अभिमान कुछ क्षण का – निकिता अग्रवाल

निष्ठा तुम कल खाना बना देना छोटू खा लेगा, घर से निकलते -निकलते निष्ठा की सास ने उसे बोला। आवाज़ में कुछ संकोच भी था और संकोच के साथ साथ निष्ठा को उनकी आवाज़ में उनका अभिमान टूटता सुनाई दे रहा था। बात छह महीने पुरानी थी। दिवाली को बस दो हफ़्ते बाक़ी थे । … Read more

साइकिल – कनक केडीया

सन्ध्या, हाँ यही नाम था उस सरल गाँव की गृहिणी का। सन्ध्या सा सुरमई रंग, मन मोहने वाली सादगी बस इतना था परिचय उसका। पति नारायण पास के शहर में किसी मील में नौकरी करता था। एक साइकिल थी जो उसके मील केआवागमन का साधन थी। गृहस्थी को सम्पूर्ण करने लड्डू गोपाल सा एक बेटा … Read more

“अभिमान” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

“सलोनी , हम सुबह की गाड़ी से गांव निकल जायेंगे। सोचा तुम देर तक जगती हो। कहीं हमें घर पर नहीं देख कर परेशान हो जाओ इसलिए बता दिया है।” बड़ी बहन की बात सुनकर सलोनी थोड़ी देर के लिए चुप हो गई। फिर बोली-”  क्या दीदी तुम तो पंद्रह दिन के लिए आई थी। … Read more

 मोहिनी – गीता वाधवानी

मोहिनी नाम था उसका। बचपन से ही बेहद सुंदर, गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, काले घुंघराले बाल, बड़ी बड़ी सुंदर बोलती आंखें और कमसिन काया। जो देखता मोहित हो जाता इसीलिए माता पिता ने नाम रखा मोहिनी। धीरे-धीरे मोहिनी बड़ी होती गई और हमेशा अपनी सुंदरता की प्रशंसा पाकर उसमें अभिमान आ गया। पढ़ने लिखने … Read more

दिखावा –  शिव कुमारी शुक्ला

 एक गांव मै एक मध्यमवर्गीय परिवार रहता धा। तीन भाइयो का सयुंक्त परिवार था।यूं तो आय इतनी थी कि परिवार का गुजारा आरम से चल जाता था।दो भाई नौकरी करते साथ मे तीसरे भाई की खेती के कार्यो मै भी मदद करते।  इस परिवार की एक बुरी आदत थी कि वह दिखावा करने मे विश्वास … Read more

अभिमान क्यूं – आरती झा आद्या

पापा आज तो देर हो रहा हूं, कल पक्का शर्मा अंकल के यहां छोड़ता हुआ जाऊंगा..उत्सव अपने पापा दीनदयाल जी को कहता हुआ सभी को बाय बाय करता ऑफिस के लिए निकल गया। पापा कल चलते हैं रूटीन चेकअप के लिए, आज एक मीटिंग में अर्जेंटली पहुंचना है। मां समझाना पापा को, समझते नहीं हैं … Read more

भला उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद कैसे – सारिका चौरसिया

कामिनी जी बड़ी बेबाक महिला थी उन्हें न तो किसी से डर लगता और न ही वे किसी का अदब करना ही जानती थीं। उन्हें हर हमेशा अपनी ही बात सही लगती। और अक्सर बिना किसी भी बात की तह तक पहुँचे वे प्रथम दृष्टया धारणा बना लिया करती थीं। यहां तक कि ज्यादातर उन्हें … Read more

मुझे तो मक्खन जैसी बहू चाहिए – सुषमा यादव

सपना के पति और उनके एक बहुत घनिष्ठ मित्र दीपक एक ही यूनीवर्सिटी में पढ़ रहे थे। दोनों की शादी हो चुकी थी,पर बच्चे अभी नहीं थे। पूरी यूनिवर्सिटी में उन दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। एक दिन दीपक ने सपना के पति राजेश से कहा,यार,चलो हम अपनी इस दोस्ती को एक … Read more

मुझे रिश्तेदारों से एलर्जी है – पुष्पा ठाकुर

 ”  मम्मी, हमारे सारे फ्रैंड्स समर वैकेशन में अपने अपने नानी या दादी के घर जा रहे हैं।हम क्यों नहीं जाते मम्मी? पूरी छुट्टियां ऐसे ही चली जाती हैं। प्लीज़ चलो न…हम भी चलते हैं।”   बेटी सानिया अपनी मां से कहने लगी।   ‘बेटा,हम भी चलेंगे पर कोई अच्छी सी हिलस्टेशन …   जितना पैसा गांव के … Read more

मां मान तो पत्नी अभिमान – रोनिता कुंडू

घर पूरा लोगों के गहमा गहमी से चहक रहा था… हर कोई ऋषि को बधाई दे रहा था… किसी किसी ने आकर सविता जी को भी बधाई दी… बधाई हो बहन जी..! यह सब आपके मेहनत का ही नतीजा है, जो ऋषि बेटा इतनी कम उम्र में बुलंदियों की सीढ़ियां चढ़ रहा है.. फिर ऋषि … Read more

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