Moral stories in hindi : इस उम्र में हम दोनों तेरे ऊपर बोझ बन गए ,
हमें माफ कर देना बेटा , तेरी काकी की वजह से मैं लाचार हो गया था। तुम चिंता मत करो मैं काकी को लेकर यहां से चला जाऊंगा ।
अब बहुत दिन हम दोनों आराम कर लिए ,
गांव भी जाकर घर गृहस्ती देखनी है ।
यहां बैठे-बैठे तो आदत ही हमारी खराब हो जाएगी ।
फिर वही बात काका मैं आपको और काकी को अब यहां से कहीं नहीं जाने दूंगा ……
अब आप दोनों यही हम लोगों के साथ रहेंगे , मैं इसलिए थोड़ी ना यहां काकी को लेकर के आया ।
काकी का इलाज तो मैं यहां शहर में बैठे-बैठे गांव में भी करवा सकता था ।
पर बेटा अब तेरी काकी ठीक है अब हम गांव जाकर रह सकते हैं तुम चिंता मत करो , तुम्हारा भी परिवार है तुम्हारी पत्नी है बच्चे हैं तुम्हें उनका भी गुजरा करना है । मैं जानता हूं तुम्हारी पत्नी कुछ नहीं बोलती है परंतु हमें खुद ही अच्छा नहीं लगता है कि बेचारी हम दोनों के लिए परेशान हो रही है ।
मालती से मेरी बात हो गई है काका उसे भी कोई दिक्कत नहीं है बल्कि वह तो बहुत खुश है की आप लोगों का आशीर्वाद और बच्चों को आप दोनों का प्यार मिलेगा ।
मोहित बेटा तूने जो काकी का इलाज करवा कर मुझ पर एहसान किया है मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगा ।
ऊपर से अब यहां रुक कर बहू को नहीं परेशान करना है ।
काका अपनों का एहसान कैसा यह तो मेरा फर्ज था क्या मैं आपका बेटा नहीं हूं , और मालती आपकी बहू नहीं है । आपने मुझे नहीं बात कर एक ही पल में पराया कर दिया ,
इसका मतलब काका आपने मुझे कभी अपना बेटा माना ही नहीं ।
नहीं नहीं बेटा तू तो मेरा वही प्यार , छोटा सा , भोला -भाला बच्चा है , परंतु हम दोनों तुझ पर बोझ नहीं बनना चाहते हैं ।
काका मैं आपसे बहुत नाराज हूं अपनों का बोझ ……..कैसा होता है ।
आपने तो मुझे एक ही पल में अपने से दूर कर दिया ।
आपने मुझे कुछ बताया भी नहीं काकी की इतनी तबीयत खराब थी आप मुझे एक बार तो कॉल करते , आपको क्या लगा मैं नही आऊंगा । वह तो भला हो गोविंद का जिसने मुझे फोन करके काकी के बारे में बता दिया ।
नहीं नहीं बेटा मुझे लगा. ….
क्या लगा काका. … कि अब मैं बड़ा हो गया हूं अपने हिसाब से जिंदगी जी सकता हूं. … नहीं काका मैं वही मोहित हूं , जिसे आप जंगली कुत्तों से बचाकर लाए थे । अगर उस दिन आप नहीं होते तो मैं शायद इस दुनिया में भी नहीं होता ।
नहीं बेटा ऐसी बात नहीं है तू तो मेरा प्यारा बच्चा है लेकिन मैं किस मुंह से कहता जब मेरे खुद के औलाद ने मेरी बात तक नहीं सुनी , मेरे फोन करने पर उसने अपना फोन ही बंद कर दिया ।
काका आप एक बार तो मेरे बारे में सोचते कि जब मुझे पता चलेगा की काकी बीमार है , मेरे दिल पर क्या बीतेगी …
नहीं बेटा जब मेरे खुद के बेटे ने ही मुझसे रिश्ता नहीं रखा । फिर मैं तुझसे कैसे उम्मीद लगा सकता था .. और तुझे किस हक से मैं तेरी काकी के बारे में बताता ।
तभी मालती और काकी भी वहीं आ जाती है….
काका और काकी मैं कभी भूल नहीं सकता हूं जितना आपने मेरे लिए किया है ।
इतना तो सगे मां-बाप अपने बच्चों के लिए नहीं करते है , मैं नहीं जानता हूं कि उन लोगों ने किस मजबूरी में आकर मुझे सड़क पर छोड़ दिया था कभी देखने तक नहीं आए कि मैं जिंदा हूं , या मर गया हूं । अब मैं आप दोनों को यहां से नहीं जाने दूंगा ।
मालती भी मोहित का साथ देते हुए …….. हां काकी और काका जी आप लोग यही रहिए , अगर आप लोग चले गए तो मोहित टूट जाएंगे ।
अब हमें भी आप लोगों की जरूरत है । आप दोनों से यह परिवार अब पूरा होगा । मुझे सास ससुर और बच्चों को दादा-दादी मिलेंगे ।
उस दिन से मोहित और मालती के साथ उनके काका काकी भी खुशी- खुशी रहने लगे, जिन्होंने मोहित को पालपोश कर बड़ा किया था और अपने पैरों पर खड़ा किया था ।
धन्यवाद
कामिनी मिश्रा कनक
फरीदाबाद