का अपमान करती रहती थी और अभय दिन पर दिन सिर पर चढ़ता जा रहा था। 

 एक दिन कुंती को बुखार आ गया। रितिका भाभी उसे डॉक्टर के पास ले गई। डॉक्टर से हफ्ता भर दवाई लेने के बाद भी उसका बुखार नहीं उतर रहा था और उसे बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस हो रही थी। डॉक्टर साहब ने उसे पूरी जानकारी लेते समय पूछा कि क्या आपको यूरिन में भी कोई गड़बड़ नजर आ रही है। 

 तब कुंती ने बताया कि “हां मुझे यूरिन में जाग दिखाई दे रहा है।” 

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 तब डॉक्टर साहब ने किडनी टैस्ट करवाने को कहा। रिपोर्ट में पता लगा कि कुंती की एक किडनी खराब हो चुकी थी और दूसरी खराब होनी शुरू हो गई थी। कुंती के भाई भाभी ने तुरंत फैसला लिया और कुंती का ऑपरेशन करवा दिया। समय रहते उसका इलाज हो गया और उसकी जान बच गई। इस मुश्किल घड़ी में रितिका भाभी ने की जान से उसकी सेवा की,

और उसके बेटे अभय की भी पूरी देखभाल की और भाई ने दिल खोलकर उसके इलाज में पैसा खर्च किया। किडनी बदलवाने में उसका काफी लाखों का खर्च हो गया, लेकिन उसने कभी उफ़ तक नहीं की। उसकी भाभी ऑपरेशन के बाद भी उसकी देखभाल करती रही। बड़ी भाभी तो पल्ला झाड़ कर पीछे हट गई थी। 

   अब कुंती को अपने व्यवहार पर शर्मिंदगी हो रही थी। उसकी मां ने उसे समझाया -” कुंती,तुम्हें रितिका से माफी मांग लेनी चाहिए, उसने तुम्हारा कितना साथ दिया है और तुम हर समय उसे खरी खोटी सुनाती रहती थी, मुझे तुम्हारा व्यवहार गलत लगते हुए भी मैंने तुम्हें कभी नहीं टोका।

मुझे तो लगता है कि मुझे भी रितिका को सॉरी कहना चाहिए। तुमने तो आजकल का जमाना देखा ही है, कौन सी भाभी ननद के मायके में रहने पर उसकी सेवा करती है और खुश होती है, रितिका तो लाखों में एक है। उसने तुम्हारे मायके में रहने पर कभी भी नाराजगी व्यक्त नहीं की। बल्कि उसने हर समय तुम्हारा साथ दिया है। ” 

 कुंती-” हां मां, आप सही कह रही हो, मुझे भाभी से माफी मांग लेनी चाहिए। ” 

 तब कुंती ने रितिका भाभी से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी। रितिका ने उसे बड़ा दिल रखते हुए माफ कर दिया, और उससे कहा कि अपनी जिंदगी के बारे में सोचो और आगे बढ़ो। 

 स्वरचित  अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली

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