“दोहन” – रीमा ठाकुर
प्रभु लाज रखो मेरी, हाथ जोडे निरीह आंखे बंद आंसुओं की धार एक अबला, कृष्ण भक्ति में लीन, विश्वास की परकाष्ठा,, पंचाली कृष्णा, कृष्ण है, न तुम्हारा सखा “ धीरे से नयन खोलकर देखती है, अद्भुत, सामने केशव खड़े, बस उन्माद, कुछ खबर नही “! हडबडा उठ बैठी नित्या, कुछ पल इधरउधर देखती रही, … Read more