साल 2014 दिन 8 जून उषा जी के जीवन का सबसे बुरा ,दुख से भरा दिन ! बड़ी बीटिया के ब्याह के मात्र सात दिन शेष ! पति फौज में सूबेदार के पद पर तैनात थे ! बच्चों को लेने आ रहे थे ! अपने पैत्रक गांव से विवाह कर रहे थे ! घर में ख़ुशी का माहोल था ! उषा जी के पति का एक्सीडेंट में देहांत हो गया ! उनकी तो पूरी दुनिया ही ऊजड़ गयी ! किसी तरह खुद को संभाला ,कुछ दिनों में बेटी का ब्याह जो करना था ! सूबेदार जी सारी तैयारी करके गए थे ! बेटी के ससुराल वाले बहुत ही भले लोग थे !
निर्धारित तिथि पर विवाह सम्पन्न हुआ ! सभी की आँखें नम थी ! उषाजी ने विवाह सम्पन्न तो करा दिया ! बीटिया को विदा कर दिया ! पर घर आकर पति की याद में पल पल सिस्कियां भरती रहती ! इतने सपने दिखा गए थे सूबेदार जी ! मेजर बनने वाला हूँ ! अब नौकर मिलेंगे ! ठाठ की ज़िन्दगी जीना ऊषा ! अब तो बच्चें भी बड़े हो गए हैँ ! घूमने चला करेंगे ! पूरी दुनिया घुमाऊँगा तुझे ! इस तरह के सुहावने सपने दिखाकर विदा हो गए सूबेदार जी ! कहते हैँ फौजी आदमी अपने बीवी ,बच्चों से प्यार भी बहुत करता हैँ ! शायद ये भी एक बड़ा कारण था की उषा जी एक मिनट भी उन्हे याद किये बिना ना रह पाती !
कच्ची गृहस्थी ,तीन बच्चें ! अभी एक ही बीटिया का तो ब्याह किया था उन्होने ! अभी एक बेटी ,एक बेटे की ज़िम्मेदारी उन पर बची थी ! अभी कोई भी बच्चें सक्षम नहीं हुए थे ! ज़ितना पढ़ना चाहते थे बच्चें,उतना पढ़ाया उन्होने ! उषा जी की तबियत दिन पर दिन खराब रहने लगी ! छोटी बीटिया से उनकी ऐसी हालत देखी नहीं जाती ! वो हर बड़े से बड़े डॉक्टर के पास उन्हे लेकर जाती ! शायद कोई डॉक्टर चमत्कार कर दें ! मेरे माँ के तनाव को दूर कर सकें ! उषा जी दवाई खाने की आदी हो चुकी थी !
पर इससे उनकी स्थिति में कुछ हद तक सुधार आया ! जब औरत का पति नहीं रहता तो परिवार वालें भी उसका साथ नहीं देते ! पर उनके भाई ने उनका बहुत साथ दिया ! उषा जी को बच्चों की चिंता लगी रहती कि अगर उन्हे कुछ हो गया तो उनके बच्चों का क्या होगा !! थोड़े बहुत जो पैसे थे,उससे उन्होने घर ले लिया ! कब तक किराये पर रहती ! उनकी पेंशन पर ही निर्भर था परिवार !
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अभी बच्चें पैरों पर खड़े नहीं थे ! बीटिया माँ की चिंता समझती थी ! आज के समाज में बच्चें माँ बाप पर निर्भर रहे तो समाज उनको इज्जत नहीं देता !! माँ पिताजी ने इतना पढ़ाया ,लिखाया ,पैसा खर्च किया उसका फल भी तो माँ बाप को मिलना चाहिये !! परिवार की ज़िम्मेदारी संभालते हुए वो सरकारी नौकरी की तैयारी करती रही ! ईश्वर की कृपा से छोटी बीटिया का सलेक्शन उत्तर प्रदेश के विद्युत विभाग में हो गया ! घर में खुशियां आ गयी ! बड़ी बीटिया पर दो बच्चें थे ,घर परिवार की ज़िम्मेदारी थी !
उसके दो साल बाद बड़ी बीटिया भी उत्तर प्रदेश के बेसिक विभाग में अध्यापिका बन गयी ! पर अभी भी उषा जी की चिंता पूरी तरह खत्म नहीं हुई थी ! बेटियों को तो अपने पति के साथ रहना था ! पर बेटा तो अभी भी पूरी तरह से उन पर निर्भर था ! उषा जी भी दिन पर दिन ढल रही थी ! छोटी बीटिया का भी विवाह अच्छे सम्पन्न घर में कर दिया ! अब उषा जी पर काम नहीं होता था ! बहनों ने भाई को खूब समझाया कि कोई भी प्राईवेट नौकरी कर ले दीपू ,माँ दिन पर दिन ढल रही हैँ !
हमारे साथ रहना नहीं चाहती कि बेटी के घर रहना सही नहीं होता ! तू नौकरी कर लेगा तो बहू आ जायेंगी तो थोड़ा वो निश्चिंत हो जायेंगी ! पर भाई एक ही बात पर डटा रहता – एक साल और दे दो नहीं होगा तो कोई भी नौकरी कर लूँगा ! एक एक करके दो तीन साल गुजर गए ! पर हर परिक्षा में उसे निराशा मिलती ! कभी एक नंबर से ,कभी दो नंबर से ,कभी साक्षात्कार में ,कभी टंकण परिक्षा में रह जाता ! एसएससी ,रेलवे बैंकिंग ऐसी कोई परिक्षा नहीं छोड़ी दीपक (दीपू ) ने !
दिन रात मेहनत करता ! दिन भर में पचास बार से ज्यादा www .sarkari .result .com को चेक करता ! बहनों के कहने पर उसने बी .एड भी कर ली ! यूपीटेट ,सीटेट की प्राथमिक एवं जूनियर की परिक्षा भी पास कर ली ! पर उत्तर प्रदेश में 2018 के बाद से कोई शिक्षक भरती ही नहीं आयी ! बहुत हताश होता दीपक ! माँ ,बहन को भी भाई की चिंता रहती ! कहते हैँ ना सबका दिन आता है ,मेहनत कभी ना कभी सफल होती हैँ ! हर रात के बाद सुबह होती हैँ ! ऐसा दिन आ गया ! दीपक का सलेक्शन सेंट्रल रेलवे में हो गया ! एसएससी की टाईपिंग भी हो गयी हैँ ,उसका इंतजार और हैँ उसे ! ईश्वर ने चाहा तो इसमें भी सफल हो जायेगा ! उषा जी के तीनों बच्चों ने उनका नाम रोशन कर दिया ! समाज में इज्जत और बढ़ा दी !
ये मेरी ,मेरी माँ उषा की कहानी हैँ ! अभी परसो ही मेरे भाई दीपक का सलेक्शन हुआ हैँ ! कहने को बहुत बहुत छोटी बात है पाठकों पर अगर आप मिडल क्लास हैँ तो अच्छे से समझ सकते हैँ कि एक छोटी सी सरकारी नौकरी उसके लिए किसी बड़े सपने से कम नहीं होती ! ईश्वर ने दुख बहुत दिये मेरी माँ को ,पर अब वो दुनिया से निश्चिंत होकर जायेंगी कि उनके तीनों बच्चें आत्मनिर्भर हो गए हैँ ! ईश्वर मेरी माँ को खूब लम्बी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य दे !
ये हम तीनों भाई बहन
स्वरचित
मौलिक अप्रकाशित
मीनाक्षी सिंह
आगरा