“अर्धांगिनी…. – रेणु मंगल : short story with moral

घूमने का शौक किसे नहीं होता और ये तब और भी खुशनुमा बना जाता है जब किसी युवा जोड़े की शादी हुई हो और वह एकसाथ घूमने जाएं मोहन और सुधा की शादी को भी बस महीना भर ही हुआ था कम्पनी से पूरे पंद्रह दिनों की छुट्टी मिली थी सो मोहन अपनी नवविवाहिता पत्नी सुधा को लेकर शिमला मनाली घूमने निकल पड़ा शिमला बस पहुंचकर दोनों बस स्टैंड से बाहर आएं ताकि वहां की खूबसूरत जगहों की टैक्सी द्वारा सैर की जाएं. 

मगर कुछ टैक्सी वाले कम होने की वजह से वहां मौजूद टैक्सी वाले ज्यादा पैसे ज्यादा मांग रहे थे मोहन के कुछ दोस्त जो यहां पहले घूमकर जा चुके थे उन्होंने उसे बताया था अंजान शहर में अधिक खर्च कहीं मुसीबत में ना डाल दें इसलिए हर कोई संभलकर ही खर्च करता है तभी मोहन की नजर एक और जोड़े पर गयी शायद वो भी अधिक पैसे की वजह से बार बार दूसरी टैक्सी वाले से बात कर रहा था मोहन ने कुछ सोचकर उस जोड़े में से लड़के से बात की और कहा… देखो अलग अलग जाएंगे तो अधिक पैसे खर्च करने होंगे मगर यदि हम टैक्सी में एकसाथ चलें तो आधा आधा खर्च बंट जाएगा और हम दोनों की काफी हद तक की टेंशन दूर हो सकती है

मोहन की ये बात सुनकर उस लड़के के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई और वह बोला …हां भैयाजी ये ठीक रहेगा जल्द ही उन चारों ने एक टैक्सी कर ली और चल दिए शिमला की हंसी वादियों में मगर जल्दी ही मोहन और सुधा को लगने लगा कि उन्होंने ऐसा करके गलती कर दी है सुधा को फिल्मी गीतों का शौक है मगर टैक्सी में गाना बजते ही उस दूसरी लड़की ने कानों पर हाथ रखा दिया ये देखकर उस लड़के ने टैक्सी ड्राइवर से गाना बंद करने की गुजारिश की ….

मोहन और सुधा को कुछ बुरा तो लगा मगर कुछ एडजस्ट तो करना पड़ेगा सोचकर चुप हो गए मगर दोनों ने गौर किया वह दोनों अजीब सी बात कर रहे थे खासकर लड़की…. रास्ते में कुछ भी दिखता वो लड़के से पूछती… वो…वो क्या है…..ये क्या है….. ऐसा कयुं है..तो वो वैसे कयुं है….. मोहन और सुधा कभी उन दोनों की बातें सुनते और उनका मुंह देखते की ये लडकी कैसे बचकाना सवाल कर रही है

और ये लड़का बिना किसी झुंझलाहट के बिना गुस्सा हुए कैसे मुस्कुरा कर उसके हर बचकाने सवाल का जवाब दे रहा है मगर लंबे सफर में उनकी बेमतलब की बकबक ने मोहन और सुधा को जरूर झुंझलाहट से भर दिया था तभी अचानक एक हरे भरे मैदान को देखकर उस लड़की ने बेतुका सवाल किया अरे वो क्या है…..खेत है … देखिए तो कितना हरा हरा है किस चीज की खेती होती है यहां

लड़के ने उसे दो घूंट पानी पिलाते हुए कहा …. अरे ये… हां बहुत सुंदर है ना…. ये सुनकर मोहन से रहा नहीं गया और वो झुंझला कर बोला ये इस तरह से क्यों कर रही हैं… मोहन की बात सुनकर ना जाने क्यों उस लड़के की आँखों में नमी उतर आई उसने लड़की का सर अपने कंधे पर टिका दिया….

हमारा ढाई साल का बच्चा था भैयाजी सात महीने पहले चल बसा…..तबसे ये ऐसे ही है डाक्टर ने कहा है थोड़ा दूसरे शहर में घुमा लाओ थोड़ा ध्यान भटकेगा जगह बदलेगी तो खुश रहेंगी…. मां है ना भैयाजी नौ महीने कोख में रखती है इतना जल्दी जख्म कैसे भरेगा में तो बाप हूं दुःख तो मुझे भी बहुत है मगर यदि मैं भी कमजोर पड़ जाऊंगा तो इसे कौन संभालेगा डाक्टर कहते हैं वक्त हर ज़ख्म को भर देता है ये भी जल्दी ठीक हो जाएंगी भैयाजी शादी की है जीवनसाथी है मेरी अर्धांगिनी…. कहते हैं अर्धांगिनी मतलब आधा शरीर

शरीर का कोई भी अंग अगर बीमार पड़ जाएं तो उसे अपने से अलग नहीं करते उसकी अच्छे से देखभाल करते हैं तो जल्दी फायदा होता है तभी गाडी एक बाजार के बीच से निकल रही थी बाहर खड़े भूट्टे वाले को देखकर लड़की जिद करने लग गई उसे शायद भुट्टा खाना था लड़का झिझकते हुए बोला… भैयाजी दो मिनट रोकेंगे क्या मैं जल्दी से….

आप बैठे रहिए …. मैं अभी ले आता हूं कहकर मोहन ने टैक्सी वाले को गाड़ी रोकने के लिए कहा और पांच गर्मागर्म भुट्टे लेकर गाड़ी में वापस आ गया ड्राइवर सहित सभी भुट्टे का आनंद लेते हुए आगे बढ़ चले थे

वो लड़की भुट्टा खाते हुए भी अब भी उस लड़के के कंधे पर सर टिकाए यूं ही बेमतलब सवाल करती जा रही थी और लड़का मुस्कुराता हुआ ऐसे ही जवाब देता जा रहा था मोहन ने अपनी पत्नी सुधा की और देखा तो उसे महसूस हुआ सुधा की आंखें भी उसकी आंखों जैसे भीगी हुई थीं मोहन ने अपनी भरी हुई आँखे ऊपर आसमान की तरफ कर भगवान को इस बात के लिए शुक्रिया कहा

कि उन्होंने इस मासूम सी लड़की को इतना प्यारा सा जीवनसाथी दिया..ये जोड़ी भी ऊपर वाले ने बहुत सोच कर बनाई है…. ईश्वर ऐसा जीवनसाथी सबको दें जो वास्तव में अर्धांगिनी का सार्थक मतलब समझता हो….!!

रेणु मंगल

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!