मेरे बेटे के मित्र का सिलेक्शन NDA में हो गया,,,बहुत कठिन ट्रेनिंग होती है इसकी,,पहली पोस्टिंग उसे सियाचिन में मिली,,
वहां जाते समय मेरी बात हुई उससे ,,,तो उसने बताया कि अभी उसकी टीम बाबा के दर्शन के बाद आगे बढ़ेगी ,,,सैनिक सियाचिन जाने से पहले बाबा का आशीर्वाद जरूर लेते हैं,,और उनसे विनती करते हैं कि वो उनकी मदद करें,,
बाबा हरभजन सिंह के बारे में उसने जो बताया,,उसने मुझे रोमांचित कर दिया,,
हरभजन सिंह की पोस्टिंग 1966 में सिख रेजीमेंट में हुई थी,,उनकी नियुक्ति सिक्किम बॉर्डर पर थी,,
1968 में गश्त के दौरान खच्चर पर नदी पार करते समय वो नदी में बह गए और उनकी मृत्यु हो गई,,
2 दिन तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली,,एक दिन उन्होंने अपने एक मित्र को सपने में आ कर दुर्घटना की जानकारी दी,,वहां खोज करने पर उनका शव मिला,,
तब से अब तक बाबा सपने में ही चीन की गतिविधियों की जानकारी सेना को देते आ रहे हैं,,,उनके द्वारा दी गई सूचनाएँ एकदम पुख्ता होती हैं,,
मुसीबत में फंसे जवानों को भी उनकी उपस्थिति का समय-समय पर एहसास होता है और वो उनकी मदद भी करते हैं,,
बाद में उनके बंकर को मंदिर का रूप दे दिया गया,,जो नाथुला दर्रे के पास 14,000 फीट की ऊंचाई पर है,,,भारतीय सेना और लोगों का विश्वास है कि बाबा सूक्ष्म शरीर से आज भी देश की सरहद की रक्षा कर रहे हैं,,
भारतीय सेना के साथ-साथ चीनी सेना भी उन्हें पूरा सम्मान देती है,,,भारत और चीन के बीच होने वाली फ़्लैग मीटिंग में एक कुर्सी बाबा के लिए खाली रखी जाती है,,,ऐसा विश्वास है कि बाबा सूक्ष्म रूप में हर मीटिंग में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं,,,
बाबा आज तक ऑन ड्यूटी हैं,,सेना हर महीने उनका वेतन घर भेजती है,,हर साल बाबा को 2 महीने की छुट्टी पर सेना उनके घर भेजती है,,बकायदा रिजर्वेशन कराया जाता है और 2 जवान उनके सामान सहित उन्हें घर छोड़कर आते हैं,,
रात को रोज उनकी uniform प्रेस करके और जूते पॉलिश करके रखे जाते हैं,,सुबह कई बार जूतों में कीचड़ लगा मिलता है और कपड़ों में सलवटें होतीं हैं,,
विश्वास तो नहीं होता पर यह सच है,,,कौन कहता है कि कर्तव्य जीते जी ही निभाये जा सकते हैं,,अगर देशभक्ति का जज्बा हो तो मरने के बाद भी निभाये जा सकते हैं,,
अभी कुछ दिनों पहले ही वो रिटायर हुए हैं,,पर ऐसा नहीं लगता कि वो अपनी भारतमाता पर आये संकट के समय खुद को रोक पायेंगे,,सैल्युट है ऐसे कर्तव्यपरायणता की प्रतिमूर्ति बाबा को
कमलेश राणा
ग्वालियर