आज जो लिखने जा रही हूं ये कोई कहानी नही है ,बस मन के किसी कोने मे आए हुए कुछ सवाल है जो शायद दुनिया की हर एक औरत की आपबीती हो… हर एक की समस्या हो ,जो शायद कभी किसी से कह नहीं पाती…..कोशिश कर रही हूं शब्दों द्वारा उनकी बातों को आपके सामने रखने की… क्यों होता है ऐसा…. जब भी मैं अपने पंख फैलाना चाहती हूं ,तभी क्यों … काट दिए जाते हैं मेरे पंख…क्यों नहीं उड़ने दिया जाता मुझे अपनी ख्वाहिशों के साथ ऊंचे आसमान में, उड़ना चाहती हूं, फिर.. क्यों रोक दिया जाता है अतीत के पन्नों को दिखाकर ….क्यों नहीं निकलने दिया जाता मुझे…
उस बीते हुए समय से दूर,भूलना चाहती हूं सब कुछ ,अपनी बीती हुई यादों को भूलना चाहती हू… नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती हूं ,तो क्यों नहीं जीने दिया जाता मुझे आखिर क्यों… ऐसा नहीं कि मैं किसी ने हमसफर के साथ जीना चाहती हूं मैं अकेले जीना चाहती हूं अपने बरसों पुराने सपनों के साथ जो कभी पूरा ना हो पाए, उन्हें पूरा करना चाहती हूं पर क्यों मेरे हर सपने को तोड़ दिया जाता है… क्यों मुझे अपनी मन की करने की इजाजत नहीं आखिर क्यों …. क्यों मुझे किसी के मोहताज होना पड़ता है क्यों मुझे उस इंसान के साथ चलना पड़ता है जिससे कभी बेपनाह मोहब्बत की थी, क्यों उसके साथ जीने को मजबूर किया जाता है ..आज जिंदगी के सब मायने बदल गए.. कुछ नहीं रहा ,अब इस जिंदगी में नहीं रहे आंखों में सपने सब कुछ खत्म हो गया……. फिर भी क्यों अपने मन की कह नहीं सकती क्यों अपने मन की कर नहीं सकती क्यों…..
क्योंकि मैं एक लड़की हूं ,जो बरसों से मर्दों की दया की मोहताज रहती है …उसके पैरों की जूती बनकर रहती है.. हर तकलीफ हर जुल्म सहकर भी कभी किसी के आगे उफ भी नहीं कर सकती, इसीलिए लड़कियों को अपनी जिंदगी जीने का हक नहीं …आज भी बरसों पुरानी प्रथाओं का बोझ सहती जा रही है, क्या कभी इन्हे आजादी मिलेगी????? इन्हे कभी जिंदगी जीने का हक नहीं मिलेगा??????
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मीनू जायसवाल