अपनों की पहचान – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

जानकी जी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की तैयारी हो रही थी । तीनों बहू बेटे एक किनारे बैठे बातो में मशगूल थे । चौथा बेटा अभी नहीं आ पाया है। किसी भी बहू बेटे की आंखों में मां के चले जाने का ग़म दिखाई नहीं दे रहा था। बस … Read more

बेटी के ससुराल में साजिश न करों – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

कोरियर, और गेट खटखटाया , प्रकाश नारायण जी ने उठकर गेट खोला तो सामने कोरियर वाला खड़ा था। उसके हाथ में एक लिफाफा था जो उसने प्रकाश नारायण जी को पकड़ा दिया और चला गया। प्रकाश जी लिफाफा लेकर अंदर आए तो पत्नी आरती ने पूछा क्या है जी इस लिफाफे में । देखता हूं … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

अरे काजल तुमने कुछ सुना क्या दीदी,भाई अपना फ्लैट बेच रहे हैं अच्छा आंचल ने कहा।पर क्यों, फ्लैट बेच देंगे तो फिर कहां रहेंगे।कितनी मुश्किल से तो यहां वहां से इनसे उनसे उधार लेकर तो फ्लैट खरीदा था अब बेच रहे हैं ।आंचल ने बड़ी बहन काजल से कहा। तुम्हें किसने बताया दी,अरे खुद भाई … Read more

जब तुम मां बनोगी तब जानोगी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज जैसे ही काव्या ने घर में कदम रखा करूणा जोर से चिल्ला पड़ी काव्या इतनी देर से कहां थी तुम, पता है ना देर से घर आने पर पापा गुस्सा होने लगते हैं। और मुझे भी चिंता होने लगती है तुम्हारे देर से घर आने पर। कबसे परेशान हूं मैं । जाने कैसे कैसे … Read more

वो काली रात – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

क्यों इतनी उदास बैठी हो बेटा थोड़ा मुस्कुराओ आज तुम्हारी शादी है। चेहरे पर इतनी उदासी ठीक नहीं है ।पर पर मम्मा मेरा अतीत, भूल जा बेटा उस  उस काली   रात को ,कब तक कब तक उसे याद करके  आंख में आंसू लाती रहेगी ।कितना अच्छा जीवनसाथी तुझे रोहन के रूप में  मिला है … Read more

बेटी का घर बसने दो भाभी – मंजू ओमर 

हेलो अंकिता क्या कर रही हो बेटा क्या करूंगी मम्मी, खाने की तैयारी कर रही हूं। अभी अभी तो ऑफिस से आई होगी थोड़ा आराम कर ले बेटा खाने में लग गई। नहीं तो बाहर से कुछ आर्डर कर ले। अरे नहीं मम्मी बुढ़िया  को घर की दाल रोटी खानी है ।और रोज-रोज  बाहर का … Read more

जाहिल,गंवार हो क्या – मंजू ओमर

कैसे जाहिल लोग हैं पढ़े लिखे हैं की गवांर है। अरे क्या हो गया आज फिर क्यों सवेरे सवेरे बड़बड़ किये जा रहे हो पुष्पा जी ने पति अरुण जी से पूछा। अरे क्या बताऊं देखो तो सब जगह पानी की कितनी त्राहि त्राहि मची है और लोग बिना मतलब की पानी बर्बाद करते रहते … Read more

ये बंधन सिर्फ कच्चे धागे का नहीं है

पूरा बाजार रंग बिरंगी राखियों से भरा पड़ा था ।आज सपना बच्चों की बच्चों के लिए राखी खरीदने बाजार गई थी। वहां एक सुंदर सी राखी देखकर उसको हाथ में उठा कर देखने लगी। कितनी सुंदर राखी है ना ,काश ? में भी अपने भाई की कलाई पर यह राखी बांध पाती पर कितनी मजबूर … Read more

यह किसी को नहीं भूलना चाहिए कि भगवान सबकुछ देख रहा है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

हाथ मत लगाना मेरे बच्चों को मां जी  आप तो मेरे बच्चे को खा ही  गई थी। डॉक्टर के पास ना ले जाती तो पता नहीं आज मेरे बच्चे का क्या हो जाता ।कुछ तो डरो भूमिका कैसी बात कर रही हो मेरा पोता है मेरे घर का चिराग है। इतनी मिन्नतें की है भगवान … Read more

इतनी पत्थर दिल कैसे हो सकती है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मम्मी मम्मी दरवाजा खोलो शिवानी लगातार दरवाजा पीटती  जा रही थी। अंदर गहरी नींद में सोई कुमुद जी उठी  इतनी रात में कौन दरवाजा पीट रहा है। बिस्तर से उठी बत्ती जलाई,। और दरवाजा खोल के देखा तो  सामने शिवानी खड़ी थी । रोती-रोती कुमुद जी के गले लग गई। क्या हुआ शिवानी  बताओ मुझे … Read more

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