शेफाली जब इंजीनियरिंग के फर्स्ट ईयर में आती है, तभी उसकी दोस्ती करन से हो जाती है और धीरे-धीरे उनकी दोस्ती इतनी बढ़ जाती है कि प्यार में बदल जाती है शेफाली और करन दोनों ही एक छोटे शहर से आकर गुड़गांव में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे,
जब भी समय मिलता दोनों साथ-साथ घूमते, खाते और अपना समय व्यतीत करते थे, पढ़ते भी साथ में थे, लेकिन इंजीनियरिंग पूरी होते ही, करन की नौकरी कहीं बाहर लग जाती है, वह शेफाली से वादा करता है कि मैं शादी करूंगा तो तुम ही से फिलहाल मेरे कंधे पर मेरी बहन और माँ का बोझ है, इसलिए पहले अपनी बहन की शादी करना है।
शेफाली मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ, शेफाली भी बहुत उदास हो जाती है और बोलती है मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, हम दोनों एक दूसरे का इंतजार करेंगे ।
करन के जाने के बाद शेफाली का बिल्कुल नहींलगता, उसे अपने दोस्त करन के साथ बिताया समय याद आता रहता है, धीरे-धीरे शेफाली की भी नौकरी लग जाती है और शेफाली के माता-पिता उससे शादी के लिए जिद करते हैं, शेफाली, करन के फोन का इंतजार करती है,
लेकिन करन का फोन आना भी बंद हो जाता है और उसकी कोई खबर भी नहीं मिलती, शेफाली बहुत चिंतित हो जाती है और अपने माता-पिता की आज्ञा अनुसार रोहन नाम के लड़के से शादी कर लेती है, शादी का 1 साल व्यतीत हो जाता है। रोहन, शेफाली को बहुत चाहता था और बहुत प्यार करता था,
दोनो अपनी शादी की पहली वर्षगांठ बहुत धूमधाम से मनाते हैं। शेफाली के सास-ससुर भी शेफाली को बहुत चाहते थे, रोहन के साथ अच्छा समय व्यतीत हो रहा था, रोहन की खुद की एक प्राइवेट कंपनी थी और उसका अच्छा नाम भी था, उसकी कंपनी में काफी लोग काम करते थे।
रोहन अपनी कंपनी के काम से देहरादून में मीटिंग अटेंड करने जाता है, दो दिन बाद जब रोहन लौटता है, तो उसकी कार का एक्सीडेंट हो जाता है और उसकी कार खाई में मिलती है, सामान भी मिलता है, लेकिन रोहन का कुछ अता-पता नहीं मिलता। शेफाली और उसके सास ससुर रोहन को खूब ढूंढते हैं, पुलिस में खबर करते हैं, पर रोहन का कहीं पता नहीं चलता। शैफाली बहुत उदास हो जाती है, उसके माता-पिता रोते रह जाते हैं।
शेफाली की जिंदगी में सन्नाटा छा जाता है, एक दिन अचानक रोहन के घर की घंटी बजती है और शेफाली दौड़कर दरवाजा खोलती है, देखती है सामने करन खड़ा था शेफाली के मुंह से निकलता है अरे तुम यहां कैसे करन बोलता है, यह तो मेरे ताऊजी का घर है और तुम यहां कैसे यह सुनकर करन के ताऊजी और ताईजी आ जाते हैं और करन को गले से लगा कर खूब फूट-फूट कर रोने लगते हैं और बताते हैं,
कि रोहन का एक्सीडेंट हुआ उसके बाद से रोहन का कुछ पता नहीं यह सुनकर करन को भी रोना आ जाता है। ताऊजी और ताईजी करन को बताते हैं कि शेफाली मेरी बहू है, इंजीनियर है, करन, शेफाली को देखता रह जाता है, उसे अपने शेफाली के संग बिताया समय याद आने लगता है, शेफाली भी अपने ख्यालों में खो जाती है, शेफाली के सास-ससुर पूछते हैं, करन तुम शेफाली को जानते हो क्या ?
तब करन बताता है कि हम दोनों ने साथ में इंजीनियरिंग की थी और मेरी नौकरी लग गई थी तब मैं बाहर चला गया था, पर अपने प्यार के बारे में उनको कुछ नहीं बताता माँ की तबीयत खराब ज्यादा होने के कारण वह रोहन की शादी में भी नहीं आ पाया था, इसलिए उसे पता भी नहीं था कि रोहन की शादी किस लड़की से हुई।
आज अचानक शेफाली को सामने देखकर उसे अपने बीते हुए पल याद आ गये, जब पापा का एक्सीडेंट हुआ और वह नहीं रहे तो करन के कंधे पर माँ और अपनी बहन की जिम्मेदारी आ गई। नौकरी लगते ही अपनी माँ और बहन को लेकर करन बाहर चला गया और अपने प्यार के बारे में किसी को नहीं बताया। वह अपनी नौकरी में इतना व्यस्त हो गया कि शेफाली को भी फोन नहीं किया, इस बीच रोहन की शादी शेफाली से हो गई। करन की गलती थी उसने इतने समय तक शेफाली की खबर भी नहीं ली।
करन के ताऊजी करन को बहुत ज्यादा चाहते थे, क्योंकि उनके छोटे भाई का बेटा जो था। करन के आने से उन्हें हिम्मत आ जाती है और वह बोलते हैं बेटा, हम तो रोहन को ढूंढते ढूंढते थक गए हैं, पता नहीं वह जिंदा है कि नहीं, पर अब हमें शेफाली की चिंता है
अगर तुम चाहो तो शेफाली की शादी तुमसे कर देते हैं यह सुनकर शेफाली बहुत दुखी हो जाती है और अपने सास-ससुर से बोलती है, मैं अब किसी से शादी नहीं करूंगी, मैं शादी के पवित्र बंधन में बंधी थी, मेरा विश्वास है रोहन मेरा पति मुझे जरूर मिलेगा और करन से शादी करने के लिए साफ मना कर देती है,
करन भी उसे बहुत समझाता है तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी है, तुम चाहो तो मुझसे शादी कर लो मैं तुम्हें हमेशा से ही चाहता था और आज भी चाहता हूँ, पर शेफाली बोलती है नहीं तुम मेरा अतीत हो और जब तुम मुझे छोड़ कर गए थे, मैंने तुम्हारा बहुत इंतजार किया लेकिन तुमने फोन करना भी उचित नहीं समझा, आज मैं इस हालत में मिली हूँ,
तो मुझ पर दया मत दिखाओ। मैं अपने पति को ढूंढ कर ही रहूंगी, करन भी उसके “अटल विश्वास”—— को देखकर उसके आगे झुक जाता है और एक सच्चे दोस्त की तरह उसका साथ देने लगता है। एक दिन करन और शेफाली, रोहन को ढूंढते— ढूंढते बहुत दूर निकल जाते हैं,
अचानक बिजली चमकने लगती है, बादल गरजने लगते हैं, और घनघोर बारिश होने लगती है, ऐसा लग रहा था “जैसे कोई बड़ा तूफान आने वाला है”——– शेफाली भी डर जाती है, करन की कार इतनी बारिश में डगमगाने—— लगती है, वह दोनों पास ही एक रेस्टोरेंट में बैठकर चाय पीते हैं, करन जब भी शेफाली को देखता है उसका प्यार उमड़ने लगता है, लेकिन वह अपने मन पर काबू कर लेता है, शेफाली से वादा जो किया था। कि वह अपने भाई और शेफाली के पति को जरूर ढूंढेगा।
बारिश के कारण अंधेरा सा होने लगा था, शाम ढलने लगी थी, इतने में रेस्टोरेंट के पास ही किसी” मंदिर की घंटे की आवाज”—— आती है और आरती की आवाज आती है, शेफाली, करन से कहती है! अब बारिश भी थम गई है, चलो इस शिव जी के मंदिर में भगवान से प्रार्थना करते हैं, करन शेफाली की बात मान जाता है दोनों मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते हैं
—-घंटे की ध्वनि तेज सुनाई देने लगती है। करन और शेफाली आरती में शामिल हो जाते हैं, इतने में शेफाली का ध्यान कोने में खड़े एक “भगवा कलर की शॉल ओढ़े बाबा”— पर जाता है, जिसकी दाढ़ी बड़ी हुई थी और बाल बड़े थे, लेकिन उसकी शक्ल कुछ जानी पहचानी सी लगती है, शैफाली चिल्लाती—— हुई उस बाबा की तरफ दौड़ती है, रोहन—– मेरे पति! इतने में पुजारी और सारे लोग शेफाली को देखने लगते हैं,
करन भी शेफाली के पीछे जाता है, तब पुजारी बताते हैं, कि तुम इन्हें जानती हो क्या ? यह हमें एक नदी के किनारे मिले थे और हम इन्हें मंदिर ले आए खूब पूछने की कोशिश की पर लगता है उनकी याददाश्त चली गई और यह कुछ भी नहीं बता पाए, तब से हमारे मंदिर में ही रहते हैं और हमारे साथ पूजा पाठ करते हैं, चुपचाप बैठे रहते हैं,
शेफाली—– अपने पति से चिपट जाती है, शेफाली जिसके साथ शादी के बंधन में बंधी थी उसका पवित्र प्रेम वापस मिल गया। जिसके संग उसने सात फेरे लिए थे, भगवान ने उन्हें फिर मिला दिया, शेफाली से किया हुआ करन का वादा आज पूरा हो जाता है, आखिर शेफाली के “अटल विश्वास” की जीत होती है।
करन, रोहन और शेफाली को उनके माता-पिता के पास छोड़ देता है और अपने ताऊजी, ताईजी के पैर छूकर वापस चला जाता है! शेफाली—— करन को जाते हुए दूर तक देखती रह जाती है।
सुनीता माथुर
स्वरचित, मौलिक रचना
पुणे महाराष्ट्र