औलाद के मोह के कारण वह सब सह गई! – विजय लक्ष्मी अवस्थी : Moral Stories in Hindi

रजनी बैठी सोच रही थी, की क्या से क्या हो गया! जब शादी हुई तो खुशी से दिल उछलने लगा, और जब ससुराल में कदम रखा! मैं सबको खुश रखूंगी, और तन मन धन से पति के साथ मिलकर सारी जिम्मेदारी पूरी करूंगी! समय बिता दो बच्चों को जन्म देकर उनका पालन पोषण करने लगी

! रवि , राजन दोनों बच्चे विद्यालय जाने लगे, वह नाश्ता और खाना बनाती पढ़ती भी थी! रवि ने बीटेक करने के बाद बेंगलुरु चला गया, छोटा बेटा राजन छोटा बेटा उसकी कल्पना विदेश जाने की थी! अपने स्वप्न पूरा करने के लिए विदेश चला गया! रजनी ने रवि से बोला:”कई लड़कियां देख रही हूं”जल्दी शादी हो जाए तो मैं तुम्हारी तरफ से निश्चित हो जाऊं! पर रवि ने बोला”मम्मी अभी मुझे फ्लैट लेना है”

कुछ दिन बाद समय बिता और रवि ने फोन किया”_मम्मी रीता मेरी ही मित्र है, और मेरी कंपनी में ही काम करती है,

आप लोग आ जाएं “मैंने फ्लाइट की टिकट कर दिया है”! रजनी कुछ ना बोली मन में कसक तो लगी इतना बड़ा हो गया! खैर अपने को और पति को समझा 

कर बेंगलुरु आ गई! रीता के मम्मी पापा से मिले और हां तो करना था, वही वही मंदिर में शादी हो गई! राजन को बुला लिया! रवि ने बोला अभी टाइम नहीं है रिश्तेदारों और पड़ोसी को बाद में रिसेप्शन करेंगे! शादी के बाद रजनी और पति अनुज रुक गए राजन चला गया!

2 दिन बाद वह सुबह जल्दी उठकर नाश्ता तैयार करती और लंच तैयार करती

इतना करने के बाद भी रीता को अच्छा नहीं लग रहा था की रवि के मम्मी पापा रुके हुए हैं हद हो गई एक दिन रीता ने रवि से पूछ लिया यह लोग कब तक रहेंगे,

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रवि बोल कैसी बात करती हो मेरे मम्मी पापा है उन्होंने मुझे पढ़ाया लिखाया इस काबिल बनाया और तुम उनको रोकने देना नहीं चाहती हो यह गलत है!

लेकिन रीता के मम्मी आई और बोली आप लोग कब जा रहे हैं, रजनी को रोना आ गया, कुछ ना बोलिए! और रात में अनुज से बोल घर चलते हैं, घर चलते हैं,

दूसरे दिन जाने लगे तो रीता ने पैर छुए और बोला मुझे ऑफिस जाना है, रवि कप कर देगा आप आराम से चली जाइए!

रजनी दोस्त को देखते रह गई, दोनों लोग चुपचाप घर आ गए और यही सोचती रजनी बार-बार सोचती बच्चों के कारण कहीं नहीं जाती इस लाइक बना दिया आराम से दोनों बच्चों के पास रहेंगे लेकिन बहू का व्यवहार भी रवि के कारण सा गई! इधर राजन ने भी अपनी सहकर्मी से कोर्ट मैरिज कर ली!

और घर आकर होटल में पार्टी कर दी और अमेरिका चला गया! पैसा भेजता था लेकिन रजनी ने उसका पैसा जमा कर दिया खर्च नहीं किया इधर अनुज का हार्ट अटैक पड़ा वह बेचारी हॉस्पिटल के चक्कर लगाती और रवि आया और पैसा दिया 2 दिन में चला गया, रीता मां बनने वाली है तो उसको मेरी आवश्यकता है रजनी बोली”सही कहा बेटा मां पापा को तुम्हारी आवश्यकता नहीं जो होगा देखा जाएगा तुम जाओ!

इधर अनुज का देहांत हो गया रवि को फोन लगाया मम्मी राजन को बुला लो नहीं आ पाऊंगा रीता अकेली है हो जाएगी, रजनी मन में आया उसको भी आना चाहिए ज्यादा परेशानी हो तो मायके छोड़ दो पर नहीं बोली रिश्तेदारों की सहायता से सब कर लेंगे कैसेखैर फिर पता नहीं क्या दोनों भा होगा बेटा मुखाग्नि बेटे देते हैं,खैर दोनों भाइयों ने प्लान बनाया और आ गए, 3 दिन में सब संस्कार करके चले गए!

दोनों मां से नहीं बोला कि अकेले कैसे रहोगी आप चलिए मेरे साथ लेकिन किसी ने नहीं बोला, रजनी ने अनुज की तस्वीर के आगे फूट-फूट कर रोने लगी, अब किसी के पास नहीं जाएंगे बुलायेंगे तब भी नहीं जाऊंगी!

जिन औलाद के मोह के कारण सब शाह!

आप घर में किराएदार रख दिए, वृद्धाश्रम में जाती वहां बुजुर्गों की सेवा करके सोचती मैं अकेली नहीं हूं!

लेखिका-विजय लक्ष्मी अवस्थी

मौलिक

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