मां की देखभाल कठिन क्यों? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

अरे दिव्या मुन्ना कब से रो रहा है? कानों में रुई डाल रखा है क्या? पता नहीं कैसी पत्थर दिल मां है, जिसको बच्चे के रोने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता, हेमा जी ने अपनी बहू दिव्या से कहा  इतने में से रसोई से दिव्या अपनी हाथों को अपने कपड़े से पोंछती हुई बाहर … Read more

नारी, अब नहीं बिचारी  – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

क्या बात है अनु? आज तुझे आए हुए 15 दिन हो गए, पर तू अपने ससुराल जाने का नाम ही नहीं ले रही और ना ही इन दिनों मैंने तुझे दामाद जी से बात करते हुए देखा, क्या बात है सब ठीक तो है ना? सविता जी ने अपनी बेटी अनु से कहा  अनु अपनी … Read more

क्यों औरत बने कठपुतली? – रोनिता कुंडु

आपकी पत्नी अब कुछ ही महीनो की मेहमान है, काश आप लोग कुछ महीने पहले आ गए होते तो, शायद कुछ किया जा सकता था। डॉक्टर ने अतुल से कहा अतुल:  डॉक्टर! क्या सच में अब कुछ भी नहीं हो सकता? पर उसे इतना तेज़ दर्द पहले तो कभी नहीं हुआ और जिस दिन हुआ … Read more

मैं तो मज़ाक कर रही थी-रोनिता कुंडु

लतिका! मासी जी आई है, चाय नाश्ता लेकर आना। आशा जी ने अपनी बहू लतिका को आवाज़ लगाई। थोड़ी ही देर बाद, लतिका चाय और नमकीन लेकर आती है, जिसे देखकर आशा जी कहती हैं, यह क्या बस नमकीन? पकौड़े ही तल लेती? पर उसमें तो मेहनत लगती है, तो फिर कामचोरी कैसे हो पाती? … Read more

सबको खुश रखा जा सकता है क्या? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

काजल! हमारा खाना हो गया है, तुम खाना खाकर कल के लिए चने भिगो देना, याद है न क छोले भटूरे बनाने हैं, रसोई में आकर लक्ष्मी जी ने अपने बर्तनों को सिंक में रखते हुए अपनी बहू काजल से कहा, तभी उनकी नज़र काजल की थाली में जाती है तो वह हैरान होकर कहती … Read more

विवाह में क्या ज़रूरी? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

गरिमा की शादी थी, तो घर को सजाया जा रहा था। क्योंकि हम भारतीयों में शादी वाले घर दूल्हा दुल्हन की तरह सजाए जाते हैं। चाहे कोई भी राज्य हो या किसी भी धर्म की शादी हो, उसकी रौनक तो देखने लायक होती है। गांव में शादी घरों के और शहरों में शादी वाले घर … Read more

कौन सा प्रायश्चित? – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

  बेटा..! अगले महीने सिम्मी की शादी है, बुआ जी का फोन आया था। उन्होंने मुझे एक हफ्ते पहले ही बुलाया है। कहती है अब भैया तो रहे नहीं उनकी ज़िम्मेदारी आप ही कर दो। गोमती जी ने अपने बेटे लोकेश से कहा  लोकेश:  ठीक है मम्मी! मैं आपको और रूपा को एक हफ्ते पहले … Read more

हम बड़े हैं, छोटो से क्यों सीखे? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

सुनो कल्पना! वह जो कल गोंद के लड्डू बनाए थे ना? उसे पूरा रख देना सूटकेस में, भावना को इसकी अभी सख्त ज़रूरत है, मुझे तो पता ही है तुम्हारी चटोरी आदत, कुछ ना कुछ रख ही लोगी, आशा जी ने अपनी बड़ी बहू कल्पना से कहा  आशा जी यह सब कह ही रही होती … Read more

पैसा है तो सब है – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

अरे विमला बहन कौन आया था मिलने? काफी गुस्से में लग रही थी? आखिर कौन थे वह? कुंती जी ने कहा  विमला जी: वह मेरे बेटे बहू है  कुंती जी:  अच्छा इन्हीं की वजह से तुम यहां हो? अब क्या ही किया जाए? हर किसी की यही कहानी है, इन बच्चों को पालने में अपना … Read more

 घर है या चिड़ियाघर? – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

अरे जीजी! सुना है गुड़िया का रिश्ता तय कर दिया है और उसका परिवार संयुक्त है? जीजी! आज के ज़माने में संयुक्त परिवार में कौन अपनी बेटी देता है? बेचारी का पूरा जीवन रसोई में ही बीत जाएगा, एकांत को तरसेगी बेचारी, प्रभा जी ने अपनी बड़ी बहन शोभा जी से कहा  शोभा जी:  देख … Read more

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