अशांति – चम्पा कोठारी : Moral Stories in Hindi

सीमा ट्रेन से भोपाल  जा रही थी सेकेंड AC में उसकी बर्थ बुक थी अकेली ही जा रही थी इसलिए उसने आसपास नजर डाली सामने एक अकेले शख्स को बैठे देखा थोड़ी असहज हो रही थी।

परंतु ट्रेन चलने से ठीक 10 मिनट पहले ही एक जवान दंपत्ति बदहवास से जल्दी-जल्दी ट्रेन में सवार हुआ और उसी के ठीक सामने वाली पर  बैठकर सीट नंबर चेक करने लगे।

सीट नम्बर देखकर उन्होंने उन सज्जन से बोला कि यह सीट उनकी है। वह शख़्स चुपचाप उठकर उपर की बर्थ पर चला गया। पति  की बर्थ सीमा के उपर वाली थी।दोनों फिलहाल एक साथ बैठे थे।

उन्होंने आराम से अपना सामान जमाया। रात के नौ बजे थे। ट्रेन चल पड़ी। दोनों पति पत्नी चुप थे। सीमा बीच बीच में उन्हें कनखियों से देख रही थी।पति थोड़ा तनाव में लग रहा था।

दोनों ने अपना खाने का सामान निकाला। डिस्पोजल प्लेट लगाकर पराठा सब्जी और रायते से अपना डिनर पूरा किया। देखादेखी उसे भी भूख लग गई थी। उसकी बहु नेहा ने उसके कहे अनुसार मात्र दो नमकीन पराठे अचार के साथ अल्युमिनियम फॉयल में

लपेटकर  टिफिन में रख दिये थे। पत्नी सीमा के सामने  ही बैठी  थी सीमा ने औपचरिकता वश उनसे गंतव्य स्थान के बारे में पूछा। इत्तफाक से दोनों भोपाल जा रहे थे।संक्षिप्त बातचीत में पता लगा कि लड़की का नाम विशाखा और उसके पति का नाम सुमित था।

उन्होंने ज्यादा बात नही की। सीमा आँख बंद कर के सोने का उपक्रम करने लगी। अचानक ही उसके कानों में विशाखा की फुसफुसाहट सुनाई दी। इस तरफ से कहा जा रहा था “मम्मी  अब और नही।

बहुत हो गया वह तो सुमित इस बार मान गए नही तो खून के आंसू रोती रहती। उधर से पता नही क्या बोला गया वह तैश में आकर बोली ” आप तो हमेशा मुझे ही गलत बताती हैं। मैं सबको एक साथ खुश नही रख सकती।

सास ससुर को अलग खाना देवर की, अलग फरमाइश। चकरघिन्नी की तरह इधर उधर डोलते रहो अपने लिए जरा भी टाइम नहीं। हुँह–!  इससे तो मैं नौकरी करती” उधर की आवाज के प्रत्युत्तर में फिर आक्रोश

” बस बस रहने दो। वो लोग मेरा कितना ध्यान रखते है मुझे पता है। क्या करूँ उन लोगों के गिफ्ट के। मुझे नही चाहिए।  मेरी भी कोई लाइफ है।अब और नही आप उनका गुणगान करते रहो। मुझे अब अलग रहना है।

माँ ने शायद फिर से समझाने की कोशिश की तो लड़की आर या पार के मूड में बोली-” फिक्र मत करो आपके घर में किराये का घर मिलने तक रहूँगी अगले माह तक सुमित का ट्रांसफर वही हो जायेगा”! उधर से फिर फोन काट दिया गया।

यह सब सुनकर सीमा की भी समझ में आ गया था कि यह लड़की ससुराल से लड़कर पति के साथ जा रही थी पर क्यों समझ मे नही आया। उसने एक गहरी सांस ली। पता नही क्यों उसे  विशाखा से बात करने का मन हो आया।

उसने कहा “सुनो  ऐसा लगता है कि मैंने तुम्हें पहले कहीं देखा है” लेकिन आन्टी मैंने आपको पहले कभी नही देखा।”! विशाखा बेरुखी से बोली। सीमा थोड़ी देर चुप रही। अचानक ही उसकी बहु नेहा का फोन आने लगा उसने फोन को स्पीकर में लगाया।

नेहा बोली मम्मी आपने खाना खा लिया। उसके हाँ में उत्तर देने पर नेहा बोली “और दवा ले ली? सीमा बोली अरे वह तो मैं भूल ही गई रोज तुम दवा देती हो ना शायद इसलिए”!

नेहा की आवाज आई “मम्मी इसीलिए मै अनुज को साथ ले जाने की  जिद कर रही थी तीन दिन में वापस लौटना था वह आ जाते छुट्टी लेकर आप अपनी दवाइयों का ध्यान नही रखती। नेहा ने उलाहना दिया। सीमा मुस्कुरा दी ” अरे नही बेटा जिसकी तुम्हारी जैसी

बहु हो वह बीमार नही हो सकता। खुश रहो अब सो जाओ। “! साथ की बर्थ वाली लड़की गौर से  उसकी बातें सुन रही थी सीमा से उसने अचानक पूछ बैठी ऑन्टी आप कहाँ जा रही हैं

सीमा ने कहा ” मैं अपने भाई के पास जा रही हूँ उनके घर में उनके पोते का मुंडन संस्कार है। अकेली ही जा रही हूँ, ” आपके घर में कौन-कौन हैं अकेली जा रही हैं !”तो सीमा ने कहा जहाँ मैं रहती हूँ

उसी शहर में बेटा जॉब करता है बहु है एक प्यारा सा पोता है। बहु ने बेटे को साथ लेकर जाने की जिद की थी। मेरी बहुत फिक्र करती है डायबिटीज की मरीज हूँ इसलिए दोनों चाहते थे

कि मैं किसी को साथ लेकर चलूँ पर मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहती थी क्योंकि बेटे के पास बहुत ज्यादा काम होने से ब्यस्त रहता है। विशाखा बोली ” ऑन्टी क्या आपकी बहु जॉब करती हैं? उसने कहा

” जॉब तो नहीं करती हालांकि वह आई टी प्रोफ़ाएशनल रही है। बेटे के जन्म के बाद उसने परिवार को प्राथमिकता दी।अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी।  मेरे पति पैरालिसिस के कारण कई साल बिस्तर में पड़े रहे बहु बेटे ने उनकी जी जान से सेवा की।

पिछले साल उनका निधन हो गया।  मेरी छोटी बेटी पुणे में इन्जिनियर है । मैं बीमार रहती हूँ। उनकी बात सुनकर विशाखा सोच में पड़ गई। उसको गुमसुम देखकर सीमा बोली “तुमने अपने बारे में कुछ नही बताया।

तुम्हारे पति क्या करते हैं ? क्या तुम भी कोई नौकरी करती हो?” “नही आन्टी मै अपने माता पिता से मिलने जा, रही हूँ मात्र तीन दिन के लिए संभवतः वापसी आपकी ही ट्रेन से होगी।

भगवान् करे आपसे फिर मुलाकात हो। मेरी सारी गांठे आपके बारे में जानकर ही सुलझ गई। मैं अपने परिवार से दूर जाकर बहुत बड़ी गलती कर रही थी। मेरे अहं ने घर में जो अशांति फैलाई थी वह अब दूर हो गई। यह, सुनकर सीमा मन ही मन में मुस्कुरा उठी।

आपको ये कहानी कैसी लगी कमेंट में बताइयेगा

धन्यवाद

Champa kothari 

4 thoughts on “अशांति – चम्पा कोठारी : Moral Stories in Hindi”

  1. Koi bhi itni der ki train me mulakat se apna irada badal lega, hazam nahi hota. Har ek ka apna parivar hota hai.Sari ganthe khul gai. Wah ji wah!

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