जल्दी करो बारात आती होगी जयचंद जी बौखलाए हुए इधर – उधर घूम रहें थें ।आज उनकी इकलौती बेटी की शादी है
वो कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे । माथे से पसीना पोंछते हुए दरवाज़े पे निहारते हुए कश्मकश में खोए एक बाप की जिम्मेदारी निभा रहे थे ।
एक माँ- बाप के लिए बेटी की शादी कितने सुकून की बात होती है । लेकिन उससे पहले की चिंता चिता समान होती है ।
कहीं कोई गलती ना हो जाए ! जब बारात आई , तो सब दूल्हे को देख बाते बनाने लगे । जयचंद जी क्या देख के शादी कर रहे है ???
लड़की कितनी सुंदर है और लड़के को देखो पक्के रंग का है ! इन्ही सब बातों के बीच जय माला हो गई , सब रस्में भी संपन्न हो गई ।
लेकिन लोगो की सरगोशी से जय चंद जी काफ़ी हताश हुए । हमारे देश में लोगो के पास कितना ख़ाली समय है ,
जो बस दूसरो की बुराई में ही लगे रहते है । लोगो की बातों को नजर अंदाज करते हुए वो अपने काम में लग गए ।
स्टेज पे फोटो खिंचाने का कार्यक्रम चल रहा था । तभी एक आंटी शगुन का लिफ़ाफ़ा देने आयी और शालू के कान में फुसफुसाने लगी
और बोली बेटा … तुमने क्या देख के लड़के से शादी के लिए हाँ की थी ! ये सब बाते जब पास खड़े रजत ने सुनी , तो रजत को हंसी भी आ रही थी
और बुरा भी लग रहा था , कि आज भी हमारे समाज में रंग -रूप , धर्म-जाति के नाम पर कितना भेद भाव किया जाता है ।
रजत को बुरा ना लगे इसलिए शालू बोली “ आंटी शक्ल – सूरत ही सब कुछ नहीं होती ! इंसान का आचरण , उसकी सोच मायने रखती है “।
मेरे पापा ने रजत को मेरा जीवन साथी चुना है तो कुछ सोच समझ के ही चुना होगा । जब हम दोनों के मम्मी- पापा हम दोनों को एक आँख से देखते है ,
तो आप कौन होती है ये पक्षपात करने वाली । ये सुन आंटी जी की बोलती बंद हो गई और लिफाफा पकड़ा अपना सा मुँह लिए चली गई ।
#एक आँख से देखना
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति