पूनम आज सिर्फ अपने लिए फैसला लेने वाली थी उसने आज रिश्तों का बदलता रूप देख लिया था कल तक जो दीदी दीदी कह कर पीछे पीछे घूमते थे आज उनके लिए मैं मतलबी हो गई आंखो मैं आंसू लिए पूनम अतीत मैं चली गई जब उसकी उम्र बाइस साल थी आंखो मैं सुजीत के साथ रहने का सपना और हाथ मै एक अच्छी नौकरी
पूनम के घर मैं एक भाई एक बहन और मां पिताजी घर की जिम्मेदारी पिताजी के कंधो पर थी पिताजी चाहते सब बच्चे पढ़ कर अपने पैरों पर खड़े हो जाए इसलिए अपनी कमाई बचाने की जगह बच्चों को उच्च शिक्षा देने मैं ही खर्च करी इसी साल पूनम की कैंपस से नौकरी लग गई थी
छोटी बहन सेकंड ईयर मैं और भाई बारहवीं मैं पढ़ रहा था
पूनम के साथ पढ़ने वाला सुजीत और पूनम एक दूसरे से प्यार करते थे और नौकरी लगने के बाद दोनों शादी करने वाले थे पूनम का सोचना था की कुछ पैसे जोड़ ले जिस से पिताजी शादी का खर्चा उठा पाएं
पर होनी को कुछ और ही मंजूर था एक एक्सीडेंट मैं पिताजी के सर पर गहरी चोट लगी और दो दिन भर्ती रहने के बाद वो इस दुनिया को छोड़ कर चले गए
पूनम की पूरी दुनिया बिखर गई उसे समझ नहीं आ रहा खुद को सम्हाले या परिवार पिताजी प्राइवेट कंपनी मै काम करते तो पेंशन मिलने का भी सवाल नही था और बचत भी कुछ नही थी अब जिम्मेदारी पूनम के कंधो पर आ गई
और उसने खुशी खुशी घर की जिम्मेदारी अपने उपर ले ली आखिर वो अपने ही है और इस तरह साल निकल गया अब सुमित के घरवाले शादी की जिद्द करने लगे तो उसने पूनम से शादी की बात कही
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पूनम बोली अभी मैं शादी नही कर सकती मेरे ऊपर पूरे घर की जिम्मेदारी है सुजीत बोला तुम अपनी तनख्वाह अपने घरवालों पर खर्च करना मुझे दिक्कत नही है
पूनम बोली नहीं अभी मैं उन सबको बीच मैं छोड़कर अपना घर नही बसा सकती मां की दिमागी हालत ठीक नहीं है आखिर वो मेरे खून के रिश्ते है जब तक छोटी बहन अपने पैरों पर खड़ी नही होती मैं शादी नही कर सकती तुम दो साल रुक जाओ
सुजीत पूनम की खातिर दो साल रुक गया पर छोटी बेहन रूपा की नौकरी लगते ही उसने दीदी को बोला वो एक लड़के को पसंद करती है और उसके घरवाले शादी के लिए इंतजार नही कर सकते और मैं उसे छोड़ नही सकती
पूनम ने बड़ी बहन का फर्ज निभाते हुए उसकी शादी करवा दी अब सुमित को भी गुस्सा आ गया बोला अब मैं तुम्हारा कब तक इंतजार करूं
हारकर पूनम ने कह दिया मैं शादी नही कर सकती तुम कही और कर लो और सुजीत ने दूसरी जगह शादी कर ली पूनम को बहुत दुख हुआ और अब बस वो अपनी जिम्मेदारी उठा रही थी रूपा अपने पति के साथ घर आती उसको देख पूनम को सुमित की याद आती पर रूपा ने कभी दीदी का दर्द समझने की कोशिश नही करी उलटा मां भी अब रूपा को ही ज्यादा प्यार करती
समय के साथ भाई की नौकरी लग गई शादी के बाद दूसरे शहर मैं बस गया पूनम के ऑफिस मैं सूरज था जो पूनम को पसंद करने लगा उसने शादी का प्रताव रखा अब पूनम को भी किसी का अपनापन चाहिए था उसने भी शादी के लिए हां कर दी सूरज का पूरा परिवार साथ रहता था ऐसे मैं अपनी मां को कहां रखती उसने भाई को कहा की अब मां को अपने साथ रखे तो गुस्से मै बोला दीदी अब आपको इस उम्र मैं क्या शादी करने की पड़ी है लोग क्या कहेंगे आप मां के साथ रहो क्या दिक्कत है हम मां की देखभाल नही कर पाएंगे
पूनम ने रूपा से कहा तुम दोनो अकेले रहते हो मां को तुम रख लो तो बोली दीदी आप बड़ी स्वार्थी हो आप अपनी खुशी के लिए दूसरे की खुशी छीन रही हो
अब पूनम को गुस्सा आ गया बोली हां मैं स्वार्थी हूं तभी इन खोखले रिश्तों के लिए अपना प्यार अपने सपने सब भूल
गई तुम लोगो को अपने पैरों पर खड़ा किया कभी तुमसे एक रुपए की मदद नही ली कभी मां की सेवा नही कर पाई पर अब मैं भी अपनी खुशी के लिए जीऊंगी कोई मत रखो मां को और अब मां से किसी का रिश्ता भी नही है सूरज मां को साथ रखने को तैयार थी
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पूनम बदलते रिश्तों को देख रही थी जो सगे है वो पराए लग रहे थे और पराए अपने हो गए थे काश हम समय रहते इन खोखले रिश्तों को समझ पाते
स्वरचित
अंजना ठाकुर
#खोखले रिश्ते