बचपन – मीना माहेश्वरी

     “लकी थोड़ा जल्दी_जल्दी हाथ चलाओ , धीरे_धीरे क्या कर रहे हो ?” अंकल जी ने ज़ोर से आवाज़ लगाईं।

जी, अंकल जी कहकर लकी फिर से अपने काम में लग गया । लकी और उसका बड़ा भाई हमारे पड़ोस में किराए पर एक रूम लेकर रहते थे। कुछ समय पहले ही कैंसर से उसके पिता का देहांत हो गया था। गांव में थोड़ी _बहुत

पुश्तैनी खेती और मकान था। उसकी मम्मी छोटा मोटा काम करती थी। भाई भी सुबह अख़बार बांटता और फिर दिन भर दुकान में काम करता। मम्मी आती_जाती रहती थी। बड़े भाई की उम्र15_16साल और लकी 11_12साल का होंगा। दोनों भाई अकेले ही सब कुछ संभाल लेते थे।

                  छोटे_मोटे काम के लिए ये कभी _कभार उसे बुला लिया करते थे, उसे भी इनके साथ काम करने में बड़ा मज़ा आता था, अंकल जी खिलाते_पिलाते भी खूब थे और कुछ खर्चा_पानी भी मिल जाता था । जब कभी भी ये उसे बुलाते वो दौड़ कर चला आता।



                     मेरी नज़र उस छोटे से बच्चे से हट नही रही थी, चहेरे पर मुस्कुराहट, कपड़ों को उसने बड़े स्टाइल में पहन रखा था,(भले ही क्वालिटी हल्की हो लुक बढ़िया था,) जूते मौजे भी पहन रखे थे, और बड़े मज़े से

क्यारियों में मिट्टी डाल कर पौधे लगाने में अंकल जी की पूरी मदद कर रहा था ।

                  मैं मन ही मन में ईश्वर से  उस बच्चे के हंसते_खेलते बचपन और  उज्जवल भविष्य की कामना

कर रही थी।

मीना माहेश्वरी स्वरचित

रीवा मध्य प्रदेश

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