बड़ा भाई पिता जैसा ही होता है – राम मोहन गुप्त

अन्नू तुम यह ठीक नहीं कर रहे हो सुनते ही अन्नू, अमन पर फट पड़ा और बोला हाँ मैं कब और कहाँ कुछ भी ठीक करता हूँ, अच्छा करने और अच्छे बने रहने का ठेका जो है तुम्हारे पास।

अपने छोटे भाई अनुज की दिल फटी बातें सुनते ही अमन की आँखें भर आईं और वह दुःखी मन से ऑफिस के लिए पैदल ही निकल पड़ा। आखिर उसने ऐसा क्या कह दिया कि अन्नू इतनी बुरी तरह से उलाहना दे रहा है! उसने तो केवल उससे कॉलेज जाने को ही कहा था वह भी तब की जब अन्नू मोबाईल में गेम खेलने में व्यस्त था और वह भी उस मोबाईल में जिसे अपनी बिगड़ी मोटर साईकिल बनवाने के बजाए अन्नू की ऑन लाईन क्लासेज के लिए अमन लेकर आया था। वह भी इस लिए कि माँ को दिये वचन को हर हाल में निभा सके।

अमन को आज भी याद है कि अपनी आखिरी साँसे लेते हुए माँ ने उससे कहा था ‘बेटे ध्यान रखना अन्नू के माँ-बाप अब तुम ही हो, सदा अपने छोटे भाई का ध्यान रखना’। तब से आज का दिन है कि वह हर पल अपनी माँ को दिए वचन को हर हाल में निभा रहा है, दीगर बात है कि अन्नू सदैव इसका नाजायज फायदा उठाता रहा है।

पर आज ऑफिस से लौटते वक्त अमन ने अनुज को सबक सिखाने का निर्णय लेते हुए अपने मित्र देवल का सहारा लिया जो हमेशा ही उससे अन्नू को ज्यादा ढील न देने की बात कहा करता था।

रात के 11 बजे तक भईया को घर नहीं आये देख अन्नू को घबराहट होने लगी और उसने मोबाईल पर भईया का नम्बर लगा दिया पर यह क्या स्विच ऑफ? वह भी बार-बार, अब तो उसका दिल घबराहट में डूब गया, क्या हुआ, क्या बात हुई, इससे पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ आदि डरावने सवाल घूमने लगे! फ़िर उसने देवल भाई का नम्बर लगा दिया,जिन्होंने ने सोती सी आवाज़ में जवाब दिया’क्या है’।

अमन भईया अभी तक घर नहीं पहुँचे और उनके फोन भी बंद आ रहा है?

अच्छा, पर वो तो आज ऑफिस भी नहीँ आया था, जवाब सुनते ही अनुज घबरा गया और बच्चे की तरह रोने लगा।अनेकों बुरे ख्यालात दिमाग़ को सुन्न किये जा रहे थे, कि दरवाजे की घण्टी बजी और देवल सामने था,जिसे देख अन्नू दौड़ पड़ा और उससे चिपट कर बोला भईया शायद मुझसे रूठ कर कहीं चले गए या फिर…!


क्यों, क्या आज फिर? हाँ भईया सुबह मेरी बात हो गई थी और…।

कितनी बार तुम्हें समझाया है कि भईया की बात सुना करो, मानो तुम्हारे लिए ही जीता है वो और भाई की तरह नहीं बेटे की तरह पाल रहा है तुम्हें वह भी अपना पेट काटकर और अपनी ख़ुद की इच्छाओं को मार कर, पर तुम हो कि मानते ही नहीं।

भईया कसम खाता हूँ अब आगे कभी भी ऐसा न होगा अच्छा भाई…नहीं बेटा बन कर दिखाऊंगा बस भईया को खोज कर ला दो प्लीज़..!

‘लो अन्नू में आ गया अपना अच्छा भाई पा गया’ सुनते ही अन्नू मानो पगला गया और अमन को सामने खड़ा देख लिपट गया।

दोनो को यूँ लिपटे-खुशी से रोते देख से भी न रहा गया और बरबस उसके मुँह से निकल गया अन्नू सदा याद रखना ‘बड़ा भाई भी पिता जैसा ही होता है जो सब कुछ सहता है पर अपनी संतान जैसे भाई के लिए सब कुछ करता पर कभी भी उफ़ नहीं करता।

पर हर बात की भी हद होती है यह बात सदा ध्यान रहे और एक-दूजे का मान रहे।

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