बदलते रिश्ते की कहानी – अन्जु सिंगड़ोदिया

डेढ़ वर्ष पहले की घटना है। हाहवे पर अपने माता -पिता की खून से लथपथ लाश देखकर5  वर्षीय   नन्हें  अरुण ने पूछा ,क्या हुआ मेरे मम्मी  -पापा को क्या ?

एक पुलिस वाले ने उसे गले लगाते हुए कहा –‘बेटा ,तू अनाथ हो गया ?

अरुण ने मासूमियत से पूछा -‘अनाथ !.. वो-वो  कैसे ? . –..बेटा  तेरे  माँ बाप भगवान के घर चले गए है। ‘

बड़ा ही दर्दनाक द्रश्य था !. । लॉकडाउन की वजह से काम बंद होने  और रहने -खाने का ठिकाना नहीं होने के कारण   सभी मजदूर  अपने  -अपने घर जा रहे थे ,ऐसे में 5 वर्षीय अरुण भी अपने माता पिता के साथ गांव जा रहा था और यह भयंकर हादसा हो गया.एक तेज रफ्तार से  आती  ट्रक उन्हें   बेदर्दी से रौंदते हुए चली गई।  जब अरुण झाड़ी में पेशाब करने गया था। तभी यह दर्दनाक हादसा  हुआ और एक ही क्षण में वह अनाथ हो गया।

दरोगा असलम रोड पर हादसा होने पर  अपने टीम के साथ मुआयना करने आएं । पुलिस वालों  ने एक ट्रक मंगवाया.उसमें कुछ लाशे पहले से ही पड़ी हुईथी उसके माँ पिता की लाश को भी  बेदर्दी से डाला गया  अन्य  लाशों के साथ उनका भी अन्तिम संस्कार कर दिया गया

मासूम अरुण को बिलखते देखकर दरोगा असलम ने अपने साथियों से कहा –इस मासूम का क्या करें ? अभी कोरोना की वजह से किसी अनाथालय में छोड़ना भी उचित  नहीं हैं और यह आगरा हाइवे भी सुनसान पड़ा हैं। अब इस बच्चे का क्या करें ?  ‘यह बच्चा तो अभी बहुत छोटा है अगर अभी तुरंत  इसे सही देखभाल नहीं  मिली तो यह मर जायेगा।’

 मासूम अरुण को देखकर बहुत  दया  और ममता उमड़ पड़ी थी   

दरोगा  असलम ने कहा -मेरी शादी को 10 वर्ष हो गए। ऊपरवाले  की कृपा से घर में सब कुछ है घर पर दूध की नदियां बहती हैं पर पीने  वाला कोई नहीं हैं उपरवाले ने मुझे कोई औलाद नहीं दी। मैं सोच रहा हूं क्यों न  इसे मैं  गोद ले लूँ  !ठीक है साहब !क्या आपकी बेगम  अपना लेगी ?


हाँ हाँ क्यों नहीं ? वह  भी तो   ,अपनी सूनी गोद लिए एक बच्चे को कब से  तरस रही है। फिर इस  मासूम बच्चे को  कोरोनाकाल और   लॉकडाउन के  संत्रास  भरे   माहौल में  ऐसे  बेसहारा ,तन्हा तो नहीं छोड़ा  जा सकता।

दरोगा बाबू अरुण को अपने घर ले  आए।घर  आकर अपनी पत्नी फ़तिमा से बोले -बेगम!  अल्लाह  ने हमे कितना नायाब तोहफा दिया हैं! ‘हमारे  कोई औलाद नहीं हैं इसलिए  इसे  घर ले आया….अब यह हमारा बेटा है।

फ़तिमा  ने आश्चर्य से जब मासूम गोल -मटोल अरुण को  देखा तो उसकी ममता जग उठी।  ममत्व से परिपूर्ण , स्नेहसिक्त स्वर में  बोली –यह तो बड़ा ही प्यारा बच्चा है। ‘

असलम बोले बेगम.-बच्चे को जल्दी से कुछ खाने  को दो इसे भूख लगी है.;

फातिमा ने तुरंत  अरुण को बिस्कुट और दूध का गिलास पीने  को दिया।

असलम बोलै -बेगम लॉकडाउन खुलते ही बच्चे केलिए  कपड़े और  जरूरत का सामान ले आऊंगा फिलहाल तो ऐसे ही   गुजारा करना पड़ेगा ।

फ़तिमा  ने पूछा -‘यह फूल  आपको कहां मिला।

असलम बोलै -लोकडाउन की वजह से सारे मजदूर अपने गावों की और पलायन कर रहे है ऐसे में इसके माँ-बाप भी ऑटो  से अपने गांव जा रहे थे  रास्ते  में हाइवे पर पेट्रोल  खत्म होने पर इसका पिता   पेट्रोल  भरने लगा  माँ  ओ टो में ही बैठी थी 

तभी पीछे  से आते ट्रक  ने उन्हें रौंद  डाला तब बच्चा लघुशंका के लिए झाड़ी  के पास चला गया था सो बच गया नहीं तो यह भी मर जाता अपने माँ-बाप के साथ। बेचारा यतीम हो गया। कोई देखभाल करने वाला नहीं था बच्चे को रोता देख मुझे दया  आ गई  और मैं घर ले आया। लोकडाउन खुलते ही इसके रिश्तेदारों को ढूंढ़कर सौंप  दूंगा .और  फातिमा का चेहरा देखने लगे.l

लेकिन यह कौन है ,क्या तुम इनके माँ-बाप को जानते थे ?असलम  बोले–मैं नहीं  जानता  ,तुम  कहो तो इसे यतीमखाने में छोड़ दूँ।

फ़ातिमा ने कहा -‘आप नाराज न हो मैंने यूँ ही पूछ लिया । ‘उसके बाद उसने  प्यार से बच्चे का से पूछा –‘बेटा ,तुम्हारा नाम क्या है ?

असलम ने तपाक से बोला -‘इसका नाम नाम तैमूर है। असलम को डर था कि कहीं मजहब के कारण इस बच्चे को किसी तरह की कोई परेशानी न जूझना पड़े  और इसका लालन -पालन अच्छे से हो  जाए  और थोड़ा मामला ठण्डा होने पर सब  सच बता देंगे  

इसलिए उस वक्त  अपनी पत्नी को सच नहीं बताया अब अरुण का धर्म बदल चुका था नाम और माता  पिता  की पहचान भी। अब वह असलम और फ़ातिमा की औलाद   तैमूर है। जिसे भगवान ने आशीर्वाद के रूप में उनकी झोली में डाला हैं।

अन्जु सिंगड़ोदिया

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