बच्चों का दायित्व – मंजू ओमर: Moral stories in hindi

दरवाजे की बेल बजी तो रागिनी ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने उपासना खड़ी थी ,उसको अचानक देखकर रागिनी ने पूछा अरे उपासना तुम ,तुम कब आई इलाहाबाद से उपासना कुछ न बोलकर रागिनी के गले लगकर रोने लगी ।अरे उपासना क्या हो गया क्यों रो रही हो आओ अंदर बैठो फिर बात करते हैं । रागिनी ने उसको अंदर बैठाया और पानी दिया पीने को । अच्छा अब बताओ क्या बात है।

                   उपासना रागिनी के घर में ऊपर के हिस्से में किराए से रहती थी ।चार साल तक थी फिर वो इलाहाबाद चली गई जहां पति की नौकरी थी । उपासना एक बहुत ही अच्छे स्वभाव की मिलनसार महिला थी । उम्र कोई यही 40,45 के पास रही होगी ।अच्छी हाइट ,गोरा रंग देखने सुनने में बहुत ही सुन्दर बोलचाल में ऐसी कि मन मोह लेती थी ।

घर में रहते हुए अभी चार पांच महीने ही हुए थे कि रागिनी और उपासना की अच्छी पटरी बैठने लगी थी। उपासना और रागिनी की आपस में खूब बात चीत होने लगी थी । लेकिन उपासना ने कभी अपनी आप बीती नहीं बताई थी।दो बेटे थे उसके एक 14 साल का था जो उसके पास रहता था और एक एक सतरह अठारह का होगा जैसा वो बताती थी वो बुआ के पास रहता था।

             उपासना के पति किसी पेपर के लिए काम करते थे इसलिए उनका टूर बहुत रहता था। उपासना जितनी सुंदर थी पति बिल्कुल ही उसके अपोजिट मोटे , ठिगने और एक पैर भी खराब था और उम्र में भी ज्यादा दिखते थे । रागिनी और उनके पति अक्सर ये बातें करते थे कि कहीं मजबूरी की शादी या दूसरी शादी तो नहीं है ।वो दोनों बस अटकलें लगाया करते थे पर असलियत नहीं पता थीं । उपासना बेटे को जी जान से प्यार करती थी । लेकिन उपासना ने कभी अपने लाइफ के बारे में नहीं बताया।

                 आज उपासना से उसके रोने का कारण पूछा और ये भी पूछा कि इलाहाबाद से कब और कहां आई हो तो उपासना ने बताया एक दोस्त के घर आई थी और रो क्यों रही हो तो कहने लगी पति का किसी दूसरी लड़की से चक्कर चल रहा है और वो उसी के साथ आजकल दिल्ली में रह रहे हैं। मुझसे कहते हैं जाओ तुम घर से मैं रीमा के साथ रहूंगा।अब बताओ आंटी मैं कहां जाऊं । इनके बच्चों को पाल-पोस कर बड़ा कर दिया तो अब कहते हैं जाओ ।

क्या मैंने अपना #दायित्व नहीं निभाया क्या । इनके बच्चे क्या मतलब रागिनी ने पूछा तो उपासना बोली आंटी ये मेरे बच्चे नहीं हैं ये मेरी बड़ी बहन के बच्चे हैं बहन को यूटेस में कैंसर हो गया था तो वो दोनों बच्चों को छोड़कर चल बसी थी ।मैं गरीब परिवार से थी इटावा के पास एक गांव है वहां कुछ हूं मैं ।की बहनें थीं हमलोग फिर बच्चों को कौन पालेगा तो पिताजी ने मेरी शादी कर दी इनसे। इन्हीं बच्चों को पालने में अपना सारा जीवन लगा दिया।एक बच्चा नन्द ने रख लिया था इसी चक्कर में मैंने अपना बच्चा नहीं किया । आजतक बच्चों को पता नहीं था कि मैं उनकी सगी मां नहीं हूं । रागिनी बोली हां ये तो मैंने देखा है कि तुम बच्चों को कितना प्यार करती थी।

             अब पति उस लड़की रीमा के चक्कर में पड़ गए हैं और सारा पैसा उसी पर खर्च करते हैं ।बेटा अब बड़ा हो गया है जयपुर में इंजीनियरिंग में दाखिला दिला दिया है ।और मुझसे कहते हैं कि अपना ठिकाना कहीं और कर लो । बच्चों को भी बता दिया कि ये तुम्हारी सगी मां नहीं है।

                   अब आंटी आप बताओं क्या मैंने अपना #दायित्व सही ढंग से नहीं निभाया है । रागिनी बोली नहीं उपासना तुमने तो कोई कसर नहीं छोड़ी है अपना दायित्व निभाने में। लेकिन तुमने जिसकी खातिर अपना पूरा जीवन लगा दिया अब इस उम में कहां जाओगी। उपासना बोली आंटी अंकल से कहकर मेरी कहीं नौकरी लगवा दें । रागिनी बोली उपासना तुम्हारी पढ़ाई भी नहीं है ठीक से इंटर ही किया हुआ है बेटा तुम्हे कहां नौकरी मिलेगी। मायके चली जाओ। कहां चली जाऊं आंटी मां बाप आब है नहीं छोटा भाई है एक वो भी मतलब नहीं रखता ।

            मन की भड़ास निकाल कर उपासना चली गई । रागिनी ने पति से कहा उपासना के पति से बात करो लेकिन वो फोन ही नहीं उठाते थे । उपासना के जाने के बाद दो तीन बार तो उससे बात हुई फिर उससे भी बात होनी बंद हो गई फोन लगाओ तो बताता नंबर गलत है । रागिनी को बराबर चिंता लगी रहती थी। फिर अचानक आठ महीने बाद उपासना का फोन आया तो रागिनी ने पूछा अरे कहां गायब हो गई थी उपासना मैंने कितना फोन लगाया तुम्हें पर तुम्हारा नंबर गलत है ऐसा बताता था ।

              उपासना  बोली वो आंटी फोन चोरी हो गया था । रागिनी ने सारी स्थिति जाननी चाही तो उसने बताया कि छे महीने से दिल्ली में है पतिदेव का भंयकर एक्सीडेंट हो गया था सिर में चोट लगी थी तीन महीने बेहोश रहे  और तीन फैक्चर थे । एक्सीडेंट के बाद वो लड़की छोड़कर भाग गई । फिर पुलिस वालों का फोन आया मेरे पास तो मुझे जाना पड़ा । इन्हीं के साथ हूं अभी भी इलाज चल रहा है । देखभाल करती हूं ।अब पति देव को समझ आ गया कि कौन साथ निभायेगा । आंटी मैं तो पहले भी अपना दायित्व निभाया था और अब भी निभा रही हूं ।। रागिनी बोली चलो बेटा बहुत अच्छा जो कुछ ईश्वर करता है अच्छा ही करता है ,तुम गलत नहीं हो अपनी जिम्मेदारी निभाओ सब ठीक होगा ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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