” बच्चों बीच संतुलन रखो बहू नहीं तो बड़े के साथ अन्याय होगा ” – अमिता कुचया

आज सुहानी दो बच्चों की मां है , उसका एक बड़ा बेटा जो आठ साल का है, दूसरी बेटी अभी चार महीने की है ।पर बड़े बेटे  को अभी भी लगता कि उसकी मां दूध का गिलास लिए पीछे -पीछे दौड़े, उसे हाथों से खाना खिलाए, उसे नहलाएं कपड़े बदले।पर  छोटी बच्ची के कारण वो चाहकर उसके साथ वो सब नहीं कर पा रही थी।ऊपर से घर के सब काम देखते -देखते सुबह से शाम कब हो जाती है ,उसे पता ही नहीं चलता।

उसकी सास जो उसके साथ रहती है ,वो चाहती है कि लाडले आर्यन पर भी बराबर का ध्यान दे।ताकि उसके प्यार में कोई कसर न रह जाए। सुहानी छोटी बच्ची के कारण रात में ढंग से सो भी नहीं पाती थी। वह दिनोंदिन चिड़चिड़ी हो रही थी। उसके  पति एक बिजनेस मैन थे ।उन्हें अपने काम से फुर्सत नहीं थी।

एक दिन आर्यन दूध नहीं पी रहा था ।उसने देखा कि वह चोकोज खाने की जिद करें हुए था।वह खत्म हो गये थे। तब सुहानी ने कहा- “बेटू अभी नहीं है, जब पापा लाएंगे । तब तुम्हें दे दूंगी।अभी बोर्नविटा वाला दूध पी लो। बाद में शाम को चोकोज  मिलेंगे।

आज उसका रोना  एक घंटे से चालू था। उसने डांटा तो वह और तेज रोने लगा।आज सुहानी दोनों बच्चों के आगे हारा हुआ महसूस कर रही थी। क्या करु? उसने उसे और जोर से डांट दिया तब सासुमा ने आर्यन को पुचकार कर चुप कराया ,तब कहीं वह चुप हुआ दूध पीकर सो गया।

आज सासुमा  से न रहा गया और सुहानी से कहने लगी – “अरे इतने छोटे बच्चे को क्यों डांटती है। ” तब सुहानी ने कहा- “अरे जब मैं आर्यन को प्यार करती हूं तो डांटना भी जरुरी है नहीं तो यह जिद्दी होता जाएगा।”



तब सासुमा ने समझाया सुहानी केवल उसे यह एहसास कराओ कि आर्या के साथ तुम भी जरूरी हो ।उसे भी बहन की जिम्मेदारी का एहसास कराओ ।ताकि वो  भी अपनी छोटी बहन का ध्यान रख सके। दोनों के बीच संतुलन बनाओ ताकि एक को ये न लगे कि मम्मी मेरी तरफ ध्यान नहीं दे रही है।उसे यही लगेगा जब वह बड़ा होगा कि मेरे साथ अन्याय हुआ है।बहू तुम समय -समय पर उसे भी पुचकारो, उसके सिर पर हाथ फेरो, फिर देखना कितने अच्छे से समझेगा।

एक दिन उसने आर्यन से कहा-” बेटू बहन का ध्यान रखना ,उसके साथ रहना, उसे तुम्हें ही ध्यान देना है । तुम उसके बड़े भाई हो। इतना सुनते ही आर्यन वहीं बैठा रहा।तब तक सुहानी ने पूरी रोटी बना ली।वहीं दादी  भी बैठी थी। और फिर सुहानी आर्यन के लिए खाना ले आई , उसे अपने हाथों से खिलाया। तभी उसकी छोटी बहन उठ गई ,रोने लगी ।

 

उसने देखा सूसू और पोट्टी कर ली।तब उसे समझाया देखो बेटा -अब क्या करूं ?छोटी बहन को  रोने दूं।या उसे चुप कराऊं।तब आर्यन ने कहा मम्मी आप छोटी बहन आर्या को चुप कराओ। और आर्यन ने अपना खाना स्वयं से फिनिश किया।सुहानी ने बेबी आर्या को उठाया और चुप कराकर सीने से लगा लिया।

सासुमा का जादू चल गया।वह छोटी बहन आर्या साथ  के खेलने लगा। उसे अपने आप को अलग जो असुरक्षा की भावना बहन के होने से हो रही है वह भी अब खत्म होने लगी।

अब आर्यन खुश रहने लगा।और सुहानी भी छोटी आर्या पर बराबर का ध्यान देने लगी।अब उसे समझ आ गया कि दोनों बच्चों की ओर पूरी तरह प्यार का संतुलन किस तरह बनाना चाहिए कि उसे उपेक्षा महसूस न हो ,नहीं तो आर्यन  का ध्यान न रखा जाए।तो ये अन्याय ही होगा। और एक चक्कर में कहीं हम दूसरे  बच्चे के साथ गलत तो नहीं कर रहे हैं।इस बात हमें ही ध्यान रखना चाहिए , जैसे  सुहानी ने दिया।ताकि बड़ा  बच्चा जिद्दी और गुस्सैल न हो जाए।इस तरह उसे भी समझ आ गया।

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धन्यवाद 🙏❤️

#अन्याय

अमिता कुचया

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