बाबुल – के कामेश्वरी   : Moral Stories in Hindi

विनया शादी करके ससुराल जो गई फिर मायके की तरफ़ मुड़कर नहीं देखा था । माता-पिता सोचते थे कि बिटिया वहाँ इतनी खुश है कि उसे मायके की याद ही नहीं आ रही है । चलो अच्छा है उसे ऐसा अच्छा ससुराल मिला है ।

विनया मायके आई नहीं थी परंतु फोन पर बातें अक्सर कर लेती थी और जब भी फ़ोन किया उनसे चहकते हुए ही बात किया था । माता-पिता को उसे देखने की इच्छा होती थी परंतु नया ससुराल है उसे वहाँ अपने आप को ढालने में समय लगेगा इसलिए फोन पर बातें करके ही दिल को तसल्ली दे लेते थे ।

एक दिन गोयल जी बाज़ार से घर पहुँचे और पत्नी से कहा — तुम्हें मालूम है आज एक अनोखी बात हुई है । मैं उसे सुनकर हैरान रह गया था । पत्नी सुलभा ने कहा कि ऐसा क्या हो गया जिससे आप इतने हैरान हो गए हैं ।

सुलभा तुम्हें याद है हमारे पुराने घर के पास शर्मा जी रहते थे । हाँ मुझे क्यों नहीं याद रहेगा उनकी पत्नी सरला मेरी अच्छी सहेली है । उनकी बेटी कोमल अपनी विनया के साथ पढ़ती थी । कितने अच्छे दिन थे हम हर वीकेंड कहीं ना कहीं घूमने जाते थे ।

वह सब ठीक है सुलभा आज मुझे वे बाज़ार में मिल गए थे । वे बहुत ही उदार से लग रहे थे । उन्होंने कहा कि शया तुमसे बहुत सारी बातें करनी है चल कहीं बैठकर चाय पीते हैं ।

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हम दोनों एक रेस्टोरेंट में बैठ गए । जब मैंने पूछा कि क्या बात है शर्मा तू इतना उदास क्यों है तो तुम जानती हो उसकी आँखें भर आईं थीं । उसकी बेटी कोमल की शादी चार साल पहले हुई थी याद है ना उसने अपने पति से तलाक़ ले लिया है ।

सुलभा ने आश्चर्य से पूछा ऐसा क्या हुआ था कि बात तलाक़ तक पहुँच गई । उसका पति सरकारी नौकरी करता है सास ससुर बहुत अच्छे हैं।

वही तो बात है सुलभा किसी को भी नहीं पता चला कि वह लड़का ही नहीं उसके माता-पिता भी उस लड़की को सताते थे । उससे नौकरी कराया जाता था परंतु पहली तारीख़ को ही पूरा पैसा पति के नाम पर ट्रांसफ़र करना पड़ता है थोड़ी सी भी देरी हो जाती थी तो उसे घर में सब लोग बातें सुनाना शुरू कर देते थे ।

एकबार तो उन्होंने उस बच्ची को मारने का प्लान भी कर लिया था परंतु कोमल को उनके प्लान का पता चल गया और उसने अपने आप को बचा लिया । इन सब बातों में मुझे शर्मा की एक बात अच्छी लगी थी कि उन्होंने बेटी को पहले से ही समझा रखा था कि बेटा किसी भी तरह के अत्याचार को सहने की ज़रूरत नहीं है । हम तुम्हारे साथ हैं यह बात कभी नहीं भूलना । इसी तसल्ली का नतीजा है कि बिटिया बिना हिचकिचाहट के बाबुल के घर पहुँच गई है ।

सुलभा ने कहा कि मेरे ख़याल से बिटिया अपनी माँ को सब कुछ बताती है ऐसा नहीं भी हुआ तो जब बच्ची मायके आती है तो उसे देख कर माँ हर बात को बिना कहे ही पहचान लेती है फिर सरला को पता कैसे नहीं चला या जानकर भी वह चुप रही ।

अरी भागवान वह शादी के बाद मायके आई ही नहीं थी । घर पर फोन करती थी । उनसे बातें भी ख़ुशी ख़ुशी बात करती थी । उसके स्वर में कभी उदासी होती ही नहीं थी फिर माँ को कैसे पता चलेगा । शर्मा ने कहा कि कोमल ने भी अपनी शादी बचाने की पूरी कोशिश की थी परंतु उनकी बातों और व्यवहार के कारण उसे तलाक जैसा कदम उठाना पड़ा ।

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यह सुनते ही सुलभा का दिल धक से रह गया था । विनया भी फोन पर चहकते हुए बातें करती है और आज तक मायके की तरफ़ उसने नहीं देखा है । कहीं मेरी बच्ची को भी……

सुलभा ने कहा कि सुनिए हम कल अपनी बेटी से मिलकर आएँगे मेरा दिल घबरा रहा है । गोयल जी को भी लगा सही तो है छह महीने हो गए हैं बिटिया का ब्याह कर बिदा किए और वह मायके एक बार भी नहीं आई है । वह नौकरी करती है व्यस्त है वीकेंड मे पूरा परिवार घूमने जाते हैं यह सब कुछ ठीक है लेकिन माता-पिता को देखने भी तो आना चाहिए है ना ।

उन दोनों ने फ़ैसला किया था कि उन लोगों को बिना इत्तला किए बेटी के ससुराल पहुँच जाएँगे तब ही उनका असली रूप सामने आएगा ।  यह सोचते ही दोनों ने अपना सामान पैक किया थोड़ी सी मिठाई और फल आदि लेकर रिज़र्वेशन करा लिया । सारी रात आँखों में नींद नहीं थी । सुबह ट्रेन के रुकते ही टेक्सी लेकर लड़की के ससुराल पहुँच गए ।

उन्होंने बेल बजाने के बदले दरवाज़े पर दस्तक देने की सोची ही थी कि यह दरवाज़ा अंदर की तरफ़ अपने आप खुल गया था देखा विनया ऑफिस के लिए तैयार हो गई थी और उसकी सासु माँ उसे नाश्ता  खिला रही थी ।

उसके पीछे पीछे घूमते हुए यह एक कौर खा ले बेटा बाद में भूख लगेगी कहती जा रही थी ।

गोयल जी और उनकी पत्नी की आँखों से आँसू बहने लगे और उन्होंने सोचा हमारी बेटी सचमुच ही खुश है । विनया ने माता-पिता को देखा और आश्चर्य चकित होते हुए कहा आप दोनों ने तो मुझे सरप्राइज़ दे दिया है ।

माँ की आँखों ने बेटी को देख पहचान लिया कि फ़ोन पर जो कह रही थी वह सच है ।

दोस्तों बेटी ससुराल में खुश है यह देखकर या जानकर माता-पिता को इससे ज़्यादा सुकून और कहीं नहीं मिलता है ।

 

के कामेश्वरी

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