“मुझे ना सुनना पसंद नहीं है ये बात तुम अच्छी तरह से जानती हो फिर भी हर बार मेरी बात तुम काट देती हो। अरे क्या जरूरत है हर 6 महीने में मायके जाने की तुम्हारे बिना क्या वहां खाना नहीं बनेगा..? अपनी मां से मिलने के चक्कर में तुम मेरी मां को तकलीफ दे रही हो, कभी सोचा है तुम्हारे जाने के बाद मेरी मां को घर का सारा काम करना पड़ता है।” राजीव अपनी पत्नी रश्मि से कहता है।
रश्मि बोली “मैं आपकी बात का विरोध नहीं कर रही पर आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे मैं महीनों दिन के लिए जाती हूं..! क्या साल का 8 दिन भी मेरी मां का मुझ पर अधिकार नहीं है और मम्मी जी को क्या काम करना पड़ता है..? कामवाली आकर खाना बना जाती है, कपड़े धो देती है घर का सारा काम तो वो कर देती है। ज्यादा से ज्यादा मम्मी जी को दरवाजा खोलना और बंद करना पड़ता है और रात में आपको खाना परोस के देती हैं, क्या वो इतना भी नहीं आपके लिए कर सकती..!”
राजीव बोला “तुम मेरे अच्छे व्यवहार का गलत फायदा उठा रही हो पत्नी हो प्यार करता हूं पर तुम तो विरोध करने पर उतर आई..!” रश्मि बोली गलत बात पर विरोध करना भी कई बार जरूरी हो जाता है। और आप मुझे प्यार करते हैं तो क्या मैं खराब व्यवहार करती हूं कभी ऐसा हुआ कि मैंने आपके किसी और बात का विरोध किया हो..? जब भी मेरे माता-पिता के लिए मैं वक्त निकालना चाहती हूं तो आपको इतना बुरा क्यों लगता है और मैं आपकी पत्नी हूं कोई जेल की कैदी नहीं जो गलत बात पर विरोध ना करूं.!”
तभी उधर से रश्मि की सास पूनम जी आई और बोलीं “बहु क्या तुम्हारी मां ने ये नहीं बताती कि शादी के बाद लड़की का घर परिवार ससुराल होता है। तुम्हारा सारा वक्त, ससुराल के प्रति उसकी जिम्मेदारी क्या इन सब चीजों के बारे में नहीं बताई..? कई बार तुम्हें समझा चुकी हूं अब इतनी छोटी छोटी बातों पर मैं तुम्हें टोकती रहूं..! मैं तो सोची थी चार पांच साल हो गए हैं अब तो तुम समझ चुकी हो पर तुम्हारा तो अभी भी वही हाल है हमेशा मायके जाने की रट लगाई बैठी रहती हो। “
रश्मि बोली “सही कहा मम्मी जी बहू की गलती ना होने पर भी सास टोकती है तो वही सास अपने बेटे की गलती पर उसका विरोध क्यों नहीं करती है..? मुझे तो आपने कई बार समझा लिया एक आध बार अपने बेटे को भी समझा लीजिए। शादी करके ससुराल आई हूं अपने मां-बाप को त्याग कर नहीं आई हूं, हर साल में जाती हूं और जब भी जाने का नाम लेती हूं तो ऐसा ही माहौल बनता है..! अब तो मुझे आदत सी हो गई है पूरा समय आप लोगों का है पर मेरे जीवन पर माता-पिता का भी अधिकार है उनके इस अधिकार को मेरा विरोध का नाम मत दीजिए।” इतना कहकर वो कमरे में चली गई।
उसके जाने के बाद पूनम जी राजीव से बोलीं “देखा इसीलिए कहती थी लगाम खींच कर रखो पर नहीं बीवी आती नहीं कि लड़के लड्डू बन के उसके पीछे घूमते रहते हैं लो अब नाचते रहो..।” राजीव बोला “मां आप भी हद करती हैं आपकी वजह से मैं उसके सामने बुरा बन जाता हूं और आप मुझे ऐसी बातें सुना रही है…! देखा जाए तो क्या गलत कह गई उसके जाने के बाद आपको काम क्या रहता है फिर भी आप मुझसे बुलवाती हैं और मैं नासमझ जो उसे हर बार टोकता हूं।” इतना कहकर राजीव भी ऑफिस चला गया।
सबकी नाराजगी को सहकर भी रश्मि अपने माता-पिता को मिलने के लिए चली गई। वो जानती थी कि उसके आने के बाद भी पूनम जी कोई ना कोई बखेरा जरूर करेंगी पर वो इन सब बातों को दरकिनार करके 4 दिन अपने माता-पिता के साथ गुजारी और वापस घर लौटी। घर की हालत बहुत खराब थी लता कामवाली के साथ मिलकर घर की साफ सफाई करवा रही थी तो पूनम जी बोलीं “तुम्हारे बिना भी ये घर अच्छी तरह से चल सकता था फिर क्यों लौट कर आ गई..?”
रश्मि मुस्कुराकर बोली “मम्मी जी पूरे साल तो आपकी की,आपके बेटे की और अपने इस सुंदर से घर की सेवा में लगी रहती हूं। 4 दिन तो अपनी मर्जी से जी ही सकती हूं और जहां तक मेरे वापस लौटने की बात है तो एक बार अपने बेटे से ही पूछ लीजिए कि मेरा आना उन्हें पसंद है कि नहीं है, कैदी तो हूं नहीं कि आप सबकी मर्जी से अंदर और बाहर रहूंगी।”
मुस्कुराती हुई रश्मि उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रही थी और अपना काम कर रही थी। जब पूनम जी ने देखा कि उनकी बातों का बहु पर कोई असर नहीं हो रहा तो वहां से चुपचाप चली गई और रश्मि मुस्कुराने लगी।
शाम में जब राजीव लौटकर आए तो रश्मि को देखकर खुश हो गए और बोले “कब आई तुम्हारे बिना ये घर सुना सुना लग रहा था।” रश्मि मुस्कुराकर बोली “मेरे बिना या फिर मेरे काम के बिना..?” राजीव बोला “तुम पुरानी बातों को लेकर क्यों बैठी रहती हो। मैं समझता हूं पर क्या करूं मां अपनी परेशानियों को इतना मुझे बताती है कि ना चाहते हुए भी मुझे तुम्हारी इच्छाओं का विरोध कहना ही पड़ता है।”
रश्मि बोली “मां की परेशानियों को समझना बेटे की जिम्मेदारी है तो पत्नी की परेशानियों को भी तो समझना उसका फर्ज है। मां के प्रति अपना फर्ज निभाने में आप सभी बेटे पत्नी को क्यों भूल जाते हैं..! अपने मन की भड़ास जब आप अपनी पत्नी पर निकालते हैं तो आपको महसूस नहीं होता कि आप जेलर और मैं एक कैदी हूं…!”
राजीव ने आगे बढ़कर अपनी पुरानी बातों के लिए रश्मि से माफी मांगी और कहा “आगे से ध्यान रखूंगा और मां को भी समझाने की कोशिश करूंगा। बस तुमसे उम्मीद रखता हूं कि तुम भी मेरी परिस्थितियों को थोड़ा समझो।” रश्मि ने मुस्कुराते हुए पति का साथ देने का वादा किया।
अब जब कभी रश्मि के मायके जाने की बात होती उससे पहले ही राजीव अपनी मां के सामने भूमिका बांधता और उन्हें समझाता कि “मां दो-चार दिन की बात है हम सब मिलकर संभाल लेंगे और फिर आपके साथ वक्त गुजारने का मौका मिलेगा।” और वो समझ भी जाती है.! यही बात बहु कहे तो सास की समझ में नहीं आती, बेटा कहे तो मां तुरंत समझ जाती है ये कैसी विडंबना है जो आपको समझ में आए तो मुझे भी बतलाइएगा..!
दोस्तों ऐसा क्यों होता है अक्सर बहु मायके जाने की बात छेड़ती नहीं कि घर में युद्ध जैसा माहौल हो जाता है हर हर कोई उसके विरोध में खड़ा हो जाता है.! जबकि सास भी अपने वक्त में कुछ ऐसी ही परिस्थितियों से गुजर चुकी होंगी फिर भी बहु अगर पति और सास की बात पर ना कहे तो ये बात सुनना उन्हें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता आखिर क्यों..?
आको ये रचना कैसी लगी अपने अनुभव और विचार कमेंट द्वारा मेरे साथ साझा करें बहुत आभार
#विरोध
निधि शर्मा