“अम्मा का कमरा”

रीना किचन में बर्तन समेट ही रही थी कि अचानक फोन की घंटी बजी।फोन उठाया तो गाँव से बड़े चाचा थे— “बिटिया, अम्मा अब बहुत बूढ़ी हो गई हैं। आँखों से कम दिखता है, घुटनों में दर्द है। अब अकेले रहना मुश्किल हो गया है। तुम लोग दिल्ली में हो, किसी के पास तो होना … Read more

माँ बिना पीहर नहीं, सासू बिना ससुराल नहीं

घर के आँगन में रौनक थी। आज सुषमा की ननद, किरण अपने मायके आई थी। पूरे दो साल बाद उसकी यह मायके यात्रा हुई थी। जैसे ही वह घर में दाखिल हुई, सुषमा दौड़कर उससे लिपट गई। “आइए दीदी, बहुत दिनों से आप नहीं आईं। हम सब आपको बहुत याद कर रहे थे। शायद पूरे … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती है – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रितिका बड़े उद्योगपति की बेटी थी। उसका जीवन महँगी कारों, आलीशान घर और शानदार पार्टियों से भरा था। कॉलेज में उसकी मुलाकात ऋषि से हुई, जो एक साधारण परिवार का ईमानदार और संस्कारी युवक था। ऋषि की सादगी ने रितिका का दिल जीत लिया। धीरे-धीरे दोस्ती प्रेम में बदली और एक दिन रितिका ने अपने … Read more

गृह प्रवेश

सोफे पर बैग पटकते हुए मीना धम्म से बैठ गई।सर भी भारी लग रहा था। इतने में मम्मी (पूनम जी) भी पानी लेकर आ गईं। “क्या हुआ मीना बेटा, बड़ी थकी-थकी सी लग रही हो। तबीयत तो ठीक है ना?” “हाँ, बस थोड़ा सर भारी है… ज़रा अपने हाथों से दबा दो ना।” कहते हुए … Read more

“कौन अपना, कौन पराया”

गिरीजा देवी का चेहरा उस दिन कुछ खास चमक रहा था। वजह थी – उनके सबसे बड़े बेटे नरेश की सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट पार्टी।पार्टी बड़े होटल में रखी गई थी, पूरा परिवार सजधज कर पहुँचा था। गिरीजा देवी का छोटा बेटा महेश, उसकी पत्नी दीपा, और बेटी  प्रिया – सब व्यस्त थे मेहमानों को … Read more

आशीर्वाद

“बाबूजी, खाना रख दिया है, खा लीजिए।”रीना, महेश जी के पलंग के पास पड़ी मेज़ पर थाली रखते हुए बोली। “बहु, पता नहीं क्यों आज खाना खाने का मन नहीं कर रहा है। दोपहर का खाना लग रहा है कि जैसे अभी पेट में रखा हो। न हो तो एक गिलास दूध दे दो, खाना … Read more

माँ का कर्ज

“बेटा, क्या तूने सचमुच घर जमाई बनने की ठान ली है?” “हाँ माँ, इसके अलावा कोई चारा नहीं है। अब कंपनी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, इसलिए कंपनी बंद कर दी गई है और कंपनी में काम करने वाले हम सब बेरोज़गार हो गए हैं। भला हो कि पारुल के मायके वालों ने अपनी … Read more

अपनों की पहचान -सुनीता वर्मा

आठ बज चुके थे |दुकान बंद करने का समय हो चुका था , इसलिए ‘एरा कॉर्नर’बुटीक का शटर गिरा कर कनु जैसे ही सीढ़ियों से नीचे उतरी ,सामने के मेडिकल स्टोर पर उसे एक परिचित चेहरा दिखा |नाम स्मरण आते ही उसकी आँखें खुशी से चमकने लगीं |जल्दी –जल्दी सड़क पार कर उसने नजदीक पहुँच … Read more

पत्थर दिल – बीना शुक्ला : Moral Stories in Hindi

आज नीलाक्ष बहुत खुश था। कल कोर्ट के फैसले का आखिरी दिन है। उसने शोभना की हर शर्त मान ली थी।  निर्णय सुनाने के पहले जज ने उसे और शोभना को एक बार मिलने की औपचारिकता का समय भी दिया। उस समय भी शोभना ने फिर उससे कहा – ” मुझे क्षमा कर दो नीलाक्ष। … Read more

अपना ही सिक्का खोटा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुमित्रा जी को सभी रिश्तेदारों ने समझाया था,कि पहले बेटी के हांथ पीले कर दें।बेटे की शादी हो ही जाएगी। सुमित्रा जी को यह मंजूर नहीं था।बड़ी बेटी के लिए अच्छा वर मिलते ही सात  साल पहले शादी कर चुकी थीं वे।अब इकलौते बेटे की बहू आने पर ही छोटी बेटी ब्याहेंगी,ऐसी  उनकी जिद थी। … Read more

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