अब तो पड़ जाएगी न तुम्हारे कलेजे में ठंडक – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

समय की पुकार, पर्यावरण की संभाल-      “ सुरेखा, तुम्हें कितनी बार समझा चुकी हूं कि गीला और सूखा कूड़ा अलग अलग रखा करो , और कितना पानी बर्बाद कर देती हो बर्तन साफ करते समय, जब ना जरूरत हो तो नल बंद कर दिया करो, और देखो पोछां लगाते समय सारे घर के पंखे चला … Read more

और उसूल बदल गए – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

सुबह से तीन बार माँ का फ़ोन आ चुका था, लेकिन राशि बात नहीं कर सकी। जाहिर है, सुबह सुबह काम ही इतने होते है कि किसी से बात करनी तो क्या ढ़ग से बैठ कर एक कप चाय पीने की भी फ़ुरसत नहीं होती। पराग को आफिस और शान को स्कूल भेजकर ही वो … Read more

शुभ विवाह- एक परीक्षा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 “ बेटा आरव – देखो तो ये शादी के कार्ड, कितने सुंदर है”, हेमा ने एक फाईल को आरव के आगे रखते हुए कहा।“        हर मां की तरह हेमा को भी इकलौते बेटे की शादी का चाव था। बेटी हिना की शादी तीन साल पहले हो चुकी थी तो जैसे घर सूना ही हो गया … Read more

ऋण चुका दिया – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

शामली का मोबाईल जब रात के दो बजे बजा तो वो समझ गई कि भारत से उसकी परम मित्र रूही का फोन ही होगा। वैसे तो उसे भारत से न के बराबर फोन आते है, कोई है ही नहीं तो फिर फोन कौन करेगा। जो नाममात्र के रिश्ते हैं वो तो बहुत पहले ही छूट … Read more

एक कप चाय – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

प्रीतो एक गिलास चाय लाना अभी लाती हूँ माँजी  बिंबोली एक घंटे से चाय का इंतजार कर रही थी. लेकिन प्रीतो के पास भी वही रटा रटाया उत्तर था.वो भी क्या करे. सुबह का समय किसी को स्कूल जाना तो किसी को आफिस. किसी का रूमाल ग़ायब तो किसी को टाई नहीं मिल रही. एक … Read more

बहुत कुछ होते हुए भी पैसा सब कुछ नहीं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

     नीमा की शादी अपने ही शहर में विराट से हुई तो उसे मां बाप से दूरी का ज्यादा अहसास नहीं हुआ। दोनों घरों में ज्यादा दूरी भी नहीं थी। नौकरी भी वहीं पर थी, विराट का आफिस तो पूना में था लेकिन ज्यादातर काम आन लाईन हो जाता या फिर वो मार्कटिंग में रहता। ससुराल … Read more

फिर आई होली – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

अरे जल्दी जल्दी हाथ चला कम्मो, तीन घंटे में तूने इतनी सी मिर्चें ही कूटी है, और तूं रानो , तीन दिन से मेथी सुखाने के काम में लगी है,अभी भी कुछ कुछ गीली सी लग रही है, कोई काम पूरा नहीं हो रहा। अभी तो हल्दी कूटनी है, गरम मसालें तैयार करने है, और … Read more

नए साल की सौग़ात – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

टवनटी टवनटी वाला साल तो शायद कभी नहीं भूलेगा। जब से नया साल शुरू हुआ है, सबके मन में नई उंमगें हैं। पिछले साल ने जो दु:ख दिए, जो जो नुकसान हुए उन सबकी भरपाई होना इतना आसान नहीं है, और कुछ ज़ख़्म ऐसे भी मिले जो कभी नहीं भरेंगे , फिर भी कहते है … Read more

प्रायश्चित – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

प्रायशचित गल्तियों का होता है, गुनाहों का नहीं “ गोकुल बेटा, तुझसे एक बात करनी है” मुरली प्रसाद ने दुकान पर जा रहे बेटे से धीरे से कहा। “ जी बाबूजी, कहिए, क्या कहना चाहते है” गोकुल ने बही खाता एक तरफ रखते हुए कहा। वैसे तो आजकल सब काम कम्पयूटर पर हो जाते है, … Read more

 वही हार – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

सच ही कहते है कि जब तक ख़ुद पर न बीते असलियत समझ नहीं आती। कैसे हम दूसरों की छोटी से छोटी बात में आसानी से बड़े बड़े नुक़्स निकाल लेते है, लेकिन जब वही काम ख़ुद करना पड़ता है, तो पता चलता है कि कैसी कैसी रूकावटें सामने आती हैं।रूचि के बेटे व्यास की … Read more

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