धवल शाह खुद खड़े होकर पूरी तैयारियाँ देख रहे थे अरे भाई सही से लगाओ यहाँ फूल बेटी की शादी है..किसी चीज कि कमी नहीं होनी चाहिए…!!!!
इतने में उनकी पत्नी रत्ना जूस का ग्लास उन्हें देते हुए बोली कि माना सब अच्छे से हो वो जरूरी है पर अपनी सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है…!!!!
जूस पीते हुए बोले तुमने पिया जूस हम ही तो एक-दूजे का सहारा हैं…जल्दी से अपना ग्लास भी लाओ…दोनों ने साथ बैठकर जूस पिया फिर अपनी-अपनी तैयारियाँ देखने लगे…!!!!
इतने में एक-एक करके बेटियाँ आ रही थी दोनो बड़े प्रेम से सबसे मिल रहें थे और बेटियाँ व जवाँई सभी उनकी मदद करने लगे..बोले अब आप दोनों बैठिए और जो भी काम हो हमें बताईयें….!!!!
पापा देखिए ये ठीक है…ये मडंप में मैंने थोड़ा बदलाव कराया है इससे ज्यादा भरा-भरा नहीं लगेगा और सबको पूरा अच्छे से दिखेगा…!!!!
सही सपना दी बहुत सुंदर विचार है अनिशा ने भी अपनी सहमति देते हुए कहा…हाँ पापा ये अच्छा रहेगा…!!!!
रत्ना ने सबको कपड़े व गहने दिखाए और बोली…सबको साथ ले जाकर जो पंसद था वो दिलाया है…इन्होंने कहा था कि किसी के दिल में कोई इच्छा नहीं रहनी चाहिए नहीं तो करने का कुछ मतलब नहीं रह जायेगा…!!!!
सोच तो ये है मम्मी पापा ने हमारी भी हर आस पूरी की थी हमें भी कोई कमी नहीं होने दी थी…!!!!
सब तैयारियाँ हो गई थी… बहुत सुंदर व मनभावन लग रहा था..शहनाईयों के बीच जब पचास दुल्हनों को उनकी बहनें जो उनसे अभी मिली थी वो ला रही थी तो वो सुंदरता देख धवल भाई व रत्ना बेन की आँखों से आँसू बह रहें थे…!!!!
इस कहानी को भी पढ़ें:
माँ का आँचल – आरती झा आद्या
जब सभी दुल्हनें व उनकी बहनों ने दोनो को पास-पास बैठाकर उनकें पैरों में फूल डालकर आशीर्वाद लिया तो वहाँ आया हर इंसान भावुक हो गया था सभी की आँखों से आँसू बह रहे थे वो दोनों बोलते रहे कि ये सब हमें नहीं चाहिए…!!!!
मीनल, सपना ,अनिशा, आभा, निधी व और सभी जिनका ज़िन्दगी में कोई नहीं था…आपने पहले पचास बेटियों के माता-पिता बन कन्यादान किया और आज फिर पचास दुल्हनों के लिए साथ देने के लिए उन सबकों बड़े प्यार से न्यौता देकर बहनों की शादी में बुलाया…!!!!
आभा बोली…इतना प्यार व सत्कार तो अपनों से भी नहीं मिलता जो आपने हम जैसे अनाथों को दिया है…हम तो आपके चरण धोकर पीयें तो भी कम हैं…!!!!
धवल भाई ने कहा बेटा..पापा भी बोलती हो और खुद को अनाथ भी बोलती हो खुशनसीब तो हम दोनों है जो हमें तुम सबका कन्यादान करने का हक मिला जिसके लिए सब तरसतें हैं हमें भगवान ने बहुत पैसा दिया…पर संतान सुख नहीं मिला तो आज हमें जो खुशी मिली मैं बता नहीं सकता…चलो अब रस्में कर ली जाएँ व बारात आने वाली है स्वागत के लिए हम सबकों वहाँ होना चाहिए…!!!!
मीनल ने कहा…पापा मैंने कुछ पंक्तियां लिखी हैं…वो सुना दूँ फिर चलतें हैं…
“खुशियों की आस लिए उम्र गुज़ारी…
समझ ना थी मुझे बाबुल के लाड की…!!!!
आस-पास देखती थी जब…
गले मिलतें बेटी को माँ-बाप के…
सोचती कि ऐसे भी कोई रिश्तें होते हैं…
इस कहानी को भी पढ़ें:
एक पोस्टकार्ड – मुकुन्द लाल
जो साथ में हंसते-गाते हैं…
एक-दूजे पर प्यार ही प्यार लुटातें हैं…!!!!
फिर सोचा कि कुछ तो मैंने पुण्य किया…
जो आपको मैंने पा लिया…नहीं हम सबने पा लिया…!!!!
जान है ना पहचान पर….
नाता आपसे जाने कैसा जुड़ गया…!!!!
देखती रही मैं उस भगवान को…
आपके रूप में प्यारा बाबुल मुझे मिल गया…!!!!
जब आप मिलें तो अन्त में यही कहूँगी कि….
बाबुल बाबुल करती फिरूँ….
और ना मुझे कुछ याद हो..!!
आज जो मिलें हो पूरा परिवार लिए…
हर जन्म में आप दोनों ही मेरे माँ-बाप हो..!!!!!”
इस कहानी को भी पढ़ें:
पहले करवा चौथ का नया चांद – शुभ्रा बनर्जी
अनिशा ने कहा मीनल दीदी आपने अपने नहीं सबके दिल की बात कही हैं…सारी ज़िन्दगी हमने अनाथआश्रम में गुजारी…जब मम्मी-पापा से मिलें तो हर खुशी व रिश्तें मिल गये…!!!!
शादियाँ थी पर विदाई के पहले ही सब भावुक थे…एक-एक कर सबका कन्यादान किया…जो बेटियाँ आँगन में अभी आई थी… उनकी विदाई पर भी वो आँगन सूना ना हुआ क्योंकि वो बेटियाँ ही उसे खुशियों से भर आई थी…बाबुल को ढेरों दुआएँ दे आई थी…!!!!!
#5वां_जन्मोत्सव
#कहानी नं.5
अप्रकाशित
मौलिक व स्वरचित©®
गुरविंदर टूटेजा
उज्जैन (म.प्र.)