अतीत की जुगाली ! – रमेश चंद्र शर्मा

शादी के महज तीन साल बाद अनीता के शराबी पति रोड़ एक्सीडेंट में चल बसे । पढ़ी-लिखी वैधव्य की शिकार अनीता ने प्राइवेट कंपनी ज्वाइन कर ली। कंपनी में नए बॉस रवि  पोस्टिंग पर आ गए। पूरा स्टाफ गुलदस्ते देकर स्वागत करने लगा । अनीता उदास एक तरफ खड़ी रही।

रवि “अनीता,तुम यहां! बहुत सालों के बाद देखा है। कुछ परेशान लग रही हो”।

अनीता “ऐसी कोई बात नहीं। अचानक सामने नए बॉस को देखकर असहज हो गई “।

स्वागत का सिलसिला चलता रहा। कंपनी का काम पुराने ढर्रे पर चलने लगा। रवि ने अपने स्टाफ से अनीता के संबंध में सारी जानकारी जुटा ली। कुछ दिनों बाद बीमारी का हवाला देकर  अनीता ने रिजाइन के बाद कंपनी आना बंद कर दिया। रवि अपनी सहपाठी से मिलने का बहाना तलाशने लगा। अचानक अनीता की बीमारी की खबर सुनकर वह सीधे अस्पताल पहुंच गया।

रवि “अपना समझकर खबर करना चाहिए । अकेली कितनी तकलीफ उठा रही हो”।

अनीता “आपको किसने कह दिया मैं अकेली हूं। मेरे साथ भरा पूरा परिवार है “।

रवि “हमेशा हंसने मुस्कुराने वाली चंचल अनीता के चेहरे पर इतनी मायूसी अच्छी नहीं लगती”।

अनीता “धन्यवाद आपका , मुझे आपकी पूरी जानकारी है । अब मैं एक और हादसे का शिकार नहीं होना चाहती। अपनी किताबों और परिवार के साथ खुश हूं”।

रवि “तुम्हें गलत जानकारी  है।मेरी पत्नी सुरेखा ग्लैमर की चाह में रास्ता भटक गई थी। शंकालु होने से मेरे पीछे जासूस छोड़ रखे थे। इसलिए जैसे तैसे मैंने तलाक देकर पीछा छुड़ा लिया”।

अनीता “मुझे आपकी हिस्ट्री में कोई रुचि नहीं है। आपको कॉलेज के जमाने से जानती हूं”।

रवि “तुम्हारे प्रति मेरा आकर्षण आज भी कम नहीं हुआ है। बेरहम समय ने हमें विवाह सूत्र में बंधने नहीं दिया। एक बार फिर…..”।

अनीता “आप यहां से जाइए ।अतीत की जुगाली करने से कोई फायदा नहीं । आज के बाद मुझसे मिलने की कोशिश मत करना”।

रवि अपना सा मुंह लेकर बाहर निकल गया।

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# रमेश चंद्र शर्मा

16 कृष्णा नगर – इंदौर

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