अर्पण – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कमला, सुनो आज 11 बजे तैयार रहना,तुम्हे मेरे साथ चलना है।याद रखना।  वो तो ठीक है,पर ये बताओ तो,कहाँ?  जब चलोगी तो देख भी लोगी, समझ भी लोगी।

 नरेश और मुकेश दोनो भाई एक साथ ही संयुक्त परिवार के रूप में ही रहते थे।पिता की इच्छा थी कि दोनों भाई साथ रहे,एक ही घर मे।उनका कहना था,एका रहने से ताकत बढ़ती है,प्यार बढ़ता है, बरकत रहती है।दोनो भाइयो ने अपने पिता को साथ ही रहने का वचन दिया था,जिसे वे पिता की मृत्यु के चार वर्ष बाद तक भी निभा कर चल रहे हैं।दोनो भाइयो की शादी पिता के सामने ही हो चुकी थी।

छोटे भाई मुकेश के दो बेटे थे।छोटा बेटा तो बस एक डेढ़ माह का ही था।बड़े भाई नरेश के कोई संतान नही थी,पर सौभाग्यवश उसकी पत्नी कमला के पावँ भी भारी हो गये थे।नरेश खुश था कि अब उसका परिवार भी पूरा हो जायेगा।कमला तो बस अपने होने वाले बच्चे के बारे में सोच सोच कर पता नही कितनी और कैसी कैसी योजनायें बनाती रहती।हर महिला का सपना माँ बनना होता ही है,अब जब कमला माँ बनने वाली थी तो स्वाभाविक रूप में उसका रोमांच एवं खुशी अपने चरम पर थी।

नरेश कमला को लेकर रूटीन चेकअप के लिये डॉक्टर के पास गया।डॉक्टर ने बच्चे को पेट में स्वस्थ बताया।कुछ डायरेक्शन डॉक्टर ने दी।दोनो अपनी कार से घर वापस आ रहे थे कि एक खड़े टैम्पू से कार टकरा गयी।नरेश के सिर में  चोट आयी, लेकिन असली टक्कर तो उस ओर से लगी थी जिस ओर कमला बैठी थी।टक्कर इतनी जोर की थी कि कमला बेसुध हो गयी।

किसी प्रकार नरेश उठा, तब तक कुछ लोग अन्य भी एकत्रित हो गये, उनके सहयोग से नरेश बेहोश कमला को लेकर पुनः हॉस्पिटल पहुंचा।कमला को तुरंत आईसीयू में दाखिल कर लिया गया।कमला का गर्भपात हो चुका था,किसी प्रकार कमला की जान तो बच गयी पर कभी माँ न बन पाने की कीमत पर।सब सपने धराशायी हो चुके थे।इस बज्रपात से प्रारम्भ में कमला को अनभिज्ञ रखा गया, बस गर्भपात की ही बात बताई गयी, फिर कभी माँ न बन पाने की बात छुपा ली गयी।

      एक दिन घर मे मौसी आयी,उन्हें इस दुर्घटना का पता चला तो सहानुभूति प्रकट करने आ गयी।दूर से आयी थी सो उनका तीन दिन रुकने का भी कार्यक्रम था।मौसी को मालूम नही कैसे पता चल गया कि कमला अब कभी माँ नही बन पायेगी।इतना जानना भर था कि उनका बेशुमार प्यार नरेश के प्रति उमड़ पड़ा। नरेश को कमरे में अकेला बैठा देख मौसी उसके पास आ बैठी और प्यार से सहानुभूति जताते जताते बोली बेटा देख अब कमला तो बच्चा जन नही सकती और आगे वंशबेल भी बढ़ानी है,

सो बेटा कुछ दिन बाद दूसरी शादी की सोचना।इतना सुनना था कि नरेश तमतमा गया, गुस्से से मौसी से कहा मौसी क्या करना है क्या नही करना है, हमे पता है।आप को सलाह देने की कोई जरूरत नही है।एक बात और मौसी मैं दूसरी शादी की सोच भी नही सकता और आपको अब इस बारे में कोई भी बात किसी से भी करने की कोई आवश्यकता नही है।

नरेश का यह रौद्र रुप देख मौसी सहम गयी और उसी दिन शाम को ही अपने घर लौट भी गयी।नरेश ने राहत की सांस ली।पर यह वार्तालाप तो दूसरे कमरे से आती कमला ने सुन लिया।कमला पर तुषारापात हो गया।उसने अपनी व्यथा तो नरेश से भी नही बताई,लेकिन अंदर ही अंदर घुटने लगी।नरेश को वह कोई औलाद नही दे पायेगी, वह कभी माँ नही बन पायेगी,इस वेदना ने उसका जीवन दूभर कर दिया था।

     कमला अब बिल्कुल ही गुमसुम रहने लगी थी।उसका यह हाल देख नरेश विचलित हो जाता।नरेश बोला कमला क्यो दुखी रहती हो एक दुर्घटना थी हो गयी,सब ठीक हो जाएगा।कमला रोते रोते बिलख उठी,क्या ठीक हो जायेगा, कुछ ठीक नही होगा।मौसी ठीक तो कह रही थी जब मैं औलाद नही दे सकती तो आपको दूसरी शादी कर लेनी चाहिये।मेरा क्या है?अवाक सा नरेश समझ गया कि कमला को उसके कभी भी  माँ न बनने की बात पता चल चुकी है।नरेश आगे बढ़ कर कमला को अपने मे समेट कर बोला कमला भूल से भी ये शब्द मुहँ से ना निकालना, तुम बिन मेरा कोई अस्तित्व नही है।न हो कोई औलाद,हम ऐसे ही जीवन काट लेंगे।शायद भगवान की यही मर्जी होगी।

       नरेश कमला के दर्द को समझ तो रहा था पर क्या करे इसका कोई समाधान उसके पास नही था।फिर उसने उपाय सोच ही लिया कि किसी अनाथ बच्चे को गोद ले लेंगे,इससे कमला का मन बदल जायेगा।नरेश स्थानीय अनाथालय में गया और बच्चो को देखा, नरेश ने निश्चय कर लिया कि कमला की पसंद के बच्चे को गोद ले लेंगे।नरेश कमला से अनाथालय ही ले जाने के लिये तैयार होने को बोल रहा था।

कमला बोली सुनो जी मेरा कही जाने को मन नही करता।आप कहाँ ले जाना चाहते हो?नरेश ने सोचा कि कमला ऐसे तो जायेगी नही,इसलिये उसने कमला को साफ बता दिया कि वे एक बच्चा गोद लेने वाले है।कमला हमे बच्चा मिल जायेगा, यही तो तुम चाहती थी ना।कमला असमंजस में आ कुछ भी ना बोल सकी।

     तभी नरेश का छोटा भाई मुकेश सामने आकर अपने भाई से बोला भैया कर दिया ना मुझे पराया।अपने दुःख में मुझे जरा भी हिस्सा नही दिया,सब सुख ही हिस्से में दिया।कुछ करने का मौका भी तो देते। नरेश ने मुकेश को बाहों में भींच कर कहा अरे तुझे मैंने कब पराया माना रे?

     तभी मुकेश की पत्नी अपने बच्चे को गोद मे लिये कमरे में आयी, मुकेश ने अपनी पत्नी की गोद से बच्चे को लेकर अपनी भाभी कमला की गोद मे डाल दिया,भाभी अब ये बिट्टू तुम्हारा है,केवल तुम्हारा।इसको आपको अर्पण करने का हक हमे दे दो भाभी,भैय्या ये हक दे दो।

     नरेश बोला अरे मुकेश तू इतना बड़ा हो गया रे,पता ही नही चला,और कमला ने मुकेश की पत्नी और बिट्टू को अपने मे समेट लिया।

         बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

मौलिक एवं अप्रकाशित।

#खून का रिश्ता

 

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