आत्मसम्मान – मीनाक्षी सिंह

आत्मसम्मान कहने को तो छोटा शब्द हैं   पर इसका मतलब बहुत बड़ा है!मेरी शादी सन्न 2014 में हुई थी !मेरे पिताजी  फौज में सूबेदार थे! सन्योग से मेरे पिताजी को लड़का भी  रिश्तेदारी में ही मिल गया जिस से घर में ख़ुशी का माहोल था !मैं जैव प्रौद्योगिकी में एमएससी करके बीएड कर रही थी !

लड़का पापा का देखा सुना था इसलिय ज्यादा छानबीन  की आवश्यकता नहीं पड़ी !लड़के वालों ने भी यहीं सोचकर उन्होने भी  मुझे नहीं देखा! घर में शादी की धुमधाम थी !पर ऊपर वाले को कुछ ओर ही मंजूर था !मेरे पिताजी का ट्रैन दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया वो भी शादी से पांच दिन पहले !

यह  लिखते हुए भी मेरे हाथ कांप रहे हैं !क्योंकी शादी का सारा इंतेजाम  पिताजी करके गए थे तो शादी नियत समय पर ही करने का फैसला लिया गया !कई लोगो ने ससुराल वालों को भड़काने  का प्रयास  किया कि दहेज की रकम अदा  नहीं कर पायेंगे अब ये लोग !

हमें अपने पिताजी के खातों की कोई जानकारी नहीं थी !माँ भी ऐसी हालत में नहीं थी कि  उन्हे  कहीं ले जाया  जाये !मेरे होने वाले जीवनसाथी  ने हमारे घर आकर मेरी माँ से कहा आप चिंता मत करिये मम्मी जी शादी होकर रहेगी अंकल जी का सपना था अपनी बड़ी बेटी की शादी धुमधाम  से करने का ! 

पापा की आर्मी  की तरफ से आठ लोग आये मेरे विवाह को सम्पन्न  कराने !पहली बार मैंने ओर मेरे पतिदेव ने एक दुसरे को शादी के दिन देखा !मुझसे देखने में समझदारी में बहुत  आगे थे !फिर विवाह के बाद पिताजी की वजह  से मैं तनाव में रहती थी !



ससुराल में भी सास ननद परेशान करते !ये दिल्ली नौकरी करते थे ओर मैं आगरा अपने ससुराल में रहती थी !मैं पढ़ाई भी नहीं कर पाती थी !इन्होने मेरी हालत देखी तो बहुत रोये कि तुम्हारे पापा ने तुम्हे इस दिन के लिए इतना पढ़ाया था अपना आत्मसम्मान बनाये रखना हैं तो दुनिया को और घर वालों को कुछ बनकर दिखा दो !इनके हौंसले से  मैने केन्द्रिय विद्यालय का संविदा  अध्यापक के लिए साक्षात्कार दिया मेरा मथुरा ओर आगरा दोनो जगह नाम आ गया !इन्होने मुझे मथुरा जॉइन करने की सलाह दी!

 घर से दूर रहोगी तो सरकारी नौकरी की तैयारी अच्छे से कर पाओगी !फिर क्या था हम मथुरा आ गए ओर ये दिल्ली से रोज आते जाते थे ओर मैं नौकरी करने लगी ! केन्द्रिय विद्यालय में भी सब संविदा पर हैं कहते !

पतिदेव ने साहस  दिया ओर मैने केन्द्रिय विद्यालय की परिक्षा दो बार दी एक बार दो नंबर से रही एक बार साक्षात्कार में रह गयी !मैने कहा मेरे बस का नहीं अब !फिर ये बोलते तुम थ्रो आउट प्रथम रही हो !क्या बताओगी अपने बच्चों को कि इतना पढ़कर भी कुछ नहीं कर पायी  !

फिर मैने हिम्मत दिखायी और  लग गयी दिन रात मेहनत में !फिर वो दिन आया जब मैं उत्तर प्रदेश की 69000 भर्ती में चयनित हुई !मेरे और  इनकी आँखों से आंसू रुक नहीं रहे थे !आज में आगरा में अध्यापिका हूँ !ओर छोटे छोटे प्यारे प्यारे बच्चों को दिल लगाकर पढ़ा रही हूँ!

ओर दो प्यारे से बच्चों की माँ हूँ! इसलिये कभी हिम्मत मत हारिये !प्रयास करते रहिये आपका भी दिन आयेगा ! इस तरह अपने आत्मसम्मान को मैने वापस पा लिया !

मेरे प्यारे साथियों पहली बार जीवन में अपनी खुद के जीवन की कहानी लिखने का प्रयास किया हैं !जो भी गलती हुई हो उसे जरूर बताईयेगा !मुकेश जी का बहुत बहुत अभार कल ही मैने उनसे कहा की मुझे हिन्दी में लिखना नहीं आता उन्होने समझाया ओर आज कहानी लिख दी

#आत्मसम्मान

आत्मकथा

स्वरचित

मीनाक्षी सिंह

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