रागिनी की माँ ने कहा, “8 बज गए हैं अब कब सोकर उठोगी। आज ऑफिस नहीं जाना है क्या? इतनी बड़ी हो गई है फिर भी बच्चों जैसी करती रहती है।” रागिनी जल्दी से बिस्तर से उठी, “8 बज गए हैं!” कहते हुए जल्दी से बाथरूम की ओर भागी फटाफट बाथरूम से फ्रेश होकर निकली क्योंकि उसका ऑफिस 9:30 बजे से ही शुरू हो जाता है। रागिनी के घर से जाते ही रागिनी की मां ममता जी, रागिनी के पापा, दिनेश जी के पास चाय लेकर गई और वहीं पर बैठ गई। बातों बातों में ही ममता जी ने दिनेश से कहा पता नहीं कब हमारी बेटी की शादी होगी लगता है कि भगवान ने हमारी बेटी के लिए कोई लड़का ही नहीं बनाया है।
कितने सारे लड़कों ने हमारी बेटी को देखा लेकिन सब ने शादी करने से मना कर दिया। रागिनी देखने में सांवली है तो क्या सांवली होना कोई गुनाह है। रागिनी के अंदर इतने सारे गुण हैं, वह किसी को नजर नहीं आता और फिर सरकारी नौकरी भी तो करती है, अपने पैरों पर खड़ी है, अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर आत्मनिर्भर बनाया। लेकिन इस समाज को तो सिर्फ शादी करने के लिए गोरी लड़कियां चाहिए फिर सांवली लड़कियां कहां जाएँगी। मैंने तो रागिनी को बोल दिया है कि ऑनलाइन शादी के पोर्टल पर अपने आप को रजिस्टर कर दो कोई ना कोई लड़का तो मिल ही जाएगा।
जाएगा शादी करने के लिए। इतने में ही बीच में दिनेश जी ने अपनी पत्नी ममता से कहा, “ममता यह कैसी बात कर रही हो अब क्या शादी हम अनजाने लोगों से कर लेंगे जिनको हम जानते भी नहीं हैं शादी कभी भी अपने रिश्तेदारों में ही करनी चाहिए, लड़के के बारे में हमें सब कुछ पता होता है,
अनजान लड़के से शादी करेंगे कहीं कुछ हो गया तो फिर हम क्या करेंगे। ममता अपने पति दिनेश से बोली, “देखो जी तुम तो चुप ही रहो आज तक तो एक लड़का ढूंढा नहीं, जिसको ढूंढा वह भी हमारी बेटी को नापसंद करके चले गए। क्या हम अपनी बेटी को जिंदगी भर कुंवारी रखेंगे कहीं ना कहीं शादी तो करनी ही होगी।”
दिनेश जी ने कहा, “ठीक है भाग्यवान तुम मां-बेटी की जैसी इच्छा है करो मैं कुछ नहीं कह सकता।” शाम को जब ऑफिस से रागिनी घर आई तो बहुत खुश थी. रागिनी को खुश देखकर रागिनी की माँ बोली, “रागिनी क्या बात है बहुत खुश लग रही हो।” रागिनी ने अपनी मां को बताया. मां मैंने जो शादी के पोर्टल पर अपना प्रोफाइल अपडेट किया है उनमें से एक लड़के का मैसेज आया है उस लड़के को मैं पसंद हूं उसने अपने मां-पापा से भी बात कर ली है।
वह हमसे मिलना चाहते हैं उसने अपने पापा का फोन नंबर भी दिया है, पापा से कहो बात करेंगे।” कुछ देर बाद ममता जी ने रागिनी से फोन नंबर लेकर रागिनी के पापा दिनेश के पास गई और फोन करने के लिए कहा, “यह लो फोन लड़के के पिता जी का है ऑनलाइन से मिला है बात कर लो वो लोग मिलने के लिए बुला रहे हैं। ” दिनेश जी चुपचाप नंबर लेकर अपने फोन से नंबर मिलाया उधर से लड़के के पिता विमलेश जी ने हेलो कहा।
दिनेश जी ने सबसे पहले तो अपना परिचय दिया कि मैं रागिनी के पापा दिनेश बात कर रहा हूं. विमलेश जी को भी पहले से सब कुछ पता था कि रागिनी के पापा का नाम दिनेश है क्योंकि लड़के ने जिसका नाम नरेंद्र था सब कुछ अपने पापा से बता दिया था। विमलेश जी बोले, “दिनेश भाई साहब बताइए कैसे हैं बताइए जमाना कहां चला गया है। हम लोगों के जमाने में पंडित जी आते थे और वही शादी ब्याह कराते थे
लेकिन आज जमाना कितना डिजिटल हो गया है लड़के लड़कियां खुद अपने लिए लड़का ढूंढ लेते हैं. देखो भाई साहब अगर लड़का को लड़की पसंद है तो हमें कोई एतराज नहीं है वैसे भी एक बार आप भी हम से मिले क्योंकि जब दोनों परिवार एक साथ मिल बैठकर बात करेंगे अगर उसके बाद शादी का फैसला हो तो उसकी बात ही कुछ और है ।” दिनेश जी ने कहा कि ठीक है भाई साहब अगले सप्ताह रविवार को हम लोग कानपुर से दिल्ली सुबह-सुबह ही पहुंच जाएंगे। रागिनी भले ही सांवली थी लेकिन देखने में सुंदर लगती थी।
रागिनी अपनी मम्मी के साथ बाजार से बहुत सुंदर ड्रेस खरीद कर लाई थी रागिनी को भी अंदर ही अंदर यकीन हो गया था उसकी शादी तय हो जाएगी क्योंकि रागिनी और नरेंद्र रोजाना फोन पर वीडियो कॉल में बात भी करते थे नरेंद्र को रागिनी पसंद हो गई थी।
आज रविवार का दिन था रागिनीके मम्मी-पापा और रागिनी कानपुर से ट्रेन पकड़ कर दिल्ली के लिए रवाना हो चुके थे। सुबह के 10:00 बजते ही दिल्ली पहुंच चुके थे. मिलने का कार्यक्रम तो वैसे एक होटल में रखा हुआ था लेकिन दिल्ली में अचानक से इतनी बारिश होने लगी कि लड़के वालों ने कहा भाई साहब आप लोग घर पर ही आ जाएंगे क्या ? कहां होटल में जाएंगे। फिर क्या था रागिनी का पूरा परिवार स्टेशन से सीधे ही संगम विहार,दिल्ली मे लड़के के घर के तरफ निकल चुके थे।
रागिनी के पापा ने जैसे ही बेल बजाया उधर से एक खूबसूरत महिला ने दरवाजा खोला उसको देखते ही रागिनी के पापा दिनेश ने कहा, “अरे सविता तुम यहां कैसे? सविता ने बताया, “पहले तुम बताओ मेरे दरवाजे पर आए हो और मुझसे पूछ रहे हो कि तुम यहां कैसे यह मेरा ही घर है. मैं यहां नहीं रहूंगी तो कहां रहूंगी।”
दिनेश ने कहा, “यानी कि तुम नरेंद्र की मां हो.” सविता ने कहा, “सही पहचाना और तुम रागिनी के पापा।” रागिनी और रागिनी के मां एक दूसरे को देख रहे थे अरे यह तो पहले से ही एक दूसरे को जानते हैं. सविता इन सबको ड्राइंग रूम में बैठाकर किचन की तरफ चल दी।
ममता जी ने दिनेश की तरफ मुंह कर दिनेश से बोली, “आप कैसे जानते हो इनको।” दिनेश ने ममता के कान में धीरे से कहा, “अरे भाग्यवान यह वही लड़की है जिसके बारे में मैं तुम्हें बताता हूं जब मैं दिल्ली रहता था यही वह लड़की तो थी जिसे मैं बहुत प्यार करता था और तुम्हारी वजह से इस लड़की से रिश्ता तोड़ना पड़ा।
दरअसल बात यह थी कि रागिनी के पापा दिनेश की कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली में ही हुई है 12वीं पास करने के बाद दिनेश जी का एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी में हो गया था. दिनेश जी शुरू से ही पढ़ाई में टॉपर थे दिनेश जी हिस्ट्री से ऑनर्स कर रहे थे और उन्हीं की क्लास में सविता भी पढ़ती थी.
धीरे धीरे दिनेश और सविता के बीच नजदीकियां बढ़ी और वह दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे. यहां तक कि जीने मरने की भी कसमें खा चुके थे. लेकिन किस्मत को जो मंजूर होता है वही होता है इंसान के बस मे कुछ भी नहीं होता वही हुआ इन दोनों के प्यार के साथ। उस समय कारगिल की लड़ाई चल रही थी और दिनेश के बड़े भाई कारगिल में ही पोस्टेड थे अचानक से खबर आती है दिनेश के बड़े भाई शहीद हो गए हैं। दिनेश तुरंत दिल्ली से अपने गांव के लिए निकल चुके थे। गांव पहुंचे तो घर में सब बिलख-बिलख कर रो रहे थे दिनेश के भाई की शादी अभी इसी साल तो हुआ था दिनेश की बुआ दिनेश की भाभी की चूड़ियां तोड़ रही थी ।
दिनेश ने अपनी भाभी की तरफ देखा और सोचा भाभी की भी क्या किस्मत है अभी शादी के 6 महीने भी नहीं बीते विधवा हो गई । दिनेश की भाभी किसी से कुछ नहीं बोल रही थी ऐसा लग रहा था वह गूंगी हो गई है. दिनेश के भाई का क्रिया कर्म करने के बाद दिनेश की भाभी को उसके मायके वाले अपने साथ ले जाने लगे. लेकिन दिनेश की भाभी यहां से जाना नहीं चाहती थी तो मायके वालों ने बोला अब यहां रह कर क्या करोगी वो कहने लगे जिससे तुम्हारी शादी हुई थी वहीं नहीं रहा तो यहां क्यों रहोगी चलो हम तुम्हारी दुबारा से शादी कर देंगे।
लेकिन दिनेश की भाभी जाने को तैयार नहीं थी वो लोग जबर्दस्ती ले जाने लगे दिनेश से रहा नहीं गया और वह आकर बोला अगर भाभी यहां से नहीं जाना चाहती है तो आप लोग क्यों जबर्दस्ती ले जा रहे हैं क्या यहां पर भाभी को हम लोग रखने के लिए तैयार नहीं हैं. दिनेश की भाभी के भाई ने कहा, “दिनेश जी जब हमारा जीजा ही नहीं रहा तो बहन रह कर क्या करेगी। कोई जिंदगी चार दिन की नहीं है जो पल मे गुजर जाएगी अगर तुम मेरी बहन से शादी करने के लिए तैयार हो तो बोलो अपनी बहन को यहीं पर छोड़ दे रहे हैं। अब दिनेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले क्या नहीं बोले क्योंकि वह दिल्ली में सविता नाम की लड़की से बेहद प्यार करता था यहां तक कि उनके बीच रिलेशन भी बन चुका था और फिर वह सविता को धोखा भी नहीं देना चाहता था।
एक तरफ प्यार था तो एक तरफ थी दिनेश की भाभी दिनेश को समझ नहीं आ रहा था वह किसको चुने अपने फर्ज को या अपने प्यार को। दिनेश ने बोला मुझे 10 मिनट का समय दीजिए और वह अपने घर के कमरे में चला गया । तभी दिनेश की दादी कमरे मे आई और बोली बेटा क्या सोच रहा है भर दे बहू का मांग, क्या बहू यहां से अपने मायके जाए अच्छा लगता है दुनिया क्या कहेगी यह लोग अपने बहू को भी रख नहीं पाए. आखिर तू भी तो किसी ने किसी से शादी करेगा ही और इतनी प्यारी है हमारी बहू, आखिर तुम्हारी भाभी ही तो है, कोई गैर तो नहीं, ले चुनरी ओढ़ा दे अपनी भाभी को।
दिनेश अपनी दादी से कैसे बताएं कि वो किसी और लड़की से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है। ऐसा सोच ही रहा था तभी दादी ने दिनेश की भाभी को कमरे में ले आई और पीछे से सारे लोग भी आए और एक चुटकी सिंदूर दिनेश के हाथों में दिया और उसी समय दिनेश ने अपनी भाभी का मांग भर दिया। सब कुछ इतना जल्दी हो गया दिनेश को सोचने का मौका भी नहीं मिला। लेकिन जो होना था वह तो हो गया था। रात में दिनेश और दिनेश की भाभी एक साथ ही बेड पर सोए हुए थे दिनेश की भाभी ने जो अब दिनेश की पत्नी बन गई थी। जिसका नाम ममता था।
उसने कहा अब मैं आपको देवर जी तो कह नहीं सकती लेकिन सुनिए आपने ऐसा क्यों किया आपने मुझे खुद बताया है कि आप दिल्ली में एक लड़की से प्यार करते हैं फिर मुझसे शादी क्यों किया । मैं तो अपनी जिंदगी जैसे तैसे करके गुजार ही लेती आपने अपना जिंदगी क्यों खराब किया। आपको अभी भी मेरी तरफ से इजाजत है आप चाहे तो मुझे तलाक देकर सविता से शादी कर सकते हैं।
दिनेश ने कहा, “ममता अगर मुझे तुम्हें तलाक ही देना होता तो फिर मैं तुमसे शादी ही क्यों करता तुम्हारी इज्जत बचाने के लिए ही तो मैंने तुमसे शादी की और फिर इज्जत ही उड़ा लूटा दूंगा तो फिर तुमसे शादी करने से फायदा ही क्या? मैंने तुमसे शादी इसलिए किया क्योंकि मेरे सामने एक तरफ मेरा प्यार था और एक तरफ मेरा फर्ज लेकिन मैंने फर्ज को चुना। मैं आज सविता को सब कुछ बता दूंगा और उससे माफी मांग लूंगा वह मुझसे बहुत प्यार करती है वह मुझे समझ जाएगी और मुझे माफ कर देगी।
शाम होते ही दिनेश ने सविता को फोन किया और हर बात सिलसिलेवार ढंग से सविता को बता दिया सविता ने जब सुना तो उसे ऐसा लगा उसे काटो तो खून नहीं लेकिन वह क्या कर सकती थी वह दिनेश को बेवफा भी तो नहीं कह सकती थी वह भी अपने परिवार के फर्ज के आगे मजबूर था।सविता ने सिर्फ इतना ही कहा, “दिनेश पता है मैंने तुमसे इसीलिए प्यार किया था क्योंकि तुम औरतों की इज्जत करते हो और आज तुमने वही किया मेरी तो शादी किसी और से भी हो जाएगी लेकिन ममता की शादी किससे होती मैं तुमसे नाराज नहीं हूं तुम जब चाहे मुझे फोन कर सकते हो।”
ऐसा लगा दिनेश के सिर से एक बहुत बड़ा बोझ हट गया वह अपने आप को बहुत हल्का महसूस कर रहा था. उसके बाद कई बार उसका मन किया कि वह सरिता को फोन करें लेकिन फोन लगाने के लिए जैसे ही नंबर डायल करता था नंबर बैक कर देता था उसकी हिम्मत नहीं होती सविता से बात करने की उसने भी सोचा जिस रास्ते जाना नहीं उस रास्ते के बारे में क्यों सोचे। सविता भी फिर मुझे भुला नहीं पाएगी मुझे भूलना ही होगा उसके बाद दिनेश ने कभी सविता को फोन नहीं लगाया लेकिन सविता का भी कई बार फोन आया दिनेश से मैसेज में ही रिप्लाई कर दिया अब हम एक दूसरे से कभी बात नहीं करेंगे।
उस दिन के बाद पहली बार सविता और दिनेश का सामना हुआ था। थोड़ी देर के बाद सविता के हस्बैंड विमलेश जी और सविता का बेटा नरेंद्र भी ड्राविंग रूप में गए थे तब तक सविता किचन से मेहमानों के लिए चाय और नाश्ता लेकर आई। बातों बातों में ममता ने सविता से कहा दिनेश जी आपके बारे में जैसा बताते थे आप बिल्कुल वैसे ही हैं बिल्कुल खूबसूरत परी जैसी ऐसा लगता है कि आपके लिए उम्र ठहर गया है। ” सविता ने कहा, “ममता जी आप भी तो बहुत खूबसूरत है” विमलेश और नरेंद्र चुपचाप देख रहे थे। उनको समझ नहीं आ रहा था यह लोग एक दूसरे को कैसे जानते हैं। तभी विमलेश जी ने दिनेश जी से कहा, “भाई साहब आप
मेरी पत्नी को कैसे जानते हैं।” दिनेश ने बस इतना ही कहा कि आपकी पत्नी सविता और मैं एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और हम एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी थे. उस दिन के बाद आज मुलाकात हुई.” लेकिन सविता ने अपने प्यार दिनेश जी के बारे में विमलेश जी को कभी नहीं बताया था क्योंकि अक्सर लड़की अपने हस्बैंड से एक्स बॉयफ्रेंड के बारे में बात करती है तो उनके बीच शक की दीवार खड़ी हो जाती है इसलिए लड़कियों को खासकर अपने पूर्व प्रेमी के बारे में नहीं बताना चाहिए।
रागिनी और नरेंद्र दोनों दूसरे कमरे में अकेले में मिलने के लिए चले गए और इधर रागिनी और नरेंद्र के मां-बाप एक दूसरे से मिले और फिर ऐसा लग रहा था जैसे सालों के बिछड़े दोस्त मिल रहे हैं। थोड़ी देर के बाद यही फैसला हुआ कि लगे हाथ अब सगाई भी हो ही जाए. सविता जी ने कहा ठीक है मैं शाम को सारे रिश्तेदारों को फोन करके बोल देती हूं कल किसी होटल में चलकर सगाई कर लेंगे।
दिनेश जी को सिगरेट पीने की आदत थी उन्होंने थोड़ी देर में वहां से बालकनी के तरफ सिगरेट पीने के लिए चले गए सिगरेट पी रहे थे तभी वहां पर सविता जी पहुंच गई। उन्होंने दिनेश से कहा, “दिनेश आपको क्या जरूरत थी हमारे बारे में बताने की उस “अतीत के पन्नों: को कुरेदने से अब कोई फायदा नहीं हमें बहुत तकलीफ होगी। दिनेश ने कहा, “देखो सविता अगर हम किसी और को नहीं बताते और कभी बाद में कैसे भी
करके तुम्हारे पति को यह बात पता चलता कि हम दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं या मेरी पत्नी ममता को यह पता चलता कि जिसे मैं प्यार करता था वह तुम ही हो तो उन्हें दुबारा से हमारे ऊपर शक होने लगता । जबकि ऐसी कोई बात नहीं है इसीलिए मैं चाहता था कि पहले से ही लोगों को बता दिया जाए।”
सविता ने कहा, “दिनेश क्या हमारे बच्चों को शादी करना सही रहेगा अब हम बार-बार मिलेंगे कहीं हमारा प्यार फिर से जग गया तो ? मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं अभी भी उतना ही प्यार करती हूं जितना पहले करती थी भले मेरी शादी किसी और से हो गई लेकिन प्यार तो मैंने तुम्हें किया है दिनेश।
दिनेश ने कहा, “सविता तुम कैसी बातें कर रही हो अब हम कॉलेज में पढ़ने वाले किशोर नहीं है जिंदगी की समझ हो गई है हमें हम दोनों एक एक बच्चों के मां बाप बन गए हैं और हम दोनों अपने पति और पत्नी के साथ बहुत खुश हैं क्या दोस्त आपस में नहीं मिलते हैं इसमें गलत क्या है। अगर तुम्हें मेरी बेटी पसंद नहीं है तो भले यह बता दो लेकिन इस वजह से रिश्ता मत तोड़ो कि हम दोनों एक दूसरे को जानते हैं।”
सविता जी ने कहा, “दिनेश कैसी बात करते हो मुझे तुम्हारी लड़की बहुत पसंद है। और सबसे अच्छी बात तो यह है हमारे बच्चे एक-दूसरे को पसंद करते हैं वह चाहे मिले हो इंटरनेट के द्वारा लेकिन अब हम रिश्तेदार हो गए हैं और पहले से एक दूसरे को जानते हैं हमारे कभी भी गलत नहीं कर सकते हैं।”
दिनेश ने कहा, “सरिता अब तो मैं बिल्कुल ही निश्चित हो गया कि मेरी बेटी तुम्हारी छत्रछाया में जा रही है पहले तो मैं इंटरनेट वाली शादी करने से ही डर रहा था पता नहीं कैसे हमारी बेटी उस परिवार में रह पाएगी हम पहले से जिनको जानते भी नहीं हैं ना कोई रिश्तेदारी है. अब आज से तुम्हारा बेटा नरेंद्र भी हमारा बेटा हो गया।” बालकनी में तभी सारे परिवार के सदस्य भी आ गए, “सारी बातें क्या बालकनी में ही कर लेंगे आप लोग” विमलेश जी बोले।
अगले दिन धूमधाम से रागिनी और नरेंद्र की सगाई हुई।
उसी रात में रागिनी अपने मां-बाप के साथ वापस कानपुर लौट रही थी. ट्रेन में ही रागिनी की माँ, ममता जी , दिनेश जी से कह रही थी, “सच कहा गया है जोड़ियां ऊपर से बनकर आती है जब इंसान जन्म लेता है तो उसका पति या पत्नी भी कहीं ना कहीं जन्म ले चुकी होती है और वो उचित समय पर मिल ही जाते हैं जैसे हमारी बेटी को उसका राजकुमार मिल गया ।