**….और वो मिल ही गए ** – डॉ उर्मिला शर्मा

        “ऐ सिम्मी सुन ना आज तू मन लगाकर सुंदर सा हेयर स्टाइल बना। तू जो खुद को हेयर स्टाइलिस्ट समझती है ना समझ लो उसका टेस्ट उसकी है आज। एक विवाह समारोह में जाना है।” – शिल्पा ने मुस्कुराकर कहा।

” ठीक है, ठीक है। पर ये तो बता आज क्या खास है जो मुझसे स्टाइल करवा रही। अच्छा! बता पहन क्या रही है ? उसी हिसाब से बनाउंगी न।” – सिम्मी यानी शमिता ने पूछा।

सिम्मी कॉलोनी की सहेली थी। दोनों पक्की सहेलियां थीं। आज शिल्पा को अपने कॉलेज फ्रेंड रजनी की कजन सिस्टर की शादी थी। मन में कहीं ये लालसा थी कि आज तो शादी में रजनी के भैया तो जरूर दिखेंगे। आज का सारा साज- श्रृंगार की वजह भी तो वही थे। एक बार जब दो साल पूर्व रजनी अपनी इसी बहन से जिसकी शादी आज है, फिजिक्स के नोट्स लेने सिम्मी अपने साथ उसकी ऑन्टी के घर ले गयी थी तभी उसने वहां उसके राज भैया को देखी थी। देखते ही रह गयी थी। एक बड़ी कम्पनी में एग्जेक्युटिव। क्या आकर्षक व्यक्तित्व था उनका।

कोई एक बार देखे तो देखता रह जाये। लम्बा कद, क्लीन शेव्ड, चौड़े माथे पर कर्ली हेयर जो सचमुच ‘रेयर’ था। आंखे मुस्कुराती सी। ऐसी नशीली की देर तक देखने से पहले निगाहें झुक जाएं। आज फिर उन्हें देखने के लोभ में ही वह रजनी की बहन की शादी में जाने को तैयार हो रही है। वरना यूँ  वह किसी की शादी में रातभर रुकने को कभी न मानती। कितनी मुश्किल से मां को मनाई थी। वैसे रजनी ने भी खूब जिद की थी साथ चलने को। उसने अम्ब्रेला कट की घेरेदार नीले रंग की अनारकली सूट सामने मीरर वर्क्स की खूबसूरत कढ़ाईदार और चूड़ीदार सलवार पहनी।

साथ में सुंदर सा मैचिंग दुपट्टा जिसके बीच- बीच में मोती ऐसे टिमटिमा रहे थे जैसे नीले आसमान में तारें। कानो में मोतियों जड़ा बड़ा सा इयरिंग, आंखों में काजल व पिंक लिपस्टिक। बालों का एक सुंदर ऊंचा सा ‘बन’ दोनों किनारे लटकती हुईं बालों का लट। बहुत सुंदर लग रही थी शिल्पा। आकर्षक तो वह थी ही। 

400;”>                 शाम सात बजे वह रजनी के साथ उसके ऑन्टी के घर पहुँची। जगमज रोशनी और फूलों के वंदनवार के सजावट को पार कर अंदर गयी। निगाहें रजनी के राज भैया को ढूंढ रही थीं। अब तक न दिखे थे। बारात आयी उसके बाद वरमाला का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। चारो तरफ भीड़ में उसकी नजरें किसी को तलाश रहीं थीं। खाने- खिलाने का सिलसिला चल रहा था। रजनी के साथ वह भी अपने मनपसंद नॉन- वेज स्टॉल की तरफ बढ़ गयी। झूठमूठ का कुछ- कुछ टुंग रही थी। किसी काम में मन नहीं लग रहा था।

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  बीच- बीच में रजनी अपने रिश्तेदारों से उसका परिचय भी कराते जा रही थी। विवाह- मंडप छत पर बना हुआ था। डिनर के बाद रजनी उसे विवाह- मंडप के पास रखी कुर्सियों के पास ले गयी ताकि विवाह का कार्यक्रम देखा जा सके। दोनों सहेलियां बैठ कर गपशप करने लगीं। पर शिल्पा के मन में एक ही विचार चले जा रहा था। तभी उसकी कुर्सी के बैक साइड पर पीछे से किसी ने हाथ रखी। उसने चौक कर पीछे मुड़कर देखा तो धक्क से दिल धड़क उठा। ये तो रजनी के राज भैया थे। ब्लैक सूट में गजब ढा रहे थे। वैसे ही उसके कंधे के पीछे हाथ रखे हुए ही बेक़तल्लुफी से उन्होंने रजनी से पूछा – “रजनी खाना- वाना खाई तुमने और अपनी सहेली को खिलाया की नहीं।”

तभी मेरी ओर मुखातिब होकर पूछा -“आज रात को रुकोगी न यहीं।”

शिल्पा थोड़ी शर्माती सी मुस्कुराते हुए बड़ी मुश्किलसे इतना ही बोल पाई -“हाँ ! रुकना ही पड़ेगा।”

“फिर ठीक है, आता हूँ कुछ काम देखकर।” – यह कहकर राज चले गए।




        नवंबर की रात थी हल्की सिहरन सी लग रही थी। शिल्पा ने रजनी से कहा कि उसे ठंड लग रही है। रजनी ने इधर – उधर देखा तभी राज भैया को किसी से बात करते हुए पाया। जब उनकी बात खत्म हुई तो उन्हें बुलाया और बताया कि शिल्पा को ठंड लग रही है। यह सुन वो उसे तुरंत अपना कोट उतार देने को तैयार हो गए। रजनी ने उसे शरारत भरी मुस्कान से देखा। शिल्पा न- न कहते हुए बुरी तरह झेंप गयी। तब उन्होंने रजनी से कहा कि नीचे उनके कमरे में जमीन पर पूरा गद्दा लगा हुआ है और ब्लांकेट्स रखे हैं। शिल्पा को वही ले जाए।

रजनी ने उससे पूछा कि वह शादी देखेगी या नीचे चलेगी। शिल्पा ने नीचे चलने को कहा। दोनों नीचे आकर ब्लैंकेट में घुस गईं। मज़े में गुफ्तगू करने लगी। कमरे में एक दो लोग और भी कोने में सोए पड़े थे। कुछ देर बाद राज भैया आये और इनदोनों के पास बैठ गए। इतने समीप उनकी उपस्थिति से शिल्पा की धड़कनें बढ़ गईं। वे उनदोनों की बातचीत में शामिल हो गए। बीच- बीच में दोनों भाई- बहन एक दूसरे की खिंचाई भी कर रहे थे। तभी बातचीत के क्रम में उन्होंने ब्लैंकेट को अपने ऊपर भी डाल लिया। वह संकोच से सिमटती जा रही थी।

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तभी उसके हाथों पर स्पर्श का अनुभव हुआ। यह तो राज थे। चाहकर भी वो अपना हाथ हटा न सकी। धीरे- धीरे उसकी हथेलियों को अपने हाथ में रख उसे सहलाते रहे और गप्प भी मारते रहें। तभी कोई उनका नाम लेकर पुकारते हुए आया। फिर वो अनमने ढंग से उठकर चले गए। सुबह उठकर नाश्ते के बाद वह रजनी से घर जाने की बात कही। चुकी विदाई दोपहर बाद होने वाली थी इसलिए रजनी रुकनेवाला थी। उसने कहा कि वह उसे राज भैया को उसके घर छोड़ने को कह देगी। थोड़ी देरबाद राज के साथ शिल्पा उनके बाइक पर बैठ घर के लिए निकली। रास्ते में राज ने इजहार-ए-इश्क किया। शिल्पा को यह सब सपने जैसा लग रहा रहा था। उन्होंने ने बताया -“जानती हो शिल्पा! जब से दो साल पहले रजनी के साथ तुम्हें देखा था तभी से तुम मेरे दिल मे उतर गई थी। आज के दिन के लिए मुझे दो साल तक इंतज़ार करना पड़ा है।”

शिल्पा ने शर्माते हुए कहा -“मेरा भी यही हाल था। मन ही मन चाहती रही आपको। पर हमारा संकोच हमारे बीच दो साल तक आड़े आया। पर आपने पहल की, दिल से आपको थैंक्यू। और हां रजनी को भी थैंक्यू जिसने हमें मिलाया।”

” हां! हाँ! पूरी लिस्ट बना लो। किस – किस को थैंक्स बोलना है, इकठ्ठे बोल देंगे।” – इस बात पर दोनों हंस पड़े। 

      तब शिल्पा ने राज को बताया कि इस शादी में आना भी उनके लिए ही था। साथ ही राज ने यह भी रहस्योद्घाटन किया कि रजनी को उन्होंने ही उसको अपने साथ लाने के लिए बार- बार रिक्वेस्ट किया था। शिल्पा सोच रही थी कि उसे उसके सपनों के राजकुमार से मिलाने की साजिश रजनी  की थी या खुदा की…।

#प्रेम

–डॉ उर्मिला शर्मा

 

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