फिर आई होली – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

अरे जल्दी जल्दी हाथ चला कम्मो, तीन घंटे में तूने इतनी सी मिर्चें ही कूटी है, और तूं रानो , तीन दिन से मेथी सुखाने के काम में लगी है,अभी भी कुछ कुछ गीली सी लग रही है, कोई काम पूरा नहीं हो रहा। अभी तो हल्दी कूटनी है, गरम मसालें तैयार करने है, और … Read more

नए साल की सौग़ात – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

टवनटी टवनटी वाला साल तो शायद कभी नहीं भूलेगा। जब से नया साल शुरू हुआ है, सबके मन में नई उंमगें हैं। पिछले साल ने जो दु:ख दिए, जो जो नुकसान हुए उन सबकी भरपाई होना इतना आसान नहीं है, और कुछ ज़ख़्म ऐसे भी मिले जो कभी नहीं भरेंगे , फिर भी कहते है … Read more

प्रायश्चित – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

प्रायशचित गल्तियों का होता है, गुनाहों का नहीं “ गोकुल बेटा, तुझसे एक बात करनी है” मुरली प्रसाद ने दुकान पर जा रहे बेटे से धीरे से कहा। “ जी बाबूजी, कहिए, क्या कहना चाहते है” गोकुल ने बही खाता एक तरफ रखते हुए कहा। वैसे तो आजकल सब काम कम्पयूटर पर हो जाते है, … Read more

 वही हार – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

सच ही कहते है कि जब तक ख़ुद पर न बीते असलियत समझ नहीं आती। कैसे हम दूसरों की छोटी से छोटी बात में आसानी से बड़े बड़े नुक़्स निकाल लेते है, लेकिन जब वही काम ख़ुद करना पड़ता है, तो पता चलता है कि कैसी कैसी रूकावटें सामने आती हैं।रूचि के बेटे व्यास की … Read more

 सम्मान की सूखी रोटी – विमला गुगलानी  : Moral Stories in Hindi

  “ अरी अचला, जल्दी हाथ चला,अभी तक तुझसे चादरें नहीं बदली गई, दोनों कमरे अच्छें से साफ करना, रावी को धूल मिट्टी से बहुत एलर्जी है” मनु बस पहुंचने ही वाला होगा” सावित्री ने मेड अचला को डांटते हुए कहा।  “ और तुम प्रीति अभी तक तुमसे रसोई का काम पूरा नहीं किया गया, भटूरे … Read more

 मीठी छुरी चलाना : विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

विशाखा को शहर के बहुत अच्छे स्कूल में नौकरी मिलने पर खुश होना स्वाभाविक ही था। उसे लगा कि अब उसकी आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी और दिल भी लगा रहेगा। दो साल पहले रोड दुर्घटना में पति चल बसे तो मायके ससुराल दोनों ने ही किनारा कर लिया। पांच साल के बेटे के साथ … Read more

 बहू भी इंसान है : विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

      “ सुनो जी, अब तो अभि की शादी कर ही देनी चाहिए, तीस का होने वाला है” रेवती ने पति नवेंदु को जूस का गिलास पकड़ाते हुए कहा। “ अरे भई, मैनें कब मना किया, मेरे गले में तो यह ढ़ोल बाईस की उम्र में ही बांध दिया गया था, नवेदुं ने चुटकी लेते हुए … Read more

बिटिया का घर बसने दो – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

   “ हैलो, क्या कर रही है मेरी लाडो”, संध्या ने बेटी मीतू का फोन मिलाकर बड़े प्यार से पूछा।     “ मोम, सुबह सुबह किचन में हज़ारो काम होते हैं, दोनों बच्चों के, सुधांशु का टिफन पैक करना और साथ में पिताजी को दुकान पर भेजना, देवर को कालिज जाना होता है, और कल से तो … Read more

रिश्तों की गरिमा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

पूरी रात बीत गई थी मिलन को हस्पताल के बरामदे में चहलकदमी करते हुए, नर्स ने कई बार आते जाते उसे बैठने को भी कहा, और आशवासन भी दिया कि घबराने की कोई बात नहीं, सब ठीक है, आप आराम से बैठिए। मगर मिलन को चैन कहां। उसका बस चलता तो सुरभि के पास बैठा … Read more

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