मीता घर के पास के एक छोटे से नर्सिंग होम में भर्ती थी…..कल रात को ही उसने एक प्यारी सी गु़ड़िया को जन्म दिया था..बहुत कोशिश के बाद भी सामान्य प्रसव सम्भव नहीं हो पाया था…आँख खुली तो दाई की बेटी को बैठा पाया….मीता ने उससे नन्हीं गुड़िया एवं घर के अन्य लोगों के बारे में पूछा|
यहाँ यह बताना आवश्यक है कि मीता के सास ससुर नहीं थे बस एक जेठ जेठानी थे….. भैया भाभी उसे बहुत मानते थे वह स्वयं भी बहुत प्यार देती थी….भाभी अक्सर ही कहती |||थी….” देख मीता हमारे नाम भी सगी बहनों की तरह हैं..मैं गीता तू मीता़….दोनों भाई भी राम लक्ष्मण ही तो थे
नौकरानी ने बताया कि गुड़िया और सब लोग घर पर है बड़ी भाभी बच्ची के साथ है… रमा बहुत भूख लगी है…नर्स भी डाक्टर के राउन्ड के बाद खाने के लिए कह गई थी|
काफ़ी इन्तज़ार के बाद किसी तरह खिचड़ी आई..दाई की लड़की रमा ने ही किसी तरह उसको सहारा देकर खिलाया..मीता बार बार सबके लिए पूछती रही…पूरा दिन बीत गया. कोई नहीं आया.उसे लगने लगा कि बिटिया पैदा होने से सब दु:खी हो गए क्या?????वह रोने लगी तभी दरवाजे पर भैया छह वर्षीय बेटा रजत प्रकट हुआ और उसके पास आया……चाची गुड़िया ठीक है…मम्मी के पास है
वो बहुत निराश थी..उसे याद आया जब भाभी के रजत हुआ था उसने उनकी कितनी सेवा की थी..ऊँह कितना दिखावा करती थी कि हम लोग सगी बहनों से बढ़ कर है|
खैर राम राम करके दो दिन और बीते..घर से कोई नही आया बस नर्स और नौकरानी देखभाल करते रहे…घर से खाना समय बेसमय आता
आखिर मीता कब तक सहती????
बिलख बिलख रोेने लगी.. मैं सबके लिए मरती रही मुझे पूछने वाला कोई नहीं है….जितनी देर में ज़रा सी खिचड़ी आती है उतनी देर में तो मैं दस तरह की सब्जियाँ बना देती थी…कम से कम मेरी बच्ची तो मुझे दिखाओ
वो रो ही रही थी कि सब लोग हँसते हुए गुड़िया के साथ घुसे….उसने गुस्से से मुँह घुमा लिया… भाभी ने प्यार से सिर सहलाया और बच्ची उसे दी. “लाडो अब तो हँस दो.कितनी मुश्किल से रजत को बहन मिली पर वो इतनी बीमार हो गई कि यहाँ से बड़े अस्पताल ले जाना पड़ा.हम सबको वही रहना पड़ा. किसी तरह रमा और उसकी माँ ने सब सम्हाला..प्यारी बिटिया को कुछ हो जाता तो….. खैर अब बिटिया सम्हालो और घर चल कर पाँच नहीं दस सब्जियाँ बना कर खिलाओ….. मीता हक्की बक्की रह गई. फूट फूट कर रोते हुए बस इतना बोल पाई….. भाभी मैं माफी के लायक भी नही हूँ…..तुम किस लायक हो यह घर जाकर तय होगा…सब हँसने लगे
सब कोहरा छँट गया
मौलिक
स्वरचित
नीरजा कृष्णा