Moral stories in hindi : आज अचानक प्रिया से मुलाकात हो गई जब से मैरिज होने के बाद मैं लखनऊ आ गई थी तब से उससे कोई संबंध नहीं रह गया था ।वह अपने अरमान को पूरा कर रही थी ,लेकिन मेरे घर वालो को मेरे अरमान से ज्यदा मेरी शादी करने का अरमान था शायद वह मेरी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहते थे ।
हम दोनों साथ पढ़ते थे मैने हिस्ट्री ली थी उसने मनोविज्ञान
दोनो ने एम ए करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए यू पी एस सी की तैयारी करने के लिए आन लाइन कोचिंग शुरू की थी ।हम दोनो का अरमान एक बड़े सरकारी पद को पाना था ।
मेरे घर के हालात प्रिया के घर से बहुत खराब थे ,पापा के पास एक छोटी सी जॉब थी दो छोटे भाई अभी पढ़ रहे थे ।बिना दहेज उनको अजय से मेरा संबंध करना अच्छा लगा था और मैं उनकी इक्षा के आगे नतमस्तक हो गई ।
शादी के बाद मेरी पहली करवा चौथ थी ।
अजय ने पूछा _ रीना तुम को क्या चाहिए गिफ्ट में ,मेरे साथ चलो अमीनाबाद चलते हैं तुम अपनी पसंद की साड़ी ले लो ।
अजय बहुत अच्छे हैं अपनी रेलवे की नौकरी से खुश है ,घर में अपनी मां बहन का भी ध्यान रखते है ,मेरे मन
में तो बस अपने करियर बनाने का शौक था उसके आगे मुझे गहने कपड़े किसी चीज की जरूरत नहीं थी ।
मैने धीरे से कहा मेरे पास बहुत साड़ी हैं आप मुझे
यू पी एस सी की कोचिंग फीस दे सकते हैं मेरा अरमान एक अफसर बनने का था परंतु पापा को आपसे रिश्ता करके अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी थी ।
अजय थोड़ी देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखते रहे,
फिर बोले_ तुम्हारी हर खुशी में मेरी खुशी है ,तुम जानती हो ये सबके बस का नही है क्या तुम घर की जिम्मेदारी के साथ ये एग्जाम पास कर पाओगी ?
ये बस मेरा एक अरमान है शायद पूरा हो जाए मैं पूरी कोशिश करूंगी फिर तो भाग्य की बात है ।
अजय ने खुशी खुशी मेरा कोचिंग में रजिस्ट्रेशन करवा दिया और मेरा समय भी पढ़ाई के लिए निश्चित कर दिया।
सासू मां ने भी पूरा सहयोग किया ,मैं पूरी तरह अपनी पढ़ाई कर रही थी और फिर दस महीने बाद मेरी परीक्षा का समय आ गया ।
मै बहुत नर्वस थी अजय ने मेरा साहस बढ़ाया मुझे कहते तुम कर लोगी ,”कोशिश करने वालों की हार नही होती ” सच कहूं उनके ये शब्द ही मेरी ताकत थे पूरे उत्साह से मैने परीक्षा दी थी ।
प्रीलिम्स मैने पास कर लिया ,घर में सब खुश थे , अब फाइनल की बारी थी अजय ने मेरा उत्साह बनाए रखा और फाइनल एग्जाम भी मैने अच्छे से दिया ।
परीक्षाफल का इंतजार था लेकिन मैं परीक्षा में असफल हो गई थी ,मुझे अंदर से बहुत ग्लानि हो रही थी
सब ने मेरा कितना साथ दिया था और मैं अपने प्रयास को सफल नहीं कर सकी ।मैं अपने कमरे में रो रही थी मुझे असफल होने की शर्मिंदगी थी दुख भी था ।
मेरी मां समान सास ने मुझे प्यार से समझाया बेटा तुम मन छोटा मत करो हार जीत तो चलती रहती है ।तुमने घर की जिम्मेदारियों के साथ ये प्रयास तो किया जो मैदान में आने की हिम्मत करता है आधी जीत तो उसकी तभी हो जाती है तुम मन छोटा मत करो ।
आगे अभी जिंदगी बहुत है फिर प्रयास करना कहते हुए उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा ,मैं उनके गले लगकर खूब रोई ।
जब मन शांत हुआ तब अजय ने कहा तुम फिर से कोशिश करना अपने अरमान पूरे करने के लिए ।
मैने कहा मेरे अरमान इतने अच्छे पति और परिवार के साथ खुश रहकर पूरे हो गए अब मुझे कुछ नहीं चाहिए ।
# अरमान
स्वरचित पूजा मिश्रा