बड़ा दिल – बालेश्वर गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : आज के बाद इधर का रुख भी मत करना।तुम्हारे जैसे शौहदे हमने बहुत देखे हैं।न कमाते हो,पता नही क्या पढ़ाई लिखाई की होगी,रखते हो शादी का इरादा?

      भाई, मैं आज शादी की बात नही कर रहा,मैं तो बस यह प्रार्थना करने आया था,कि मैं और   कामिनी दोनो प्यार करते हैं, हमे एक वर्ष का समय दे दीजिये,मैं जॉब का पूरा प्रयत्न करूँगा,जॉब लगने पर हम शादी कर लेंगे।

     क्या बोले तुम, शा–दी?भूल जाओ कामिनी से शादी, कामिनी मेरी बहन है,उसे तो मैं अपने आप देख लूंगा,अब तुम यहाँ से भागो।

      कामिनी के भाई अशोक के विष भरे शब्द अंतःकरण को चीर रहे थे,उधर पर्दे के पीछे खड़ी कामिनी की सजल आँखे राजेश की ओर प्रश्न भरी निगाहों से देख रही थी,कि अब क्या होगा?

    अपमान का घूंट पीकर भी राजेश उठा और यह बोलकर कि भाई बस एक वर्ष हमे दे देना,चल दिया।

      राजेश सामान्य परिवार से था,कालेज में ही उसकी मुलाकात  कामिनी से हुई थी।यूँ तो राजेश कामिनी से सिनियर था,पर कॉलेज के वार्षिकोत्सव में दोनो ही भाग ले रहे थे।वार्षिकोत्सव के कार्यक्रमों की रिहर्सल के लिये दोनो को प्रतिदिन मिलना पड़ता ही था।इसी दौरान दोनो का एक दूसरे में आकर्षण बढ़ता गया।ये आकर्षण कब उनके बीच प्रेम के बीज रोपित कर गया,उन्हें पता भी नही चला।

      वार्षिकोत्सव के बाद दोनो के मिलने के अवसर समाप्त हो गये।दोनो अलग अलग कक्षाओं में जो थे।एक अजीब सी बेचैनी दोनो में पनपनी लगी थी,तब उन्हें अहसास हुआ कि वे एक दूसरे के लिये बेचैन है।पहल आखिर राजेश ने ही की,एक दिन उसने कामिनी से कैंटीन में चाय साथ पीने को आमंत्रित किया।कामिनी के साथ कैंटीन में बैठे बैठे एक घण्टा कब बीत गया दोनो अनभिज्ञ ही रहे।अब अक्सर दोनो एक दूसरे से मिलने लगे।दोनो जान चुके थे एक दूसरे के बिना वे अधूरे हैं। राजेश की पढ़ाई का अंतिम वर्ष था,उसके सामने आगे जॉब प्राप्त करने की चुनौती थी,वह एक सामान्य परिवार से था, उसको जॉब ढूढ़ना ही था।उधर कामिनी की शादी के लिये उसके घर मे खुसर पुसर शुरू हो गयी थी।कामिनी ने राजेश से कहा कि वह कुछ करे।इसी संबंध में राजेश कामिनी के भाई अशोक से वार्ता करने आया था,जहां अशोक ने राजेश को बुरी तरह अपमानित कर घर से ही निकल जाने को बोल दिया था।

      राजेश ने जॉब प्राप्त करने के लिये अथक प्रयास प्रारम्भ कर दिये।राजेश को किसी प्रकार एक बैंक में क्लर्क की नौकरी मिल गयी।जॉब तो मिला पर राजेश जानता था कि यह नौकरी जीवन यापन के लिये तो ठीक है, पर कामिनी के परिवार वाले क्लर्क से शादी को तैयार नही होंगे।कामिनी  ने संदेश भिजवाया कि अगले रविवार को उसकी मँगनी तय कर दी गयी है,अब वह क्या करे?

      राजेश जानता था कि कामिनी का भाई और परिवार किसी भी सूरत में उसकी शादी के लिये तैयार नही होंगे।उन्होंने कोर्ट मैरिज करने का निर्णय कर लिया।इसके लिये उन्होंने सब औपचारिताये पूरी कर शादी कर ही ली और समाचार भी कामिनी के घर भिजवा दिया।कामिनी के घर मे हड़कंप मच गया,लेकिन अब कुछ नही हो सकता था।कामिनी के परिवार ने राजेश और  कामिनी को स्वीकार नही किया और उनके घर के द्वार उनके लिये बंद कर लिये।

     समय चक्र चलता रहा,इस बीच राजेश ने प्रतियोगी परीक्षा में सफल हो कर बैंक में मैनेजर पद प्राप्त कर लिया।कामिनी गर्भवती थी,उसको पुत्र प्राप्ति हुई।कामिनी राजेश खूब प्रसन्न थे।एक दिन राजेश ने कामिनी को चुपके से रोते देखा,उसे देख कामिनी ने धीरे से आंसू पोंछ लिये।राजेश के पूछने पर भी कामिनी ने कुछ नही बताया।राजेश कामिनी ने प्यार किया था, एक दूसरे के मनोभाव समझते थे।राजेश भी कामिनी का दुःख समझ रहा था,एक लड़की को जिसने जिस घर मे जन्म लिया हो जिन मां पिता ने उसे जन्म दिया हो,जिन भाई बहनों के साथ बचपन बीता हो क्या उनसे ऐसा अलगाव आंखों में आंसू भी ना लाये।

      अगले दिन शाम को राजेश कामिनी अपने बच्चे बबलू के साथ बैठे खेल रहे थे,अचानक घण्टी बजी,कामिनी ने दरवाजा खोला तो सामने भैया अशोक और मां को खड़े पाया,आश्चर्य से कामिनी चीख पड़ी,राजेश भी दौड़ा आया।कामिनी मां से चिपट चिपट कर रो रही थी,क्यूँ मुझे भुला दिया?हमें माफ कर दो माँ, माफ कर दो भैया।अशोक ने आगे बढ़कर कामिनी को गले से लगा लिया,बोला कामिनी ये राजेश है ना,ये बहुत बड़े दिल का है,हमारी भूल थी,हम इसे पहचान नही पाये, इसे अपमानित किया।कामिनी ये खुद आज घर आकर हमे फिर शर्मिंदा कर गया,बोल गया,भैया हमे माफ कर देना,आपका भांजा आया है,आशीर्वाद देंगे तो हमारा प्रयाश्चित हो जायेगा।हमारे दिये सब घाव भूल गया और हम अहंकारी अपनी बहन को अपनी बच्ची को तिरस्कृत कर बैठे।

     चल कामिनी अपने घर कुछ दिन तो हमे भी दे बबलू से खेलने को।आंखों में आंसू और मन मे प्रसन्ता लिये कामिनी ने राजेश की ओर गर्व से देखा तो राजेश ने पलक झपका कर कामिनी को सहर्ष ही उनके साथ जाने की अनुमति दे दी।

बालेश्वर गुप्ता, पुणे

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

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