मम्मी मम्मी… कहां हो जल्दी बाहर आओ..! अरे क्या हुआ… हे भगवान.. तुम्हारा सिर किसने फोड़ दिया? कितना खून बह रहा है ,जल्दी आओ फटाफट से मैं तुम्हारी मरहम पट्टी करती हूं! मरहम पट्टी करने के बाद ममता ने अपने बेटे सोहम से पूछा… इतनी चोट कैसे लगी, तुम तो खेलने गए थे बाहर, क्या कहीं पर गिर गए थे?
अरेनहीं मम्मी…. साले.. ड्राइवर बिरजू के बेटे ने मुझे धक्का दे दिया और एक पत्थर से मेरा सिर टकरा गया! हे भगवान तुझे कितनी बार मना किया है उन लोगों के साथ मत उठा बैठा कर, तुझे क्या जरूरत पड़ी थी उन लोगों के साथ खेलने की, बेटा रिश्ते हमेशा बराबर वाले से ही बनाने चाहिए,
तुझे पता है ना हमारे और उनके रहन-सहन में कितना अंतर है, वह सिर्फ हमारे ड्राइवर का बेटा है, तुम इतने बड़े स्कूल में पढ़ते हो, वह एक सरकारी स्कूल में पढ़ता है, हम हर चीज में उनसे बहुत ऊंचे हैं, पर तुम्हें तो कितना भी समझा लो, तुम्हें तो पता नहीं ड्राइवर के बेटे की दोस्ती ही क्यों पसंद आती है, मां ने अपने 12 वर्ष के बेटे को डांटते हुए कहा..
पर तू चिंता मत कर, मैं आज शाम को ही तेरे पापा से कह कर उनसे अपना सर्वेंट क्वार्टर खाली करवा लूंगी और नौकरी भी छोड़ने की कह दूंगी! हां मम्मी यही सही रहेगा, यह लोग इसी लायक हैं! शाम को ममता ने ड्राइवर बिरजू से कहा. बिरजू.. तुम जल्दी से जल्दी अपना इंतजाम कहीं और कर लो, तुम्हें अब यहां रहने की कोई जरूरत नहीं है,
अरे हमारे एहसान तले दब रहे हो फिर भी तुम लोगों की हिम्मत देखो, आज तुम्हारे बेटे ने मेरे बेटे को धक्का दे दिया, जिससे उसके सिर पर चोट आ गई और बहुत खून भी बह रहा था, भगवान ना करें अगर चोट गहरी होती या कहीं और लग जाती तो…? कितनी गलत शिक्षा देते हो
अपने बच्चों को, मुझे जल्दी से जल्दी यह क्वार्टर खाली चाहिए और तुम्हारे बेटे से भी कह देना वह मेरे बेटे से दूर रहे! इतना सुनकर ड्राइवर बिरजू ने कहा… बिल्कुल ठीक कहा मैडम जी आपने… आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए, मैंने भी अपना इंतजाम कहीं और कर लिया है, मैंने अपने बेटे को कितना समझाया की “रिश्ते हमेशा बराबर वाले से बनाना चाहिए” किंतु बच्चा ही तो है..
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नहीं समझता, उसे तो सोहम बाबा की दोस्ती बहुत पसंद है! कल भी मैडम जी.. सोहम बाबा ने बिना किसी बात पर खेल में हार जाने पर मेरे बेटे को बहुत मारा और अपना बचाव करने के दौरान धक्का मुक्की में सोहम बाबा गिर गया और उन्हें चोट लग गई और सारा इल्जाम मेरे बेटे पर लगा दिया!
मैडम जी मेरा बच्चा भी कब तक मार खाता, अपना बचाव तो करना ही था, पर यह बात आप लोग नहीं समझोगे, हम गरीबों पर तो वैसे भी सभी अत्याचार करते हैं, आपने भी कर लिया कोई नई बात नहीं है, और मैडम जी अपने बेटे को भी संस्कार सिखाए,गरीब भी इंसान होता है! मैडम जी बच्चे रिश्ते नहीं समझते,
वह सिर्फ अपनापन और लगाव समझते है, आज लड़ पड़े हैं तो देखना कल फिर एक हो जाएंगे! थोड़ी ही देर में सोहम बाबा दौड़ते हुए आए और कहने लगे.. प्लीज अंकल.. घर छोड़कर मत जाना, विमल मेरा दोस्त है और दोस्तों में तो थोड़ा बहुत लड़ाई झगड़ा होता ही रहता है, हम दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह पाएंगे,
पर मैं आपसे वादा करता हूं आज के बाद मैं भी अच्छा बच्चा बनने की कोशिश करूंगा और किसी को भी ऊंच-नीच की तराजू से नहीं तोलूंगा, प्लीज मम्मी अंकल को जाने से रोक लो ना…! अब शर्मिंदा होने की बारी ममता की थी उसने अपने पैसों की घमंड में न जाने बेचारे ड्राइवर को और उसके परिवार को क्या-क्या सुना दिया था और जबकि बच्चे इतना लड़ने के बाद भी एक होने जा रहे थे, क्योंकि बच्चे आर्थिक भेदभाव नहीं समझते, उनके मन में यह दूरियां सिर्फ हम पैदा करते हैं!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
(रिश्ते हमेशा बराबर वाले से ही बनाने चाहिए)
Good story, all human beings are equal. We must respect each other.