तृषा का फैसला : Moral Stories in Hindi

तृषा थकी हुई, चिंतित और खिन्न मन से अपनी माँ के पास आई थी। उसकी आँखों में गहरी उदासी थी और चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। उसने दरवाजा खोला और सीधे माँ के सामने जाकर बैठ गई। उसकी माँ, मीरा जी, अपनी बेटी के इस बदले हुए भाव को देखकर चिंतित हो उठीं। … Read more

Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

*हिचक* – बालेश्वर गुप्ता           देखो लोकेश मुझे बिल्कुल पसंद नही कि तुम इस प्रकार आवारा गर्दी करते फिरो।अच्छा बड़ा कारोबार है हमारा,उसका अनुभव लो।और हाँ अपने स्तर के लोगो मे बैठा करो।        पर पापा मैंने किया क्या है?राजू मेरा मित्र है,गरीब जरूर है,पर बहुत ही इंटेलिजेंट है।वह अपनी बस्ती में गरीब बच्चों को पढ़ाता … Read more

“दूसरा सूरज” -: Moral Stories in Hindi

किरण देवी अपने जीवनसाथी की मृत्यु के बाद गहरे अकेलेपन में जी रही थीं। उनका बेटा और बहू विदेश में थे और अपनी व्यस्त जिंदगी में उलझे हुए थे। उन्होंने किरण को इस वृद्धाश्रम में रहने के लिए कहा ताकि वह अपने हमउम्र लोगों के साथ समय बिता सकें। यह वृद्धाश्रम अन्य वृद्धाश्रमों से अलग … Read more

Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

चयन – लतिका श्रीवास्तव  पापा मेरे दोस्त कह रहे हैं यह साक्षात्कार सिर्फ लेन देन के लिए है मेरे चयन में सबसे बड़ी अड़चन धन की है सभी दोस्तों ने रूपये इकट्ठे कर लिए हैं  इस बार भी मेरा चयन नहीं हो सकता सारी मेहनत बेकार गई मेरी। धवल बेटा सबसे बड़ी अड़चन यही है … Read more

माँ नहीं हूँ तो क्या – विनय कुमार मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“रिश्ता पक्का हो गया है, लड़का बहुत बड़ी कंपनी में इंजीनियर है” पापा ने खुशी खुशी मिठाई दादी के मुँह में खिलाते हुए कहा। दादी भी बहुत खुश हो गई थी। मुझसे दो साल बड़ी दीदी उठकर वहां से चली गई। वजह मैं जानता था।पर दीदी खुलकर ये बात मुझसे भी नहीं कहती।माँ बचपन में … Read more

Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

क़ुसूर – स्नेह ज्योति सुबह – सुबह के शोर में जब कृपाल ने आँखें खोली तो उसने देखा कि उसकी मकान मालकिन ज़मीन पर गिरी हुई है और आस-पास खून होली के रंग सा बिखरा हुआ है । थोड़ी देर में पता चला कि उसके नशेडी बेटे ने उसका ही गला काट दिया । आज … Read more

माँ, मैंने कुछ गलत नहीं किया : Moral Stories in Hindi

नीला रसोई में चाय बना रही थी। दोपहर का समय था और हर दिन की तरह वह अपने घर के कामों में लगी हुई थी। तभी अचानक बाहर से तेज़ आवाज़ में चीख सुनाई दी। नीला घबराई हुई दौड़कर बाहर आई और देखा कि उसकी सास पुष्पा देवी, चेहरे पर चिंता की लकीरें और गुस्से … Read more

किराएदार – करुणा मलिक  : Moral Stories in Hindi

स्नेहा! आज अपने अंकल के लिए भी रोटी ऊपर से ही दे जाना, देख मेरा तो व्रत है , अब एक जने के ऊपर कहाँ तवा- परात उठाऊँगी । ठीक है आँटी जी ! जिस टाइम अंकल जी  को रोटी खानी होगी, दस मिनट पहले बता दियो, सब्ज़ी गर्म करके रोटी सेक दूँगी ।  श्यामाजी … Read more

अफसोस बस इसी बात का – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

क्या देख रही हो अरुणा? अफसोस हो रहा है? यह सोच कर के काश मैं अपनी हठ छोड़ दी होती तो आज हम शर्मा जी के जैसे ही सपरिवार दिवाली मना रहे होते! सच बताओ उन्हें ही देख रही हो ना तुम? अशोक जी ने अपनी पत्नी अरुणा से कहा  अरुण जी:   कैसा अफसोस? … Read more

स्वर्ग यहां-नरक यहां – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

दीपावली की लंबी छुट्टी मिली थी स्वाति को।ऊपर से बेटी भी आ रही थी।उसके आ जाने से त्योहार की भागदौड़ नहीं करनी पड़ती थी स्वाति को। आते ही फरमान जारी हो गया उसका”मम्मी,इस बार दीवाली में कांजीवरम साड़ी ही पहनना पड़ेगा।पापा के दिए झुमके भी निकाल दूंगी।मैं भी पायल पहन ही लूंगी।सारे काम समय से … Read more

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